क्या यह ‘नेशनल हेराफेरी’ का मामला

By: Sep 13th, 2018 12:05 am

इस मामले में राहुल गांधी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष संलिप्त नहीं हैं, लेकिन सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ही आरोपित हैं। दोनों ‘यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ कंपनी के निदेशक हैं और 76 फीसदी से ज्यादा शेयरों के मालिक हैं। दोनों आरोपित हैं कि 50 लाख रुपए में 90 करोड़ रुपए कर्ज वाली कंपनी उन्होंने कैसे खरीद ली? कांग्रेस ने एसोसिएटेड जरनल लिमिटेड (एजेएल) के लिए 90 करोड़ रुपए का कर्ज कैसे स्वीकृत किया? एजेएल की 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा की परिसंपत्तियां गांधी परिवार की निजी कंपनी को कैसे हस्तांतरित की गईं? कांग्रेस के भीतर कर्ज माफ करने की कोशिश क्यों की गई? सोनिया और राहुल गांधी ‘यंग इंडिया’ के साथ-साथ ‘एजेएल’ के भी निदेशक कैसे बन गए? ये तमाम मुद्दे ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार से जुड़े हैं, जिसकी स्थापना 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने की थी। ‘एजेएल’ इस अखबार के साथ-साथ ‘नवजीवन’ और ‘कौमी एकता’ अखबारों की भी मालिकाना कंपनी थी। उस कंपनी को 1956 में व्यावसायिक कंपनी का रूप दिया गया। लिहाजा नेशनल हेराल्ड और गांधी परिवार की कंपनी से जुड़ा प्रत्येक मुद्दा निजी नहीं, सार्वजनिक है, इसलिए देश को सब कुछ जानने का अधिकार है। अदालत का कथन भी ऐसा ही है। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय ने कोई अंतिम निर्णय नहीं सुनाया है और न ही आरोप तय किए हैं, लेकिन हाईकोर्ट की न्यायिक पीठ ने अपने शुरुआती फैसले में ‘आपराधिकता’ का उल्लेख जरूर किया है। बहरहाल वे अपराध क्या हैं, बाद में तय होंगे, लेकिन अदालत ने इतना जरूर तय कर दिया है कि किसी भी आय संबंधी मामले की दोबारा जांच करने का अधिकार आयकर विभाग को है, लिहाजा अब आयकर विभाग ‘यंग इंडिया’ और गांधी परिवार की आमदनी का आकलन नए सिरे से करेगा। राहुल गांधी नहीं चाहते थे कि इस मामले में अदालती कार्यवाही की कवरेज मीडिया में की जाए और आयकर विभाग दोबारा जांच करे, लेकिन अदालत ने गांधी परिवार की यह याचिका खारिज कर दी। इस तरह गांधी परिवार को एक झटका तो लगा है। यह मामला तब सामने आया है, जब 2019 के चुनाव का माहौल गरमाने लगा है, पाले खिंच गए हैं, मुद्दे तय होने लगे हैं और जनता को प्रभावित करने की राजनीति भी उग्र होती जा रही है। हालांकि मामला अदालत के विचाराधीन है, लिहाजा हम ऐसी टिप्पणी करने से परहेज करेंगे कि नेशनल हेराल्ड से जुड़े केस में भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन कुछ सवाल बेहद महत्त्वपूर्ण हैं। भाजपा ने इसे ‘नेशनल हेराफेरी’ करार दिया है और मोदी सरकार ने राहुल गांधी के खिलाफ कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को उतारा है। उन्होंने भी प्रेस कान्फ्रेंस के जरिए कुछ सवाल उठाए हैं। सवाल ये भी हैं कि क्या नेशनल हेराल्ड और गांधी परिवार का जुड़ाव एक घोटाला है? क्या भाजपा आयकर विभाग की आड़ में प्रतिशोध की राजनीति कर रही है? क्या नेशनल हेराल्ड कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए नासूर बन गया है? आयकर विभाग के बार-बार समन भेजने के बावजूद राहुल और सोनिया गांधी पेश क्यों नहीं हुए? क्या वे देश के संविधान और कानून से भी बड़े लोग हैं? किसी भी राजनीतिक दल का पैसा चंदा उगाही के जरिए इक_ा किया जाता है, क्या उसे किसी निजी कंपनी को ऋण देने में इस्तेमाल करना अवैध और अनैतिक नहीं है? इस संदर्भ में 2011-12 की आयकर रिटर्न गौरतलब है, जिसमें ‘यंग इंडिया’ और राहुल गांधी की आय 68 करोड़ रुपए दिखाई गई है, जबकि आयकर विभाग का आकलन है कि यह आय 154 करोड़ होनी चाहिए। दरअसल ऐसी ही विसंगतियों के मद्देनजर भाजपा सांसद डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने 2012 में केस दायर किया था। उन्होंने गांधी परिवार समेत कुछ कांग्रेस नेताओं पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए। सोनिया-राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे आदि पर भी आरोप हैं। स्वामी का आरोप था कि नेशनल हेराल्ड की कंपनी एजेएल के नाम देश के हिस्सों में करीब 5000 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां हैं, जिन पर कब्जा करने की रणनीति तैयार की गई थी। अदालत ने संज्ञान लिया और आज मामला अदालत के विचाराधीन है। सोनिया-राहुल गांधी जमानत पर हैं। जब गांधी परिवार एजेएल का भी ‘मालिक’ बना या आयकर विभाग में केस दर्ज हुए अथवा 90 करोड़ रुपए का ऋण कांग्रेस ने एजेएल को दिया, इन तमाम मामलों के वक्त केंद्र में भाजपा सरकार नहीं थी। फिर इसे ‘प्रतिशोध की राजनीति’ करार देकर भाजपा पर दोषारोपण क्यों किया जा रहा है? मामला ‘नेशनल सरोकार’ का है, तो उस पर चर्चा जरूर होगी। अब फैसला अदालत को देना है और उससे पहले गांधी परिवार, यंग इंडिया और एजेएल को आयकर विभाग के सामने पेश होना है। देखते हैं कि इस पूरे कांड के नेपथ्य में क्या मकसद सामने आता है?

 


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