डीसी कांगड़ा की चिट्ठी से बना धारा-118 का बखेड़ा
शिगूफा निकला नियमों में संशोधन का हो हल्ला, क्लेरिफिकेशन में गैर हिमाचली शब्द लिखने से बिगड़ी बात
शिमला —डीसी कांगड़ा की चिट्ठी ने धारा-118 के नियमों को बात का बतंगड़ बना दिया। उपायुक्त संदीप कुमार ने आईएएस अधिकारी हिमांशू शेखर के बेटे के जमीन खरीदने के मामले को लेकर राज्य सरकार से क्लेरिफिकेशन मांगी थी। डीसी ऑफिस से जारी चिट्ठी में गैर कृषक की जगह गैर हिमाचली शब्द लिखा गया था। इसी शब्द के आधार पर राज्य सरकार की क्लेरिफिकेशन को लेकर जारी अधिसूचना में गैर हिमाचली शब्द छप गया। इसके बाद यह अधिसूचना राज्य सरकार के लिए गले की फांस बन गई और मुख्यमंत्री के आदेश पर इसे रोक दिया गया। इस पूरे प्रकरण पर मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग से रिपोर्ट तलब की है। इसमें खुलासा हुआ है कि हिमांशू शेखर के बेटे ने डीसी ऑफिस कांगड़ा में धारा-118 के तहत जमीन खरीदने के लिए आवेदन किया। एचपी टेंडेंसी एंड लैंड रिफार्म्स एक्ट की धारा-1972 के तहत गैरकृषक को हिमाचल में जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है। इसके नियमों के तहत राज्य सरकार की अनुमति से कोई भी व्यक्ति हिमाचल में जमीन खरीद सकता है। इसके लिए आवेदक को लैंड यूज का उद्देश्य बताना होगा। नियमों में धारा-118 के तहत सिर्फ प्राइवेट जमीन खरीदने-बेचने का प्रावधान किया गया है। इसमें 500 स्क्वेयर मीटर आवास, 300 स्क्वेयर मीटर दुकान तथा सीलिंग एक्ट के दायरे में अपने व्यवसाय के लिए भूखंड खरीद सकता है। वर्ष 2014 को संशोधित नियमों के तहत इसके लिए आवेदकों को पांच श्रेणियों में रखा गया है। राजस्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिमांशू शेखर का बेटा नियमों के तहत आवेदन कर सकता है। बावजूद इसे डीसी कांगड़ा ने तीसरी कैटेगरी का हवाला देते हुए कहा कि कर्मचारी-अधिकारी के पुत्र-पुत्रियों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है? डीसी ऑफिस से जारी चिट्ठी में बाबू ने गैर हिमाचली शब्द का प्रयोग कर दिया। इस क्लेरिकल मिस्टेक को राजस्व विभाग भी नहीं पकड़ पाया और क्लेरिफिकेशन में इसी शब्द के आधार पर लिखा गया कि गैर हिमाचली अधिकारी-कर्मचारी के बेटे भी तीसरी कैटेगरी में आवेदन कर सकेंगे। इस क्लेरिफिकेशन नोटिफिकेशन पर भूचाल मच गया और आखिरकार सीएम को अधिसूचना पर रोक लगानी पड़ी। राजस्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पांचवीं कैटेगरी में दिए गए प्रावधानों के तहत भी हिमांशू शेखर का बेटा आवेदन कर सकता है। इस कारण नियमों में किसी तरह का संशोधन नहीं किया गया है।
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