अब नए वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगेगी चाय

राज्य सरकार अनुदान पर एक रुपए में देगी 16 रुपए की कीमत वाला पौधा

धर्मशाला – हिमाचल के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में अब चाय बागानों को स्थापित करने की संभावना है। पिछले कुछ समय से प्रदेश में कई किसान खेती से किनारा कर रहे हैं, लेकिन अब वह बंजर हो रही भूमि पर चाय की खेती कर सकते हैं। वर्तमान समय में चाय की खेती धर्मशाला, पालमपुर व जोगिंद्रनगर में होती है, लेकिन आने वाले समय में कृषि विभाग के सहयोग से प्रदेश के अन्य जिलों के खेत भी चाय के बागान से लहलहाएंगे। इसके लिए विभाग ने अलग से विंग तैयार कर काम शुरू कर दिया है। कृषि विभाग में चाय की पैदावार बढ़ाने के लिए पूरे प्रदेश में अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों को चयनित कर उक्त क्षेत्र के किसानों को चाय की खेती के जरिए अपनी आय बढ़ाने को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके साथ-साथ विंग पुराने चाय बागानों में नष्ट हुए पौधों की जगह नए पौधे दे रहा है। चाय की खेती को न तो जंगली जानवरों से खतरा है और न ही बेसहारा पशु और बंदरों से। इस खेती को करने के लिए ढ़लानदार जगह सर्वश्रेष्ट होती है, ताकि बारिश का पानी न रुक सके। चाय बागानों से आठवें साल नियमित आय शुरू हो जाती है। प्रति कनाल 533 पौधे लगाए जाते हैं। आमतौर पर चाय के एक पौधे की कीमत 16 रुपए होती है, लेकिन सरकार इसके लिए अनुदान पर एक में पौधा देगी। एक हेक्टेयर में 13 हजार पौधे लगाया जाते है और पांच साल मे बागान तैयार होने का पूरा खर्चा 50 हजार के करीब रहता है।

इच्छुक कृषि विभाग से करें संपर्क

बागान लगाने के इच्छुक आवेदक नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। इसके बाद विभाग की टीम मौके का जायजा लेने पहुंचेगी, जिसके बाद विशेषज्ञ मिट्टी की जांच कर व संबंधित क्षेत्र में चाय होने की संभावना पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। विशेषज्ञों ने बताया कि चाय की पौध लगाने के लिए सबसे बेहतर मौसम बरसात का ही है।