प्रदेश में 660 डाक्टरों की कमी

जनसंख्या के अनुसार नहीं हुई तैनातियां, विभाग की स्वास्थ्य सुविधाएं जस की तस

कुल्लू — प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा बिना डाक्टर के अस्वस्थ है। पीएचसी, सीएचसी, सीएच, आरएच और जोनल अस्पतालों में डाक्टरों की भारी कमी चल रही है। प्रदेश की जनता डाक्टरों के लिए तरस रही है, लेकिन डाक्टरों की नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। कई अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टर ही नहीं हैं। हालांकि सरकार ने हाल ही में कुछ अस्पतालों के लिए डाक्टर तैनात कर दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद डाक्टरों की भारी कमी चल रही है। डाक्टरों की कमी को लेकर प्रदेश की कई जगहों पर प्रदर्शन भी चल रहे हैं। वहीं नियमों के अनुसार 1000 की जनसंख्या पर एक डाक्टर होना जरूरी है। हिमाचल की कुल जनसंख्या 70 लाख पर डाक्टरों के 1918 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 660 पद खाली हैं। इस तरह प्रदेश में 1258 डाक्टर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। कुल जनसंख्या के हिसाब से 5564 लोगों पर एक डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अगर कुल 1918 पदों पर डाक्टर तैनात हो भी जाएं, तो भी 3649 लोगों पर एक डाक्टर होगा। प्रदेश मेडिकल काउंसिल में 2849 डाक्टर रजिस्टर्ड हैं। इस तरह 1591 डाक्टर या तो निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं या अपना निजी क्लीनिक चला रहे हैं। कुछ डाक्टर प्रदेश के बाहर सेवाएं दे रहे हैं। प्रदेश में सबसे अधिक 237 पद कांगड़ा में खाली हैं। वहीं शिमला 225 और मंडी में 160 पद खाली हैं। प्रदेश में एमबीबीएस की कुल 600 सीटें हैं, जिसमें 85 प्रतिशत सीटें स्टेट कोटे की हैं और शेष 15 प्रतिशत संपूर्ण भारत के लिए रक्षित हैं। इसमें भी आईजीएमसी में 48, टांडा मेडिकल कालेज में 47, डा. वाईएसएसजीएमसी नाहन में 49, एसएलबीएस नेरचौक में 32, पीजेएलएनजीएमसी चंबा में 49, डा. आरकेजीएचसी हमीरपुर में 49 सीटें अनारक्षित और जनरल कोटे की हैं। प्रदेश सरकार को जिला के सभी अस्पतालों में जनसंख्या के हिसाब से डाक्टर एवं नर्सों की तुरंत भर्ती करनी चाहिए, ताकि प्रदेश की जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान हो सकें।

यहां इतने कम चिकित्सक

बिलासपुर में 56, चंबा में 60, हमीरपुर में 31, कांगड़ा में 103, किन्नौर में 23, कुल्लू 36, लाहुल-स्पीति 23, मंडी 125, शिमला 109, सिरमौर, 46, सोलन 35, ऊना 25, टीबीएस धर्मपुर एक, आरपीजीएमसी टांडा एक, एड्स सोसायटी में एक पद रिक्त है।