41 दिन खड़े होकर हठ तपस्या

जनकल्याण को मंडी सिद्धभद्रा मंदिर के महंत का कठिन तप

मंडी— जन कल्याण और विश्व शांति के लिए मंडी के सिद्धभद्रा मंदिर के महंत 41 दिन-रात खड़े रह कर खडेश्वरी हठ तपस्या करे रहे हैं। इस दौरान न तो वह बैठेंगे और न ही सोएंगे। जूना अखाड़े के महंत राजेश्वरानंद सरस्वति जन कल्याणार्थ यह पपस्या करेंगे। 28 जुलाई से शुरू हुई खडेश्वरी हट तपस्या छह जुलाई भाद्रपद कृष्ण एकादशी तक चलेगी। खडेश्वरी हठ तपस्या चित्रृवृत्तियों के प्रभाव को संसार की ओर से रोककर अंतर्मुखी करने की एक प्राचीन भारतीय साधना पद्धति है। इसमें ऋसुप्त कुंडलिनी को जागृत कर नाड़ी मार्ग से ऊपर उठाने का प्रयास किया जाता है। हठ योग प्रदीपिका इसका मुख्य ग्रंथ है। हठ योग साधना की मुख्य धारा शैव है। इस साथना की मत्क्षेंद्रनाथ और गुरु गोरखनाथ इसके आचार्य बताए गए हैं। गोरखनाथ के अनुयायी प्रमुख रूप से हठ योग की साधना करते थे। शैव धारा के अतिरिक्त बौद्ध भी हठ योग की पद्धति अपनाते थे। इस साधना को समझाते हुए महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि उदाहरण के तौर पर यदि हमें मक्खन से घी निकलना हो तो हम मक्खन को सीधे आंच पर नहीं रख सकते। उसे किसी बर्तन में रखना होता है। उसी प्रकास हठ योग तप आत्मा के शुद्धिकरण के लिए किया जात है। भगवान महावीर ने भी कहा कि तपस्या करने से आत्मा शुद्ध होती है। 41 दिन तक चलने वाली यह हठ तपस्या छह सितंबर तक चलेगी। सात सितंबर को पूर्णाहूति व भंडारे का आयोजन होगा।