आजादी के 71 लंबे साल

By: Aug 14th, 2018 8:35 pm

आज भारत का 72वां स्वतंत्रता दिवस है। स्वतंत्रता के 71 लंबे साल बेहद महत्त्वपूर्ण रहे हैं। आजादी के वक्त जो देश प्रतीकात्मक मायनों में ‘सुई’ नहीं बना सकता था, आज वह विमान बना रहा है। अंतरिक्ष में उपग्रह भेज रहा है। मंगल और चंद्रयान बनाने में सक्षम और सफल रहा है। भारत विश्व की छठी अर्थव्यवस्था बन गया है। अभी तो मंजिलें शेष हैं। यानी अमरीका, चीन, जापान और जर्मनी सरीखी विश्वशक्तियों से होड़ ले रहा है हमारा देश..! हम राजनीतिक, आर्थिक, कूटनीतिक, संवैधानिक तौर पर आज एक संप्रभु और सम्पन्न राष्ट्र में हैं। हमारी संस्कृति, सभ्यता, विरासत और राष्ट्रीय छवि को विश्व आज सम्मान और गौरव की दृष्टि से देखता है। हमारे अपने जीवन-मूल्यों, सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की प्रशंसा की जाती रही है। भारत जैसा विविधता वाला देश, जिसकी आबादी 135 करोड़ से भी अधिक हो और अनेक धर्म, संप्रदाय, मत, भाषाएं और बोलियां हों, विश्व में दूसरा कोई नहीं है, लिहाजा हमारा देश अतुलनीय आंका जा सकता है। हमें सिर्फ ब्रिटिश शासन से ही मुक्ति नहीं मिली है, बल्कि विविध स्तरों की आजादी हमें हासिल है। उसे मौलिक अधिकारों में देखा-महसूस किया जा सकता है। हमें जीने, बोलने, अभिव्यक्त करने की आजादी है। हम भारतीय किसी भी तरह के भय और खौफ से मुक्त हैं। हमें किसी भी अभिमत से असहमति व्यक्त करने की आजादी है। हमें अपनी पसंद और चयन की आजादी है। हमें अपने मानवाधिकारों की आजादी है। हमें आज धर्म, परिधान, लैंगिकता और यौन संबंधों की आजादी है। हमारा व्यापार, निवेश, निर्यात, उत्पादन, निर्माण और हमारी अर्थव्यवस्था स्वतंत्र हैं। हमारा सिनेमा और मीडिया स्वतंत्र हैं। हमें सवाल करने की आजादी है। भोजन और पकवान के वैविध्य की आजादी है। स्वास्थ्य की आजादी है। पीने और प्रकृति के प्रति हम आजाद हैं। हालांकि इतनी व्यापक आबादी और समृद्ध संसाधनों के बावजूद आज भी करीब 20 करोड़ भारतीय हररोज भूखा सोने को विवश हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय आकलन और सर्वेक्षण हैं कि बीते कुछ सालों के दौरान 5 करोड़ नागरिक भूख और बेकारी से मुक्त हुए हैं। लिहाजा हम यह दावा कर सकते हैं कि हमें गरीबी और भुखमरी से सैद्धांतिक आजादी मिल चुकी है। सिर्फ उस जमात तक संसाधनों और आय का नियमित वितरण होना है। विश्व के संपन्न और विकसित देशों में भी गरीबी और भुखमरी की जमातें हैं, लेकिन वे ओझल रहती हैं। भारत की गरीबी, अनपढ़ता, भूख, पिछड़ेपन की अंतरराष्ट्रीय नुमाइश की जाती रही है। हमारी आजादी इस दौर से भी मुक्त होगी। बेशक धार्मिक रूप से हम आजाद हैं, लेकिन हमारे सामने सांप्रदायिक सवाल भी आते रहे हैं। आज भी हम उतने ही हिंदू-मुसलमान में बंटे हुए हैं, जितना उस दौर में थे, जब मुहम्मद अली जिन्नाह ने ‘पाकिस्तान’ मांगा था और ग्रेट कलकत्ता में भीषण दंगे कराए गए थे। जिन्नाह ने ‘प्रत्यक्ष कार्रवाई’ का आह्वान किया था और उन दंगों में एक भी अंग्रेज और मुसलमान नहीं मारे गए थे। यह हमारी राष्ट्रीय विडंबना है, लेकिन कोई भी जाति, समुदाय धार्मिक तौर पर ‘गुलाम’ नहीं है। सभी नागरिकों की आस्थाएं ‘स्वतंत्र’ हैं। एक मुट्ठी भर जमात विश्व के विकसित देशों में भी है, जो मुख्यधारा के खिलाफ चलती है, लिहाजा भारत में भी है, जिसे ‘आजादी’ चाहिए। वह ‘वंदे मातरम’ या ‘भारत माता की जय’ अथवा ‘जय हिंद’ नहीं बोल सकती। उस जमात को अपनी ‘मातृभूमि’ से ही प्यार नहीं है, लिहाजा कहीं-कहीं विभाजन की स्थितियां दिखाई देती हैं। करीब 90 फीसदी राष्ट्र एक ही सुर में बोलता है। इन ‘काली भेड़ों’ को आज के दिन नजरअंदाज करें और उनकी स्मृतियों में डूब जाएं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए बलिदान दिए थे, अपना सर्वस्व छोड़ दिया था। स्वतंत्रता के संघर्ष और जीवन में 71 साल होते ही क्या हैं? इतना वक्त तो ‘गुलामी’ के जख्म धोने और उनके सूख जाने में व्यतीत हो जाता है। हमने तो एक बेहद लंबा सफर तय किया है। हम दुनिया में सबसे नौजवान राष्ट्र-शक्ति हैं, 400 अरब डालर से अधिक की विदेशी मुद्रा का भंडार है, करीब 180 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था है, उद्योग-धंधे हैं, दुनिया में तीसरे नंबर की सैन्य शक्ति है और दूसरे स्थान का रेलवे नेटवर्क है। हम परमाणु शक्ति हैं। हमारी प्रगति को विश्व मानता है। दूसरी तरफ पाकिस्तान है, जो हमारा ही अलग हुआ एक हिस्सा है। पीड़ा होती है, क्षोभ होता है और अपने इतिहास-पुरुषों पर सवाल दागने का मन करता है, लेकिन अतीत से अब क्या हासिल होगा? लिहाजा अपने देश की आजादी, उसके संसाधनों, आविष्कारों, पुरुषार्थ और सामर्थ्य पर जश्न मनाएं। गर्व महसूस करें और ठहाका लगाकर जोर से कहें-हम भारतीय हैं। हमें भारतीय होने पर नाज है। हम अपने सैनिकों की बहादुरी पर, खासकर आज के दिन बलिहारी जाते हैं। जय हिंद, जय भारत, वंदे मातरम्!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App