डेडलाइन खत्म, तैयार नहीं हुआ डुग्घा पुल

हमीरपुर – हमीरपुर बस स्टैंड से भोटा चौक से होकर शिमला के लिए जाने वाले सड़क मार्ग पर डुग्घा के पास बन रहा पुल अपने निर्धारित समय में तैयार नहीं हो सका। रूट की महत्ता को देखते हुए डबललेन बनने वाले इस पुल की डेडलाइन 31 अगस्त, 2018 तय की गई थी। स्थानीय लोग और कारोबारी काफी दिनों से इंतजार कर रहे हैं कि कब यह पुल बनकर तैयार होगा और उनकी मुश्किलें  कम होंगी। तय समय पर पुल तैयार न होने से गुस्साए स्थानीय लोग अब बाइपास मेन रोड पर चक्का जाम करने की तैयारी में हैं। बता दें कि डुग्गा में निर्माणाधीन यह पुल हर दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। एनएच में न होते हुए भी इस पुल को डबललेन इसलिए ही बनाया जा रहा है, लेकिन काम में इतनी देरी हो चुकी है कि अब लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है। बताते हैं कि लोक निर्माण विभाग और संबंधित ठेकेदार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि ठेकेदार ने पांच-छह लोगों को काम पर लगा रखा है और अपनी  मर्जी से काम करवा रहा है। गौरतलब है कि पिछले दिनों स्थानीय लोगों ने डीसी हमीरपुर से भी मिलकर इस पुल का काम तय समय पर पूरा करवाने की गुहार लगाई थी। उसके बाद एसडीएम हमीरपुर ने वस्तुस्थिति जानने के लिए खुद मौके का दौरा किया था और संबंधित  विभाग और ठेकेदार को काम में तेजी लाने की बात कही थी। बता दें कि डुग्घा में बन रहे डबललेन पुल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। पुल पर स्लैब्स डल चुकी हैं। अब पुल के दोनों ओर सड़क को लेवल करने व डंगे लगने का थोड़ा काम बचा है।

ऐसे की है वैकल्पिक व्यवस्था

डुग्घा में डबललेन पुल के निर्माण कार्य के चलते हमीरपुर-शिमला रोड बंद हो गया है। इस दौरान मट्टनसिद्ध से दोसड़का-हमीरपुर के लिए वैकल्पिक मार्ग वाया तरोपका रखा गया है। वहीं मट्टनसिद्ध से भोटा चौक के लिए वैकल्पिक मार्ग वाया उसियाना किया  गया है। जबकि हमीरपुर के लिए वाया नाल्टी चौक (बाइपास) रूट निर्धारित किया गया है।

पिछले दिनों फंस गए थे स्कूल के बच्चे

बता दें कि पिछले दिनों जब तेज बारिश हुई थी, तो पुल के पार डुग्घा से दोसड़का के लिए आने वाले बच्चे तेज बहाव के चलते एक तरफ फंस गए थे। स्थानीय लोगों ने बच्चों के आने-जाने के लिए पुल के एक तरफ वैकल्पिक मार्ग बनाया था, लेकिन उस रोज पानी का बहाब सब कुछ बहा ले गया था। अध्यापक जब इस पार से बच्चों को लाने गए तो वे भी नाला पार नहीं कर पाए। उसके बाद बाइपास होकर स्कूल प्रबंधन की ओर से बसें भेजकर बच्चों को स्कूल पहुंचाया गया था।