पांवटा के ब्रह्मचारी पूर्णानंद जी महाराज धोलीढांग गुरासा नहीं रहे, 116 साल की आयु में ली अंतिम सांस

पांवटा साहिब। लाखों अनुयायियों को सन्मार्ग की राह दिखाने व उतर भारत में सनातन धर्म का अलख जगाने वाले श्री श्री 1008 ब्रह्मचारी पूर्णानंद जी महाराज धोलीढांग गुरासा नहीं रहे। पांवटा के बातापुल आश्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। बीते एक सप्ताह से उन्हें सांस लेने की समस्या हो रही थी। जिसके बाद उनको जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा गया था। वह इस मई माह में 116वें वर्ष में प्रवेश कर गए थे। गुरूदेव के नाम से जाने जाने वाले श्री श्री पूर्णानंद जी महाराज कईं वर्षों से धौलीढांग आश्रम में तपस्यारत थे। क्षेत्र ही नहीं बहुत दूर -दूर तक उनको अति सम्माननीय सन्यासी के तौर पर जाना जाता रहा। उनके हिमाचल, उतराखंड, हरियाणा व यूपी में कई आश्रम हंै। उन्होंने कई स्थानों पर मंदिरों का निर्माण करवाया और लाखों अनुयायी हैं। गुरू जी के शरीर छोडऩे की खबर सुनते ही उनके अनुयायीयों में शोक की लहर दौड़ गई है। सोमवार को पूरे दिन भक्त सिद्धपीठ धोलीढांग में गुरु महाराज के दर्शन करेंगे। और निर्वाण मंगलवार को हरिद्वार में तय हुआ है।
*-फाईल फोटो गुरु महाराज*