लंगर में खाना…खड्ड में नहाना, गंदगी छोड़ चले जाना

ऊना-हमीरपुर-बिलासपुर शक्तिपीठों में टेंशन बने बाहरी राज्यों के यात्री; चिंतपूर्णी में सबसे ज्यादा दिक्कत, मालवाहकों में लदकर लगा देते हैं जाम

ऊना – हिमाचल प्रदेश स्थित शक्तिपीठों में हर साल लाखो श्रद्धालु पूरे उत्तरी भारत से माथा टेकने आते हैं। इसमें ज्यादा तादाद साथ लगते पंजाब राज्य से श्रद्धालुओं की होती है। ट्रकों,टैम्पोे,ट्रालियों के अलावा माल ढोने वाले छोटे वाहनों तथा दोपहिया वाहनों में असुरक्षित सफर करने के साथ-साथ लंगरों में गंदगी के ढेर छोड़ने वाले प्रदेश में आने वाले ये धार्मिक पर्यटक प्रदेश के लिए लाभ का सौदा न होेकर आफत का पर्याय बनते जा रहे हैं। मेलों के दौरान भारी-भरकम वाहनों की संख्या पार्किंग की समस्या भी पैदा करती है। गगरेट से लेकर चिंतपूर्णी तक करीब 25 किलोमीटर एरिया में बुरी तरह जाम की स्थिति बन जाती है। गंभीर हालत में बीमार लोेगों को अस्पताल पहुंचाना चुनौतीपूर्ण काम हो जाता है। हाल यह है कि ये यात्री लंगर में खाते हैं, खड्डों में नहाते हैं और गंदगी फेंककर चले जाते हैं। इससे किसी को कोई भी फायदा नहीं होता है। उलटा टेंशन ही बढ़ती है। हिमाचल के प्रवेश द्वार ऊना जिला में स्थित माता चिंतपूर्णी मंदिर, बाबा बड़भाग सिंह, पीरनिगाह मंदिर, हमीरपुर के दियोटसिद्ध स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर, कांगड़ा जिला के माता ज्वालाजी, चामुंडा देवी, बज्रेश्वरी देवी व बिलासपुर जिला के श्रीनयनादेवीजी में हर साल लाखो श्रद्धालु मालवाहक वाहनों से असुरक्षित धार्मिक यात्रा पर आते हैं। हर साल अनेक दर्दनाक सड़क दुर्घटनाएं घटित होती हैं, जिसमें बेकसूर लोग अपनी जान गवां बैठते हैं, लेकिन पंजाब से हिमाचल को शुरू असुरक्षित सफरनामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन भी थोड़े समय के लिए सख्ती दिखाता   ट्रकों, टैम्पो व ट्रालियों में डबल व तिहरी मंजिलें बनाकर सफर करने वालों पर कभी भी स्थायी लगाम नही लग सकी है।

हर साल बढ़ रहा दुर्घटनाओं का ग्राफ

ऊना जिला के तहत वर्ष 2012 में 239 सड़क दुर्घटनाएं घटीं। इसमें 57 लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं, 436 लोग घायल हुए। वर्ष 2013 में 239 सड़क हादसे हुए। 63 लोगों की जान गई। 462 लोग घायल हुए। वर्ष 2014 में 259 सड़क हादसे घटे। इन सड़क हादसों में 82 लोगों की मौत हो गई। 391 लोगों घायल हो गए। वर्ष 2015 में 255 सड़क दुर्घटनाएं हुइर्ं। इन सड़क दुर्घटनाओं में 101 लोगों की मौत हो गई। 401 लोग घायल हुए। वर्ष 2016 में 292 सड़क दुर्घटनाएं घटीं। इसमें 153 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 453 लोग घायल हुए। वर्तमान वर्ष 2017  में 292 सड़क दुर्घटनाओं में 147 लोगों की मौत तथा 492 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। जबकि 2018 में अभी तक 70 से अधिक सड़क हादसों में 40 लोगों की मौत व 112 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।

आस्था के नाम पर यातायात नियमों से खिलवाड़

धार्मिक आस्था के नाम पर बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालु यातायात नियमों की जमकर अवहेलना करते हैं। श्रद्धालु दोपहिया वाहन में बिना हेल्मेंट घूमते रहते हैं। वहीं, ट्रकों-ट्रालियां में डबल डेकर बनाकर पहुंचते हैं। श्रद्धालु आस्था के नाम पर यातायात नियमों की अवहेलना करते हैं।

लंगर लगाने के बाद छोड़ जाते हैं गंदगी

ऊना जिला में नवरात्र के दौरान लंगर लगाने वाली संस्थाएं जमकर नियमों की अवहेलना करती हैं। प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी में ही हर साल नवरात्र के दौरान करीब दो सौ संस्थाएं लंगर लगाती हैं। इसके अलावा जिला के अन्य स्थानों पर भी लंगर लगते हैं। लेकिन स्वच्छता की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। लंगर के दौरान ही नियमों की अवहेलना होती है। वहीं, लंगर लगाकर वापस जाने के बाद ये संस्थाएं सफाई करना भूल जाती हैं। आस्था के नाम पर स्वच्छता नियमों की जमकर अवहेलना की जाती है। चिंतपूणी से लेकर गगरेट-आशादेवी तक पंजाब बार्डर तक लंगर लगे होते हैं।

व्यापारियों को कोई लाभ नहीं

हिमाचल के धार्मिक स्थलों में प्रदेश के अलावा अन्य बाहरी राज्यों के श्रद्धालु पहुंचते हैं। इससे स्थानीय लोगों को व्यापार की बेहतर उम्मीद रहती है। प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी, नयनादेवी, चामुंडा, बज्रेश्वरी, बाबा बालक नाथ के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों पर पहुंचने वाले रूटीन में श्रद्धालु स्थानीय लोगों के लिए अपनी आर्थिकी सुदृढ़ करने का बेहतर साधन बने हुए हैं। लेकिन मेलों के दौरान आने वाली भीड़ से स्थानीय व्यापारियों को कोई खास लाभ नहीं मिल पाता है।