ट्रांसफर एक्ट में बैकफुट पर सरकार

खुद राजनेता भी नहीं चाहते सख्त कानून, शिक्षकों के तबादले सरल बनाने की सोच

शिमला— सत्ता में आने के बाद खासकर शिक्षकों के तबादलों को लेकर एक्ट लाने की बात कर रही सरकार अब बैकफुट पर है। खुद राजनेता ही नहीं चाहते कि तबादलों को लेकर कोई सख्त कानून बने। इसके विपरीत सरकार इसका सरलीकरण करने की सोच रखती है, ताकि आपसी सहमति से सभी शिक्षकों को राहत मिल सके। वर्तमान में जो शिक्षक दूरदराज के क्षेत्र में लगा है, वह वापस सामान्य क्षेत्रों में नहीं आ पा रहा और बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं, जो एक सीमित दायरे से ही बाहर नहीं जाते। सरकार चाहती है कि किसी भी शिक्षक को परेशानी न हो और वह बच्चों को पढ़ाने का काम बिना किसी दबाव के कर सके। ऐसे में अभी एक्ट लाने की तो तैयारी नहीं है, परंतु शिक्षक संगठनों से सलाह करके सरकार नियमों में सरलीकरण करना चाहती है। इस संबंध में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने अभी तक शिक्षा विभाग के अलग-अलग आठ शिक्षण संगठनों के साथ बातचीत की है। उनके साथ पूरे मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है। शिक्षा विभाग में ऐसे 44 विभिन्न संगठन हैं और शिक्षा मंत्री चाहते हैं कि उन सभी के साथ वार्ता की जाए। इन संगठनों की राय को शामिल कर नियमों में फेरबदल किया जाएगा और ऐसे तबादला नियम तैयार होंगे, जिनसे शिक्षकों को भी राहत मिले और सरकार पर भी किसी तरह का दबाव न हो। पिछले दिनों शिक्षकों के तबादलों को लेकर लंबी लाइन सचिवालय में दिखाई देती है, लेकिन अब इसमें कुछ कमी आई है।

जुगाडू़ अध्यापकों की लिस्ट

शिक्षा विभाग ने एक सीमित दायरे में ही वर्षों से नौकरी करने वाले शिक्षकों की फेहरिस्त तैयार कर रखी है। इस फेहरिस्त में हजारों शिक्षक हैं, जिनमें राजनेताओं के रिश्तेदार और अधिकारियों के रिश्तेदार अधिक संख्या में हैं। ऐसे में ये लोग खुद भी नहीं चाहते कि उनके परिजनों के तबादले हों।

प्रेरणादायक टीचर भी हैं

शिक्षा विभाग में ऐसे शिक्षक भी हैं, जो अपने दम पर स्कूल को चला रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को प्रेरणादायक बनाने के लिए भी शिक्षा विभाग प्रयास कर रहा है और खुद शिक्षा मंत्री इनकी मिसालें दे रहे हैं।