नगर परिषद का गोसदन लावारिस

रामपुर बुशहर —भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही गोमाता को छत देने के वादे तो जरूर हुए लेकिन उन वादों ने अभी तक जमीनी रूप नहीं लिया है। नए बजट के चार माह गुजरने को हैं लेकिन नगर परिषद रामपुर अभी तक आवारा पशुओं को एक जगह पर उचित सुविधा के एकत्रित नहीं कर पाया है। महज औपचारिकता के तहत गोसदन तो बना दिया गया लेकिन उस गोसदन को कौन चलाएगा और कौन वहां पर चारे व हरी घास की सुविधा मुहैया करवाएगा, आवारा पशुओं को कौन पानी व अन्य सुविधाएं देगा। ये बात फिलहाल रामपुर के गोसदन में यक्ष प्रश्न बना हुआ है। अभी मौजूदा समय में कुछ गोरक्षक अपनी स्वेच्छा से यहां पर घास व अन्य सुविधाएं मुहैया करवा रहे है। कई आवारा पशु घायल अवस्था में यहां पर पड़े हुए है। जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है। नगर परिषद की इस व्यवस्था को देखकर गोरक्षक खासे नाराज है। उनका कहना है कि सरकार ने भले ही आवारा पशुओं को सरंक्षण देने के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया है। साथ ही हर ब्लॉक स्तर पर खुले दर्जनों शराब के ठेकों से प्रति बोतल एक रुपए गोरक्षा के लिए देने के आदेश दिए हैं। साथ ही मंदिर ट्रस्ट की निश्चित राशि को भी गोसदन पर खर्च करने की बात कही है लेकिन ये बाते जमीनी रूप लेने में काफी वक्त लगा रही हैं। ऐसे में आवारा पशु सड़कों पर पहले जैसे ही मर रहे हैं। एनएच के किसी न किसी मोड़ पर आवारा पशु लहूलुहान अवस्था में होता हैं। ऐसे में व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठ रहें हैं। साथ ही गोरक्षक ये कह रहे है कि अगर सरकार किसी नियम को लागू करती हैं तो उसकी वास्तविकता पर भी गौर करना चाहिए, ताकि ये पता चल सके कि क्या सच में सरकार द्वारा बनाए गए नियम लागू हुए है। गोरक्षकों का कहना है कि जब तक नगर परिषद किसी व्यक्ति को पूरी तरह से गोसदन चलाने के लिए नियुक्त नहीं करता है तब तक गोसदन चला पाना नामुमकिन है। साथ ही वहां पर तब तक पशुओं को रखना न्यायोचित नहीं है। इस बात को लेकर कुछ गोरक्षक उपमंडलाधिकारी से मिले और उन्होंने यहां की व्यवस्था को सुधारने की बात कही। जिस पर एसडीएम ने कहा कि जल्द नगर परिषद प्रबंधन से इस बारे में बात की जाएगी और आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।