कम रेट के चक्कर में फंसा वर्दी टेंडर

 शिमला— प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिलने वाली निःशुल्क नई स्मार्ट ड्रेस के लिए अब नए सत्र का ही इंतजार करना पड़ेगा। हैरानी की बात है कि पहले वर्दी को सिलेक्ट करने में विभाग ने कई महीनों लगा दिए, अब टेंडर प्रक्रिया के बीच में ही विभाग फंस कर रह गया है। जानकारी के अनुसार लगभग दस लाख छात्रों को मिलने वाली वर्दी  के लिए पांच कंपनियों में एक कंपनी का नाम भी विभाग तय नहीं कर पाया है। बताया जा रहा है कि विभाग और सिविल सप्लाई ने सबसे कम रेट बताने वाली कंपनियों की अलग से रिपोर्ट बनाई है, लेकिन शिक्षा विभाग और सरकार की ओर से तय किए गए रेट पर अभी तक उन पांच कंपनियों से भी सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में अब कहा तो यह भी जा रहा है कि विभाग दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया के प्रोसेस को शुरू करेगा। बता दें कि अगर ऐसा हो जाता है, तो इससे स्कूलों में छात्रों को मिलने वाली वर्दी का प्रोसेस और लंबा हो जाएगा। जानकारी के अनुसार सरकार लेवल पर स्कूल ड्रेस के लिए बनाई गई कमेटी की बैठक इस सप्ताह होने की भी बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली इस बैठक में वर्दी की खरीद का टेंडर किसे देना है, या फिर दूसरे चरण से वर्दी के टेंडर करने हैं, ये सब तय किया जाएगा। जानकारी के अनुसार कम रेट के चक्कर में शिक्षा विभाग की ओर से यह देरी की जा रही है। यदि वर्दियां बनाने के लिए अब ऑर्डर दिया जाता है, तो इसे तैयार करने में लगभग 60 दिनों का समय लगेगा। यानी कि इस वर्ष के अंत तक ही स्कूलों में नई वर्दियां पहुंच पाएंगी। नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी डा. एसएस गुलेरिया का कहना है कि स्मार्ट वर्दी को लेकर टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। जिन पांच कंपनियों ने टेंडर के लिए आवेदन किया था, उनका प्रोपोजल शिक्षा विभाग को भेज दिया है। इसके बाद अब किसी एक कंपनी को फाइनल करने के बाद वर्दियां तैयार करने का काम शुरू होगा।

ऐसी होगी स्मार्ट डे्रस

सरकारी स्कूलों में पहली से12वीं कक्षा तक के छात्रों को स्मार्ट वर्दी दी जानी है, जिसका रंग हरा और ब्राउनिश होगा। सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए स्मार्ट वर्दी के तहत चेकदार कमीज सलवार और लड़कों के लिए शर्ट और पैंट होगी।