भक्तों ने लगाई श्रद्धा की डुबकी

रिवालसर —शुक्रवार व शनिवार अर्द्धरात्रि को लगे शताब्दी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण व गुरु पूर्णिमा के विशेष मौके पर तीन धर्मों की स्थली रिवालसर में सनातन धर्म में आस्था रखने वाले धर्म अनुयायियों ने अर्द्धरात्रि को रिवालसर की ऐतिहासिक पवित्र झील में आस्था की डुबकी लगाकर अपने आप को निहाल किया।  चंद्र ग्रहण के नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू होते ही दूर-दूर के क्षेत्रों से लोगों का पूजा-अर्चना व दान पुण्य के लिए यहां आना शुरू हो गया था।  जैसे-जैसे  पूर्ण ग्रहण का समय नजदीक आता गया धर्म अनुयायियों की भारी भीड़ रिवालसर की पावन धरा पर बढ़ती गई। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित और विद्वानों के अनुसार ग्रहों की शांति व उनके कुप्रभावों से बचने के लिए ग्रहण काल में की गई पूजा-अर्चना व तुला दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।  इसी आस्था को लेकर रात भर श्रद्धालुओं ने रिवालसर झील परिसर किनारे आए हुए विशेष पंडितों से अपने ग्रहों का निवारण करवाया। हालांकि कई श्रद्धालुओं की झील किनारे बने पवित्र घाट पर तुला दान की इच्छा प्रशासन की मनाही के कारण धरी ही रह गई।  इस बात का श्रद्धालुओं में प्रशासन के प्रति रोष  भी रहा।