ऊना —पूर्व सैनिकों को नौकरी में वरिष्ठतम लाभ बंद कर देने पर आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन तथा हिमाचल प्रदेश हैडमास्टर ऑफिसर काडर एसोसिएशन आमने-सामने आ गई हैं। दोनों एसोसिएशनें एक-दूसरे पर सरकार पर दबाव बनाने के आरोप लगा रही हैं। आर्मी वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार पर पूर्व सैनिकों की अनदेखी करने के आरोप लगाए हैं। वहीं दूसरी तरफ एचपी हैडमास्टर ऑफिसर काडर एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। ऑफिसर काडर के प्रदेशाध्यक्ष विजय गौतम का कहना है कि पूर्व सैनिकों के परिजन सरकार व जनता को गुमराह कर रहे हैं। आर्मी ऐसोसिएशन उच्चतम न्यायालय द्वारा 2017 में दिए गए फैसले को प्रदेश में लागू न करने का दबाव बना रही हैं। उन्होंने कहा कि आर्मी एसोसिएशन के ऐसे दबाव को सहन नही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहली बात तो यह है कि पूर्व सैनिकों का 15 फीसदी कोटा समाप्त नहीं किया जा रहा है और न ही उनके वित्तीय लाभ बंद किए गए हैं। पूर्व सैनिकों की केवल प्रोमोशन व इन्क्रीमेंट को उनकी नियुक्ति के दिन से लागू करने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए हैं। जबकि इससे पहले सेना में की गई नौकरी को भी सिविल में काउंट किया जाता था और सेना में की गई नौकरी पर भी इन्क्रीमेंट दी जाती थी। जिससे पहले से शिक्षा या अन्य विभागों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों से दोगुना ज्यादा लाभ पूर्व सैनिकों को मिलता था। जो कि विभागों में पहले से कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ अन्याय था। विजय गौतम ने बताया कि अपने साथ हो रहे भेदभाव के मामले को 1997 में हैडमास्टर ऑफिसर काडर एसोसिएशन ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में उठाया। जिस पर हाई कोर्ट ने वर्ष 2008 में फैसला ऑफिसर एसोसिएशन के पक्ष में सुनाया। इसके बाद पूर्व सैनिकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिस पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने 2017 में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। ऊना में किए आर्मी वाइफ एसोसिएशन के विरोध में ऑफिसर काडर की ऊना इकाई ने इसका जवाब देने के लिए 19 जुलाई को एक मीटिंग रखी है। जिसमें इस विरोध प्रदर्शन का जवाब देने तथा सरकार द्वारा उच्चतम न्यायलय का निर्णय लागू करने पर चर्चा की जाएगी। आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोएिसशन के प्रधान धु्रव सिंह राणा पूर्व सैनिकों के साथ न्याय नही किया गया तो 15 अगस्त को आजादी के दिन प्रदेशभर में आंदोलन किया जाएगा। सरकार ऑफिसर काडर एसोसिएशन के दबाव में कार्य रही है।