मानसून सत्र 27 घंटे, 45 सवाल!

By: Sep 3rd, 2018 12:05 am

27 घंटे 14 मिनट

39 सेकंड चला सत्र

मानसून सत्र में दो विधेयक पास

27 घंटे 14 मिनट और 39 सेकंड चले मानसून सत्र में सरकार का डिफेंस और विपक्ष का वार देखने को मिला। सात दिन में सदन के भीतर किस तरह का माहौल रहा,  हमारे प्रतिनिधियों ने किन-किन मसलों को सदन पटल पर रखा और सरकार ने कैसे अपना पक्ष प्रस्तुत किया, इसी की तफतीश कर रहे हैं …

राज्य ब्यूरो प्रमुख मस्तराम डलैल विशेष संवाददाता शकील कुरैशी

45 सवालों, 14 प्रस्तावों पर हुई चर्चा

विधानसभा के 27 घंटे 14 मिनट और 39 सेकंड चले मानसून सत्र में 14 विधानसभा क्षेत्रों के सबसे ज्यादा मुद्दे उठाए गए।  जिलावार प्रश्न पूछने में कांगड़ा, शिमला और सिरमौर जिला सबसे आगे रहे। जाहिर है कि 23 अगस्त को शुरू हुए सत्र के पहले दिन दो घंटे 21 मिनट और 23 सेकंड सदन की कार्यवाही चली। इसके अगले दिन 24 अगस्त को तीन घंटे 59 मिनट और 54 सेकंड सत्र का आयोजन हुआ। दो दिन के अवकाश उपरांत 27 जुलाई को शुरू हुए सत्र की कार्यवाही चार घंटे पांच मिनट 39 सेकंड तक चली। इससे अगले 28 अगस्त को विधानसभा सत्र चार घंटे 20 मिनट और 36 सेकंड आयोजित किया गया। इसी तरह 29 अगस्त को तीन घंटे 10 मिनट और आठ सेकंड विधानसभा सत्र चला। छठे दिन 30 अगस्त को सबसे लंबा सत्र चार घंटे 45 मिनट और 32 सेकंड तक आयोजित हुआ। सबको उम्मीद थी कि सत्र के अंतिम दिन कार्यवाही लंच तक निपट जाएगी। बावजूद इसके अंतिम दिन भी सत्र चार घंटे 31 मिनट और 27 सेकंड चला। इस दौरान कुल 396 सवाल पूछे गए। नियम-324 के तहत सरकार ने 24 सवालों के लिखित जवाब उपलब्ध करवाए।  सदन में 45 सवालों पर जबरदस्त चर्चा की गई। इसके अलावा 14 प्रस्तावों  पर भी चर्चा की गई तथा दो विधेयक पास किए गए।

खाद्य व आपूर्ति विभाग का एक भी प्रश्न नहीं

हर विधानसभा सत्र में गूंजने वाला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का इस बार एक भी प्रश्न नहीं लगा। प्रदेश के किसी भी विधायक ने इस विभाग से संबंधित प्रश्न नहीं किया। हालांकि हर बार खाद्य पदार्थों की आपूर्ति और गुणवत्ता के मुद्दे सदन में खूब गूंजते रहे हैं। इसी कारण जयराम सरकार के मंत्रियों ने सदन के भीतर सबसे कम जवाबदेही खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री किशन कपूर की रही। हमीरपुर के विधायक नरेंद्र ठाकुर ने डिपो संचालकों को वेतन देने की चर्चा सदन में जरूर रखी थी।

महिला विधायकों ने साधे रखी चुप्पी

सदन में महिला विधायकों की चुप्पी सभी को खलती रही। महिला विधायकों की ओर से कोई सवाल सदन में नहीं उठा। एक महिला विधायक रीता धीमान केवल नशाखोरी पर हुई चर्चा में बोल पाईं। मंत्री सरवीण चौधरी की गूंज जरूर सदन में थी जिनके विभाग के कई मामले यहां उठे।

