एंबुलेंस ठप, तो कंपनी ब्लैक लिस्ट

कर्मचारियों के बार-बार हड़ताल पर जाने से प्रदेश सरकार ने कांट्रैक्ट खत्म करने के दिए संकेत, भेजा नोटिस

शिमला— प्रदेश में एंबुलेंस कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद राज्य सरकार सख्त हो गई है। प्रदेश में फिर से यह सेवा प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार ने जीवीके कंपनी को नोटिस भेज दिया है। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने नोटिस में निजी कंपनी को संकेत दिए हैं कि अगर एंबुलेंस कर्मचारी एक बार फिर हड़ताल पर जाते हैं, तो ऐसे में सरकार कंपनी के साथ कांट्रैक्ट समाप्त कर ब्लैक लिस्ट कर सकती है। सरकार के नोटिस के बाद जीवीके कंपनी में भी हड़कंप मच गया है। कंपनी को सरकार की ओर से यह नोटिस स्वास्थ्य सचिव की ओर से दिया गया है। बताया जा रहा कि सरकार ने भी 102 और 108 कर्मचारियों की मांगों को जायज बताया है। इससे साफ होता है कि अब 108 और 102 कर्मचारियों के मांग पत्र की ओर कंपनी को गंभीरता से विचार-विमर्श करना पड़ेगा। कंपनी की ओर से अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो ऐसे में उस पर बड़ी गाज भी सरकार की ओर से गिराई जाएगी। राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए नोटिस में साफ कहा गया है कि जिन मांगों पर कर्मचारी बार-बार हड़ताल पर जा रहे हैं, उन पर एंबुलेंस कर्मचारियों के साथ बैठकर बातचीत की जाए। वहीं हाई कोर्ट ने भी इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए भविष्य में ऐसी स्थिति न होने के आदेश दिए थे। यही वजह रही कि सरकार ने इस बार एंबुलेंस की जीवीके कंपनी के खिलाफ सख्ती दिखाई है। 102, 108 एंबुलेंस कर्मचारी लंबे समय से मांग कर रहे थे कि उनका न्यूनतम वेतन बढ़ाया जाए। साथ ही एंबुलेंस गाडि़यों की खराब व्यवस्था को सुधारने, उनके ड्यूटी घंटों को कम करने व स्थायी पालिसी की भी मांग कर्मचारियों ने सरकार से उठाई थी। एंबुलेंस कर्मचारियों की इन मांगों पर फिलहाल अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। ऐसे में देखना होगा कि सरकार के इन आदेशों के बाद जीवीके कर्मचारियों की मांगों पर गौर करते है या नहीं। हालांकि सरकार के इस फैसले से एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने राहत ली है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि सालों से लंबित पड़ी उनकी मांगें अब पूरी होंगी। फिलहाल एंबुलेंस कर्मचारियों ने आश्वासन मिलने के बाद अपनी हड़ताल गत शुक्रवार को समाप्त कर दी है।

कर्मियों की हड़ताल से मरीज बेहाल

बता दें कि एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश भर में स्थिति पूरी तरह से खराब हो गई थी। मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल हो गया था। यहां तक कि कई जिलों में ऐसे भी मरीज थे, जो समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए और उन्हें अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा था। एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश भर में स्वास्थ्य सुविधाएं ठप हो गई थीं।