साफ- सुथरा गांव
इस गांव की स्वच्छता देखकर हर किसी के मुंह से बरबस ही ‘वाह’ के शब्द निकल आते थे। गांव का हर आदमी सफाई का विशेष ध्यान रखता था। बच्चे भी इस कार्य में हर तरह से सहयोग देते थे। आखिर क्यों न दें। बचपन से ही वे अपने घर वालों को साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हुए जो देख रहे थे…
शहर के नजदीक गांव जरल हर तरह की सुविधाओं से संपन्न था। शहर के इतने करीब होने के बाद भी पूरी तरह से गांव-सा माहौल था। गांव वाले अपनी और अपनों की बातें करते थे , सुख-दुख बांटते थे तथा आने वाले हर शुभ दिन में हर तरह की रस्में निभाई जाती थीं। गांव के हर घर, हर गली, हर पगडंडी और हर जगह खूब सफाई रहती थी। यह इस गांव की विशेष बात थी, जो उसे अन्य गांव से कुछ खास बनाती थी। गांव वालों ने जगह-जगह कुड़ेदान तथा हल्के-हल्के गड्ढे बना रखे थे। सभी उनमें ही अपने घर का सारा कूड़ा-कचरा उड़ेलते थे। इस गांव में जब भी बाहर से कोई व्यक्ति दाखिल होता तो यहां की स्वच्छता देखकर उसके मुंह से बरबस ही ‘वाह’ के शब्द निकल आते थे। गांव का हर आदमी सफाई का विशेष ध्यान रखता था। बच्चे भी इस कार्य में हर तरह से सहयोग देते थे। आखिर क्यों न दें। बचपन से ही वे अपने घर वालों को साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हुए जो देख रहे थे। इस गांव के एक बुजुर्ग के पास दो घर थे। लड़का विदेश में नौकरी करता था। और बुढ़ापे में उससे घर की देखभाल करना मुश्किल हो रही थी। अतः अपने बेटे के कहने पर बुजुर्ग ने अपना नया मकान शहर से आए मि. पटेल को बेच दिया और स्वयं अपने पुश्तैनी मकान में रहने लगा। मि. पटेल अब अपने परिवार के साथ गांव के बीचोंबीच बने इस मकान में रहने लगे। मि. पटेल के परिवार को साफ- सफाई के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। पूरा परिवार घर के चारों तरफ खुब गंदगी डालता। जिस सदस्य का जहां दिल करता था, वहां पर ही गंदगी डाल देता था। इस गंदगी के कारण नाली का पानी अकसर रुक जाता और सड़क पर बहता रहता था। बहुत बार गांव वालों को उनके घर के आसपास का कुड़ा भी खुद हटाना पड़ता था। इस परिवार की वजह से गांव की स्वच्छता को प्रश्न चिन्ह सा लग गया। मि. पटेल के परिवार को गांव वालों ने कई बार समझाया भी, यहां तक कि उनको पंचायत के सामने भी पेश होना पड़ा। उनके सामने इस परिवार ने गंदगी न डालने का वादा भी किया, लेकिन असर कहां। गांव के सभी लड़के मि. पटेल के घर के अंदर चले गए। मि. पटेल के बाहर आते ही वे बोले अंकल जी यह बहुत गलत बात है। क्या है? कैसी गलत बात? मि. पटेल हैरानी के साथ गुस्से में बोले। अंकल आप जो कुड़ा-कबाड़ यहां-वहां फैंकते हो हम उसकी बात कर रहे हैं। आज आपके घर से केले के छिलके ने हमारे दोस्त को चोट पहुंचाई है। ऐसा हादसा औरों के साथ भी हो सकता है। इसलिए अंकल जी हम…। अभी बात पूरी नहीं हुई थी कि मि. पटेल गुस्से में चिल्लाए, चलो यहां से। मुझे तुम्हारे लैक्चर की जरूरत नहीं है तुम अभी बहुत छोटे हो। बड़ों को समझाने की ठेकेदारी छोड़कर, पढ़ने में ध्यान दो।
सब लड़़के वहां से चले गए और मि. पटेल को सबक सिखाने के लिए योजना बनाने लगे। सब लड़कों ने सोचा क्यों न हम अब मि. पटेल के घर के सामने रोज कुड़ा डालें। और सब लड़कों ने कुड़ा डालना शुरू कर दिया। मि. पटेल रोज-रोज कुड़ा देखकर परेशान हो गए। और घर के बाहर छिप कर देखने लगे की रोज-रोज कुड़ा डालता कौन है। एक दिन सब लड़के मि. पटेल के घर के सामने से गुजर रहे थे, तो उस समय तनूज ने बिस्कुट का पैकेट पत्थर में डालकर मि. पटेल के आंगन में फेंक दिया। और मि. पटेल ने देख लिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगे और उनको कई बाते सुनाने लगे सारे गांव वाले इक्टठे हो गए। आप लोग को यही सिखाया है मि. पटेल कहने लगे। ये, वो आदि। हम भी यही आपको समझाना चाहते हैं अंकल। जब से आपका परिवार इस गांव में आया है यहां की स्वस्च्छता को जैसे गृहण लग गया हो। आपको कई बार समझाया भी लेकिन, आप लोगों ने किसी की भी नहीं सुनी। तनुज की बात अभी पूरी ही नहीं हुई थी कि …। गुस्से से लाल मि. पटेल के दिल में दस्कत दे रही थी, कि जोर से बोलते बस करो, लेकिन तनुज चुप नहीं हुआ। तनुज का मुंह बोलते-बोलते अपनी हथेलियों से दबा दिया, और बोले अब बस भी करो बेटा । हमें माफ कर दो। तुम सही कह रहे हो। तुम पहले भी हमारे घर आए। तब में तुम लोगों को बेवजह ही गुस्सा हुआ था। जबकि तुम्हारी बात जायज थी। मुझे अपनी गलती का एहसास हो चुका है।सभी गांव वाले तनुज की पूरी टीम से बहुत खुश थे। गांव वाले जो नहीं कर पाए थे वह तनुज की टीम ने कर दिखाया था। उनकी योजना काम कर रही थी।
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