पहाड़ के विकास को पंख लगा गए विनीत चौधरी

नौ महीने के अल्प कार्यकाल में शिखर पर पहुंचाया हिमाचल

 शिमला —प्रदेश के विकास को पंख लगाकर मुख्य सचिव विनीत चौधरी शनिवार को सेवानिवृत्त हो गए। साढ़े तीन दशक से अधिक समय तक विभिन्न प्रशासनिक पदों पर तैनात रहे विनीत चौधरी की गिनती मेहनतकश और साहसिक ब्यूरोक्रेट्स में होती रही है। महज नौ माह के अल्पकाल में मुख्य सचिव रहते हुए उन्होंने प्रदेश के लिए कई बड़े फैसले लिए। कसौली गोलीकांड और जल संकट की विकट परिस्थितियों में खुद मोर्चा संभाल कर सरकार की लाज बचाई। इन उपलब्धियों के कारण राज्य सरकार उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक पद सौंप सकती है। बताते चलें कि विनीत चौधरी वर्ष 1982 के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। उन्होंने लगभग 36 वर्ष तक भारत सरकार व राज्य में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दीं।  राज्य सचिवालय सभागार में शनिवार को उनके सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्य सचिवालय के अधिकारियों व कर्मचारियों को संबोधित करते हुए विनीत चौधरी ने कहा कि हम सबको आम जनमानस के हितों के कार्यों और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए ईमानदारी व समर्पण की भावना से अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। अतिरिक्त मुख्य सचिव बीके अग्रवाल ने कहा कि सकारात्मक सोच के व्यक्तित्व विनीत चौधरी कार्यों को अंजाम तक पहुंचाने में विश्वास रखते हैं और उनके सहयोगी अधिकारियों व कर्मचारियों को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। प्रदेश सरकार का जन मंच राज्य के आम लोगों से सीधे संवाद का एक बहुत बड़ा मंच बन चुका है और इसकी रूपरेखा तैयार करने में श्री चौधरी की बड़ी भूमिका रही है। इससे पूर्व उन्होंने श्री चौधरी को स्मृति चिन्ह व हिमाचली टोपी पहनाकर सम्मानित किया। सचिव सामान्य प्रशासन डा. आरएन बत्ता तथा सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीत ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे। सेवानिवृति के तुरंत बाद ओकओवर पहुंचे विनीत चौधरी की मुख्यमंत्री से 40 मिनट गहन मंत्रणा हुई है। बंद कमरे में हुई इस मीटिंग में विनीत चौधरी की अगली ताजपोशी पर चर्चा संभव रही है।