जश्न की नहीं फिक्र, सिर्फ जांच का जिक्र

केसीसी बैंक के 100 साल पूरे होने के समारोह की तैयारियोंं पर नहीं हो रही कोई बात

धर्मशाला— कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक 17 मार्च 2020 को 100 साल का हो जाएगा। 1920 में बने बैंक के सौ साल पूरे होने पर पूर्व वर्ष के लिए बैंक द्वारा प्लांनिंग की जानी है। इसके लिए वित्तीय संस्थान को पूर्व योजना के आधार पर काम करते हुए उपभोक्ताओं, कर्मचारियों व बैंक के विस्तारीकरण के लिए प्लानिंग की जानी है, लेकिन जश्न मनाने की तैयारियों के बजाय यहां बैंक और ही मसलों से जूझ रहा है। यह पहला मौका है, जब बैंक जांच के खेल में ही उलझा हुआ है, हालांकि जांच के दौर में भी अभी तक बैंक किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाया है। इसके चलते बैंक की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सेंचुरी मारने जा रहा है। 17 मार्च, 1920 को अस्तित्व में आया सूबे का अपना सबसे बड़ा बैंक 100 साल पूरे करने वाला है। बैंक अपने 100 साल पूरे होने पर बड़े स्तर पर जश्न मना सकता है। सेलीबे्रशन के बूते ही बैंक अपनी साख को और बढ़ा सकता था, लेकिन यहां हालात कुछ और ही हैं। शायद यह पहला मौका है, जब इस समय बैंक के पास चेयरमैन तो है, और न ही नियमित एमडी। बैंक के 100 साल की विश्वसनीयता के बूते जो हासिल किया जा सकता था, उसके लिए बैंक अभी तक कुछ सोच ही नहीं पा रहा है। इन दिनों तो अगले साल की वित्तीय व्यवस्था की बात की जानी थी कि किस तरह लोन बढ़ाए जाएं, डिपोजिट बढ़ाए जाएं व एनपीए रिडयूस किए जाएं। ऐसे तमाम पहलुओं पर बैंक ने अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को टारगेट प्रदान करने थे, लेकिन इन सारे बिंदुओं पर निर्देश जारी करने वाला ही कोई नहीं है। राज्य की विभिन्न शाखाओं में काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी भी  परेशान हैं कि उनका मार्गशन कौन करे।

सैकड़ों करोड़ का है कारोबार

मार्च, 1920 को झोपड़ीनुमा कार्यालय से काम शुरू करने वाला कांगड़ा बैंक मौजूदा समय में कई आलीशान भवनों का मालिक हैं व सैकड़ों करोड़ का कारोबार कर रहा है। कई उतार-चढ़ाव देखते हुए बैंक हजारों लोग का विश्ववास जीतने में कामयाब हुआ, लेकिन पिछले कुछ समय से बैंक में निरंतर अनियमितताएं उजागर हुईं, जिससे बैंक की साख को बट्टा लगा है। बैंक में प्रशासन नहीं है, अधिकारी आपस में उलझ रहे हैं और कर्मचारी परेशान हैं।