आनंदपुर-नैना देवी राेपवे के लिये पंजाब-हरियाणा के बीच समझौता

चंडीगढ़ – पंजाब में आनंदपुर साहिब और हिमाचल प्रदेश में नैना देवी मंदिर के बीच रोपवे स्थापित करने के लिये दो राज्यों के बीच आज एक समझौत पर हस्ताक्षर किये गये।  इस मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित थे। समझौते पर पंजाब के पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के सचिव विकास प्रताप और हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राम सुभाग सिंह ने हस्ताक्षर किये। लगभग साढ़े तीन किलोमीटर के इस रोपवे के निर्माण पर 250 करोड़ रूपये लागत आएगी। इस रोपवे के बीच आनंदपुर साहिब, तोबा और नैना देवी तीन टर्मिनल होंगे। दोनों राज्यों का इस परियोजना से प्राप्त राजस्व में बराबर का हिस्सा होगा।
कैप्टन सिंह ने इस समझौते का स्वागत करते हुए इसे दोनों राज्यों के लिये ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि इससे जहां श्री आनंदपुर साहिब और नैना देवी मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा होगी साथ ही दाेनों राज्यों में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इस मौके पर श्री ठाकुर ने कहा कि यह परियोजना काफी समय पहले ही पूरी हो जानी चाहिये थी क्योंकि यह दोनों ही राज्याें के लिये महत्वपूर्ण थी। उन्होंने कहा कि भले ही हिमाचल ने यह परियोजना 2014 में रद्द कर दी थी लेकिन कैप्टन सिंह के साथ बातचीत करने के बाद इसे बहाल किया गया। उन्होंने कहा कि श्री आनंदपुर साहिब और माता नैना देवी धार्मिक स्थानों की ऐतिहासिक तौर पर बहुत ज़्यादा महत्ता है। हर साल करीब 25 लाख पर्यटक नैना देवी आते हैं जिनमें से 80 प्रतिशत पंजाब से होते हैं। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत स्थापित की जाएगी। इस अवसर पर पंजाब के पर्यटन और सांस्कृतिक मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव वनीत चौधरी, पंजाब के मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, प्रधान प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्रीकांत बेदी तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे । उल्लेखनीय है कि पंजाब-हिमाचल प्रदेश सरकारों ने आनंदपुर साहिब और नैना देवी के बीच रोपवे स्थापित करने के लिए 26 जुलाई, 2012 को एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। पंजाब के पर्यटन विभाग ने इसके लिए 118 कनाल और 13 मरले अधिग्रहीत की थी लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार ने तीन जून 2014 को यह समझौता रद्द कर दिया था। फरवरी 2018 में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को बहाल करने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जिस पर पंजाब की आेर से भी इस पर सहमति प्रदान की गई। तदोपरांत पंजाब पर्यटन विभाग को हिमाचल प्रदेश सरकार की आेर से गत पांच सितम्बर को एक स्वीकृत समझौता प्राप्त हुआ जिस पर पंजाब मंत्रीमंडल ने गत 20 सितम्बर को मंजूरी दे दी।