सवाल पूछने में आगे

विधायक विक्रम सिंह जरियाल, बलबीर सिंह वर्मा, नरेंद्र बरागटा, इंद्र सिंह, हर्षवर्धन सिंह चौहान, पवन काजल, आशीष बुटेल, लखविंद्र राणा, राकेश सिंघा, सुखराम, सतपाल सिंह, आशा कुमारी,  मोहन लाल, राकेश पठानिया,  राकेश कुमार, सुखविंदर सिंह, विक्रमादित्य, अनिरुद्ध सिंह के सवाल सदन में काफी ज्यादा संख्या में लगे। विधायक जगत सिंह नेगी ने सदन के अंत में यह भी कहा कि 21 सवाल उन्होंने लगाए थे, लेकिन उनका एक भी सवाल नहीं लग पाया जिस पर उन्होंने नाराजगी भी जताई।

बिंदल के सुझाव

जनहित से जुड़े मुद्दों पर बिंदल अपने क्षेत्र नाहन को नहीं भूले और मंत्रियों को ऐसे मामलों में नाहन का विशेष ख्याल रखने के लिए उन्होंने बाकायदा कहा। अपने क्षेत्र के लिए उनकी संवेदनशीलता इससे झलकी।

विपक्ष का चार बार वाकआउट

विधानसभा मानसून सत्र के दौरान आयोजित सात बैठकों में चार बार विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया। जयराम सरकार के इस पहले मानसून सत्र में पावर पॉलिसी और युवा कांग्रेस के शिमला धरना-प्रदर्शन पर सदन में जमकर हंगामा हुआ।  आठ माह की बेदाग सरकार का दम भरते हुए जयराम ठाकुर ने कई बार विपक्ष को सदन में चित किया। नेता प्रतिपक्ष  मुकेश अग्निहोत्री ने भी अक्रामकता के साथ कई बार सरकार को घेरने का प्रयास किया। कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर विपक्ष सरकार पर हावी रहा, लेकिन कांग्रेस को एकजुटता की कमी सत्र में भी साफ खलती रही।  सत्र के अंतिम दिन किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी अकेले वाकआउट कर गए।

मंडी की धाम ने लुभाया दिल

विधायकों व मीडिया के लिए इस दफा बेहतर बात यह रही कि भोजन के लिए शानदार स्थल मिला। जहां कभी भीड़भाड़ रहती थी वहां खुला माहौल था और खुली जगह उपलब्ध थी। इस नई व्यवस्था के लिए सभी ने विधानसभा अध्यक्ष डा.राजीव बिंदल के प्रयासों की सराहना की। दिलचस्प बात यह रही कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर रोजाना यहां आकर सभी के साथ भोजन करते थे। पर्यटन विकास निगम ने भी सभी के लिए बेहतर व्यंजन परोसने में कोई कमी नहीं छोड़ी। मंडी की धाम के चटकारे भी यहां लोगों ने लगाए जिसकी खूब प्रशंसा भी हुई।

वीरभद्र सिंह ने नहीं पूछा सवाल

सदन में  छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह ने एक भी सवाल नहीं पूछा। उन्होंने सदन की किसी चर्चा में भी हिस्सा नहीं लिया। हालांकि तबीयत खराब होने से पहले वीरभद्र सिंह हर समय सदन में उपस्थित रहे। चंबा के विधायकों ने अन्य जिलों के मुकाबले कम प्रश्न सदन में पूछे। भटियात के विधायक बिक्रम जरयाल ने अपने  क्षेत्र के कुछ अहम मुद्दे जरूर सदन में उठाए।

सिंघा ने बेबाकी से उठाए मुद्दे

मानसून सत्र में सबसे ज्यादा गंभीर ठियोग के विधायक राकेश सिंघा दिखे। अपने मुद्दों को सदन में बेबाकी से रखने वाले सिंघा प्रश्नकाल से ठीक पहले सदन में हाजिरी भरते रहे। अहम है कि सिर्फ लंच ब्रेक को छोड़कर उन्होंने एक पल भी चर्चा के दौरान सदन से बाहर नहीं बिताया। खुद का नाम चर्चा और प्रश्नकाल में शामिल न होने के बावजूद राकेश सिंघा सदन में डटे रहे।

राकेश पठानिया ने दिखाया दम

नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने सबसे ज्यादा चर्चाओं में हिस्सा लिया और सवाल पूछने में भी शीर्ष पर रहे। सीवरेज, खनन और स्वास्थ्य विभाग के मुद्दों पर राकेश पठानिया ने अपनी सरकार के मंत्रियों को भी  कटघरे में खड़ा करने से परहेज नहीं किया।

