श्री गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र

By: Jul 14th, 2018 12:12 am

-गतांक से आगे...

सुधामयोह्यमृतमयो योगिनीवल्लभः शिवः।

बुद्धो बुद्धिमतां श्रेष्ठोविष्णुर्जिष्णुः शचीपतिः।। 56।।

वंशी वंशधरो लोको विलोको मोहनाशनः।

रवरावो रवो रावो बालो बालबलाहकः।। 57।।

शिवो रुद्रो नलो नीलो लांगुली लांगुलाश्रयः।

पारदः पावनो हंसो हंसारूढ़ो जगत्पतिः।। 58।।

मोहिनीमोहनो मायी महामायो महामखी।

वृषो वृषाकपिः कालः कालीदमनकारकः।। 59।।

कुब्जभाग्यप्रदो वीरो रजकक्षयकारकः।

कोमलो वारुणो राज जलदो जलधारकः।। 60।।

हारकः सर्वपापघ्नः परमेष्ठी पितामहः।

खड्गधारी कृपाकारी राधारमणसंुदरः।। 61।।

द्वादशारण्यस भोगी शेषनागफणालयः।

कामश्यामः सुखः श्रीदः श्रीपतिः श्रीनिधिः कृतिः।। 62।।

हरिर्हरो नरो नारो नरोत्तम इषुप्रियः।

गोपालो चित्तहर्ता च कर्ता संसारतारकः।। 63।।

आदिदेवो महादेवो गौरीगुरुरनाश्रयः।

साधुर्मधुर्विधुर्धाता भ्राताह्यक्रूरपरायणः।। 64।।

रोलम्बी च हयग्रीवो वानरारिर्वनाश्रयः।

वनं वनी वनाध्यक्षो महाबंधो महामुनिः।। 65।।

स्यमंतकमणिप्राज्ञो विज्ञो विघ्नविघातकः।

गोवर्धनो वर्धनीयो वर्धनी वर्धनप्रियः।। 66।।

वर्धन्यो वर्धनो वर्धी वार्धिन्यः सुमुखप्रियः।

वर्धितो वृद्धको वृद्धो वृंदारकजनप्रियः।। 67।।

गोपालरमणीभर्ता सा बुकुष्ठविनाशनः।

रुक्मिणीहरणः प्रेमप्रेमी चंद्रावलीपतिः।। 68।।

                                                              -क्रमशः


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