बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज

घुमारवीं -घुमारवीं में एक शिक्षिका बेटी ने पिता की अर्थी को कंधा व शव को मुखग्नि देकर समाज में बेटी है अनमोल को प्रत्यक्ष चरितार्थ किया। यही नहीं बेटी अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन श्मसानघाट तक ही नहीं करेगी, बल्कि गंगा नदी में अस्थियां प्रवाह करने सहित अन्य रस्मों को भी निभाएगी। बेटी की इस बहादुरी से समाज में बेटों को बेटियों से अधिक तवज्जो देने वाले लोगों को संदेश भी मिला है। जानकारी के मुताबिक घुमारवीं की कोठी पंचायत के गांव बड्डू में चंडीगढ़ से एजुकेशन डिपार्टमेंट से रिटायर हुए बंशी राम (85) का निधन हो गया। बंशी राम (सदाराम) की दो बेटियां हैं। जिनमें एक बेटी की शादी हो गई है। जबकि दूसरी बेटी अविवाहित है। दिवंगत के रिश्तेदार विक्रम शर्मा ने बताया कि उनकी अविवाहित बेटी सरोज औहर स्कूल में टीजीटी पद पर कार्यरत है। जबकि दूसरी बेटी सावित्री का विवाह हो गया है। पिता के निधन पर जब अर्थी उठाने व श्मशानघाट में मुखग्नि देने की बात आई, तो उनकी बेटियां आगे आ गइर्ं। उनकी दोनों बेटियों ने पिता के शव को लगाई गई अर्थी को कंधा दिया। सीर खड्ड के किनारे दिवंगत बंशी राम का अंतिम संस्कार किया गया। जहां पर उनकी छोटी बेटी ने पिता के शव को मुखग्नि दी। इसके बाद हरिद्वार में गंगा नदी में अस्थि विर्सजन हो या फिर कर्मकांड। जिनका सारा निर्वहन बेटी ही करेगी। घुमारवीं में घटित हुई इस घटना ने समाज को एक बार फिर बेटियां नहीं हैं किसी से कम का संदेश दिया है।  दिवंगत के रिश्तेदार विक्रम शर्मा ने कहा कि बंशी राम की अर्थी को उनकी बेटियों ने कंधा दिया। जबकि श्मशानघाट में उनकी छोटी बेटी ने मुखग्नि दी। हरिद्वार में अस्थि विर्सजन व अन्य कर्मकांड दिवंगत की बेटी ही करेगी।