शिमला — राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत अगर प्रदेश को अगली ग्रांट प्राप्त करनी है तो इसके लिए स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल का गठन करना होगा। रूसा के तय नई गाइडलाइन के तहत इस काउंसिल के गठन के लिए कवायद प्रदेश सरकार ने तेज कर दी है। इस काउंसिल में अधिक से अधिक शिक्षाविदों को ही शामिल किया जाएगा और मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री इस काउंसिल का हिस्सा नहीं होंगे। केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत किस शिक्षाविद को ही काउंसिल का अध्यक्ष बनाया जाएगा। रूसा के दूसरे चरण को लेकर नई गाइडलाइन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की और से जारी की गई है। इसके तहत जहां काउंसिल के गठन को अनिवार्य कर दिया गया है, वहीं इसके साथ ही इस काउंसिल में राजनेताओं की जगह शिक्षाविदों को शामिल करने को कहा गया है। निर्देशों के बाद अब इस काउंसिल में शिक्षा सचिव सहित विभाग के अधिकारी भी शामिल किए जाएंगे। इस काउंसिल में 15 से 20 सदस्य होंगे। रूसा क ी नई गाइडलाइंस में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि इस बार प्रदेश सरकार स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल नहीं बनाती है तो रूसा की अगली ग्रांट से हिमाचल को हाथ भी धोना पड़ सकता है। केंद्र ने सभी राज्यों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल को तैयार कर इस पर मुहर विधानसभा के मानसून सत्रमें लग सकती है। मानव संसाधन मंत्रालय ने इस बार शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए इस काउंसिल में शिक्षाविदों को प्राथमिकता देने को कहा है। शिक्षा मंत्री भी इस पर मंथन कर चुके हैं और जल्द ही मुख्यमंत्री के समक्ष यह मामला चर्चा के लिए ले जाया जाएगा। बताया जा रहा है कि सरकार जल्द ही इसके गठन को लेकर अध्यादेश ला सकती है।