सीएम ने खुद संभाला मोर्चा

सरकार की तरफ से अधिकतर समय पर खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मोर्चा संभालना पड़ा। अपने आठ माह के कार्यकाल की उपलब्धियों और केंद्र से झोली भरकर लाई आर्थिक सहायता के दम पर मुख्यमंत्री अकेले ही विपक्ष पर भारी पड़े।

परमार के जवाब सब पर भारी

स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार धांसू किरदार में नजर आए। उन्होंने विपक्ष की हर चर्चा और सवाल का बेतोड़ जवाब दिये। विपिन सिंह परमार ने शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज की उपस्थिति में उनके विभाग का दायित्व संभालते हुए भी सदस्यों को बड़ी चतुराई से चुप करवाया। सरकार को विवेकानंद ट्रस्ट के मुद्दे पर घेरने की जबरदस्त तैयारी थी। बावजूद इसके परमार ने विरोधियों को सदन में चित कर दिया।

सुक्खू-चौहान-काजल की तिकड़ी ने दिखाई आंखें

विपक्ष की ओर से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू, हर्षवर्द्धन चौहान और  विधायक पवन काजल की तिकड़ी ने सरकार को कई बार आंखें दिखाई। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष  मुकेश अग्निहोत्री ने भी मौका आने पर सत्तापक्ष को कटघरे में खड़ा किया।

इन मुद्दों पर गरमाया माहौल

नियम 130 — विधानसभा सचिवालय के मुताबिक नियम 130 के चार प्रस्ताव यहां पर लगे जिन पर चर्चा हुई। इस नियम के तहत भारी बारिश से हुए नुकसान का मामला विधायक अनिरुद्ध सिंह, हर्षवर्धन सिंह, नरेंद्र बरागटा, मुकेश अग्निहोत्री व बलबीर वर्मा ने उठाया। इस पर विस्तृत चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब दिया गया। इसके  साथ पर्यटन नीति को लेकर भी विधायकों ने प्रस्ताव लाया जिस पर मुख्यमंत्री ने बताया कि किस तरह से राज्य में पर्यटन को सरकार बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। पर्यटन नीति पर विधायक होशियार सिंह, राकेश पठानिया,  नरेंद्र बरागटा, मुकेश अग्निहोत्री, सुरेश कश्यप व बलबीर सिंह ने चर्चा की। इसी नियम के तहत सदन में शिमला की गंभीर पेयजल समस्या पर भी बात हुई।  गर्मियों के दिनों में शिमला में पेयजल संकट हुआ था जिसके मुद्दे पर विस्तार से बात हुई। यह चर्चा विधायक अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह व मुकेश अग्निहोत्री ने लाई थी जिस पर दूसरे विधायकों ने भी खूब बोला।

नियम 62 — मानसून सत्र के दौरान सदन में नियम 62 के तहत भी चर्चा की गई। श्रीनैणादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर ने असामाजिक तत्त्वों द्वारा पंजाब से आकर इस क्षेत्र में गोली चलाई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई। इस मामले को सदन में उठाया गया जिसपर मुख्यमंत्री ने स्थिति स्पष्ट की।

नियम 62 में ही माकपा नेता राकेश सिंघा ने सेब बागवानों से लूट का मामला सदन में उठाया जिस पर भी सरकार ने गंभीरता से कदम उठाने की बात कही। इस पर कृषि मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने जवाब दिया था।

नियम 61— सदन में नियम 61 के तहत जनहित के पांच मामले उठाए गए। अलग अलग विधायकों ने इस नियम के तहत जनहित के मुद्दों पर चर्चा की जिस पर सरकार की ओर से जवाब मिले। इस नियम के तहत विधायक जगत सिंह नेगी, नरेंद्र ठाकुर, रामलाल ठाकुर, आशा कुमारी व विक्रमादित्य सिंह ने अपने उल्लेख किए।

