मनरेगा मजदूर मांगों को लेकर लाल

रामपुर, बुशहर —सीडब्ल्युएफआई की राष्ट्रीय कमेटी के आह्वान पर रामपुर में निर्माण व मनरेगा मजदूरों ने मांगों को लेकर हल्ला बोला। मजदूरों ने क्षेत्रीय कमेटी सीटू के बेनर तले बीओसी बोर्ड व लेबर ऑफिस रामपुर के बाहर जमकर धरना प्रदर्शन किया। सीटू जिला शिमला अध्यक्ष बिहारी सेवगी और क्षेत्रीय कमेटी सचिव कुलदीप ने कहा कि आज पूरे देश में निर्माण मजदूर महंगाई के चलते सड़कों पर उतरे हैं। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि निर्माण कार्य में लगने वाला सीमेंट, सरिया, बजरी के दामों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण निर्माण में लगे मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के बजट में केंद्र सरकार द्वारा कटौती करके गांव स्तर पर मिलने वाले रोजगार को बंद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के कल्याण के लिए 1996 में बीओसी एक्ट बना है, जिसके तहत निर्माण मजदूरों को जो लाभ को मिलने चाहिए, वो नहीं मिल पा रहे है। पंजीकरण की जो प्रक्रिया बीओसी बोर्ड द्वारा अपनाई गई है, वो सरल नहीं है। जो निर्माण मजदूर गांव के अंदर मिस्त्री काम या दूसरे निर्माण का काम करते हैं, उनका बीओसी में पंजीकरण होना चाहिए था, वो नहीं हो पा रहा है। एक्ट के हिसाब से साल में किसी एक दिन दस से अधिक मजदूरों ने एक जगह काम किया होना चाहिए और 90 दिन का निर्माण कार्य साल में किया होना चाहिए वो बीओसी बोर्ड के सदस्य बन सकते हैं, परंतु उन मजदूरों का पंजीकरण ही नहीं हो रहा है। मनरेगा मजदूरों का पहले 50 दिन का काम करने वाले मनरेगा मजदूरों का पंजीकरण होता था, परंतु केंद्र सरकार ने उसे बढ़ाकर 90 दिन कर दिया। इससे गरीब मजदूर बीओसी एक्ट पंजीकरण से वंचित रह गए है। इसके चलते मजदूरों को बीओसी का लाभ नहीं मिल रहा है। मजदूरों ने धरने के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि बीओसी बोर्ड में पंजीकरण की जटिलताओं को दूर करें। सभी निर्माण मजदूरों का पंजीकरण किया जाए।  मिलने वाली सुविधाओं की राशि बढ़ाई जाए, बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जाए, न्यूनतम मजदूरी 600 रुपए प्रति दिन की जाए, मनरेगा के अंदर 200 दिन का रोजगार दिया जाए, निर्माण में लगे मजदूरो को बीओसी बोर्ड से मिलने वाले लाभ को दो महीने के अंदर भुगतान किया जाए। यदि केंद्र और प्रदेश की सरकार निर्माण मजदूरों की मांग पर कोई गौर नहीं फरमाती है तो नौ अगस्त को निर्माण मजदूर किसानों के साथ मिलकर संघर्ष को उग्र करेंगे।