फाइन आर्ट्स कालेज का था सपना

पतलीकूहल —17 मई 2003 को अटल बिहारी वाजपेयी अपने मनाली प्रवास के दौरान अंतरराष्ट्रीय रौरिक मैमोरियल ट्रस्ट नगर के विकास को लेकर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों के साथ अपने घर प्रीणी में चर्चा की । उस समय अटल जी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए इस ट्रस्ट को एक करोड़ रुपए की विशेष ग्रांट दी, ताकि यहां पर फाईन आर्ट कालेज की स्थापना हो और हिमाचल प्रदेश इस तरह का यह पहला संस्थान होगा। तब से आज तक इस ओर कोई भी कार्य नहीं हुआ। क्योंकि कंेद्र में उनके बाद कांग्रेस की सरकार ने दस साल तक राज किया और उन्हें पुनः प्रधानमंत्री बनने का अवसर नहीं मिला। यदि वह फिर प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होते तो उनका यह सपना पूरा होता, हांलाकि यहां पर एक सप्ताह में आर्ट अकादमी के तहत नन्हें-मुन्हें को आर्ट का पाठ तो सिखाया जाता है ,लेकिन रौरिक इस कर्मस्थली में अटल जी आर्ट को बढ़ावा देना चाहते थे वह सपना सपना बनकर ही रहा गया है। यही नहीं उन्होंने यही नहीं वर्ष 2001 में अटल जी ने रौरिक सेंटर के पुर्ननिर्माण के लिए एक करोड़ की भी सहायता प्रदान की। लेकिन आज यह ट्रस्ट कर्मचारियों की पगार के लिए  भी सैलानियों की एंटरी  फीस के सहारे चल रहा है। कई मर्तबा तो कर्मचारियों की पगार के लिए भी किस्तों में उन्हें पगार लेने पर मजबूर रहना पड़ता है। यहां का कर्मचारी न्युनतम दिहाड़ी पर अपनी सेवाएं दे रहा है। आर्ट कालेज की बात तो कोसों दूर हैं कर्मचारियों को कई बार अपनी पगार न मिलने पर धरना प्रदर्शन का का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। अटल जी का मनाली में प्रीणी गांव में अपना आशियाना होने के कारण उनका कुल्लू घाटी से बेहद प्रेम रहा है और हर वर्ष मनाली प्रवास के दौरान यहां के लोगों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं और यहां के विकास के संदर्भ में बातें करने के साथ आर्थिक रूप से भी सहायता करते रहें।  लेकिन वर्ष 2004 के बाद केंद्र में भाजपा की सरकार नहीं आने से नगर में उनका आर्ट कालेज का सपना अधूरा रह गया है।  सैंकडों ग्रामिणों ने पूर्व प्रधानमंत्री को भावभनी श्रद्धांजलि दी।