हैपेटाइटस…बाहर के खाने पर करें कंट्रोल

आईजीएमसी में बरसात के दौरान बढ़े गंभीर रोग के मरीज, पांच से 15 साल के बच्चे चपेट में

शिमला – कोई भी मौसम क्यों न हो छोटे बच्चों में मौसम के अनुरूप वायरल जल्दी फैलता है। यही वजह है कि बरसात में भी जलजनित रोग छोटे बच्चों को अपनी चपेट में ज्यादा ले रहे हैं। प्रदेश के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में रोजाना छोटे बच्चों के ऐसे मामले पहुंच रहे हैं, जो हैपेटाइट्स-ई और ए की चपेट में आ रहे हैं। अस्पताल के पिडियाट्रिक्स विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रोजाना 15 से 20 मामले हैपेटाइट्स-ई और ए के आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनमें से कई मामले ऐसे भी हैं जो गंभीर रूप से अस्पताल में दाखिल हैं। पिडियाट्रिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष अश्वनी शर्मा का कहना है कि हैपेटाइट्स-ई पांच साल के बाद मासूमों में होता है तो वहीं, हैपेटाइट्स-ए का वायरल दो साल की उम्र के बच्चों में ज्यादा फैल रहा है। बरसात में होने वाले जलजनित रोगों की चपेट में आ रहे मासूमों को देखकर अभिभावकों में भी हड़कंप मच गया है। अस्पताल प्रशासन ने अभिभावकों को इस मौसम में अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने की हिदायत दी है। वहीं, पांच साल से बड़े बच्चों को बरसात में बाहर की खाद्य वस्तुओं को न खाने की हिदायत दी है। चिकित्सकों के अनुसार बरसात में छोटे बच्चे जलजनित रोगों की चपेट में जल्दी आते हैं क्योंकि पांच से पंद्रह साल तक के बच्चों में पाचन शक्ति बहुत कम होती है। उल्लेखनीय है कि छोटे बच्चों में हो रहा हैपेटाइट्स-ई और ए जानलेवा वायरल है। हैपेटाइट्स-ई एक जलजनित रोग है और इसके व्यापक प्रकोप का कारण दूषित पानी और भोजन होता है। चिकित्सकों के अनुसार प्रदूषित पानी इस महामारी को बढ़ा देता है। वहीं, हैपेटाइट्स-ए एक विषाणु जनित रोग है। इस वायरल की चपेट में दो साल तक के मासूम ज्यादा आते हैं। इस वायरल में रोगी को काफी चिड़चिड़ापन होता है। जानकारी के अनुसार अगर हैपेटाइट्स-ए का रोग गंभीर रूप से किसी मासूम और नवजात को हो जाता है तो इससे उसकी जान भी जा सकती है। हैरानी की बात है कि हैपेटाइट्स-ए और-ई के मामले केवल आईजीएमसी में ही नहीं बल्कि रिप्पन और अन्य निजी अस्पतालों में भी सामने आ रहे हैं।