नियम 63— इस नियम के तहत शुरुआत विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने की। उन्होंने नियम 63 में प्रदेश की ऊर्जा नीति पर चर्चा की जिसे लेकर सदन में खासा बवाल भी मचा। सरकार की ओर से ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने जवाब दिया, लेकिन उनके जवाब के चक्कर में ऊर्जा नीति पर सदन से दो दफा वाकआउट हुआ। पहले दिन चर्चा के बाद ही विपक्ष ने वाकआउट कर दिया और उसके बाद वक्तव्य देने के वक्त भी विपक्ष सदन से बाहर चला गया।

नियम 63 में सदन में कांगड़ा में हाई कोर्ट की बैंच स्थापित करने का मामला विधायक राकेश पठानिया व होशियार सिंह ने उठाया। ये विधायक चाहते थे कि कांगड़ा में हाई कोर्ट की बैंच बने ताकि चंबा के लोगों को भी जल्द न्याय मिल सके। इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जवाब देकर विधायकों को संतुष्ट किया।

नियम 324— नियम 324 के तहत सभी विधायकों को उनके द्वारा उठाए गए मामलों पर सरकार की ओर से लिखित जवाब दिए गए। इन पर सदन में चर्चा नहीं हो सकी क्योंकि ये मामले उनके विधानसभा क्षेत्रों के थे जिन पर सरकार की ओर से जवाब दिए गए। इस नियम में मुद्दों को उठाने वाले विधायकों में कर्नल इन्द्र सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, रामलाल ठाकुर, हीरा लाल,  होशियार सिंह, इंद्र सिंह, मूलख राज, इंद्र दत्त लखनपाल, राकेश पठानिया, हर्षवर्धन सिंह चौहान, धनीराम शांडिल, नंद लाल, पवन नैय्यर, आशीष बुटेल, लखविंद्र सिंह राणा, जिया लाल शामिल हैं।

मुकेश को मिला ओहदा

विधानसभा के इस सत्र की शुरुआत में  मुकेश अग्निहोत्री को विपक्ष के नेता का औहदा भी सरकार की ओर से दिया गया। सत्र शुरू होते ही विधायकों ने मुकेश को बधाई दी जिसके बाद खुलासा हुआ कि उन्हें कांग्रेस विधायक दल के नेता से अब विपक्ष का नेता बना दिया गया है।

अवैध खनन की गूंज

सदन में अवैध खनन की भी गूंज सुनाई थी। भाजपा के ही विधायक राकेश पठानिया ने अपनी सरकार को इस मुद्दे पर घेरते हुए नूरपुर व दूसरे सीमाई क्षेत्रों में अवैध खनन बारे जगाया। उन्होंने आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया कि राजनीतिज्ञ ऐसे लोगों को संरक्षण देते हैं। हालांकि उद्योग मंत्री के जवाब के बाद ये संकल्प भी वापस हो गया। इस चर्चा में कई विधायकों ने अपने क्षेत्रों में हो रहे अवैध खनन के मुद्दे उठाए। इसमें राम लाल ठाकुर, हर्षवर्धन सिंह, मोहन लाल ब्राक्टा समेत कई विधायक शामिल हुए।

356 सवालों की सूचना

मानसून सत्र के दौरान 272 तारांकित तथा 84 अतारांकित प्रश्नों की सूचनाओं पर सरकार द्वारा उत्तर उपलब्ध करवाए गए। नियम-61 के तहत पांच विषयों, नियम-62 के अंतर्गत छह विषयों, नियम-63 के अंतर्गत दो विषयों व नियम-130 के अंतर्गत चार प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इस दौरान विधानसभा सदस्यों ने सार्थक चर्चा की। इसके अतिरिक्त नियम-101 के अंतर्गत तीन गैर-सरकारी संकल्प और पिछले सत्र में प्रस्तुत  संकल्प पर भी चर्चा की गई। इस दौरान विधानसभा सदस्यों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए व संकल्प वापस लिए गए। सरकारी विधेयक भी सभा में पुनःस्थापित एवं सार्थक चर्चा के बाद पारित किए गए। नियम-324 के अंतर्गत विशेष उल्लेख के माध्यम से 24 विषय सभा में उठाए गए। सभा की समितियों ने भी 49 प्रतिवेदन सभा में प्रस्तुत एवं उपस्थापित किए। इसके अलावा मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने अपने-अपने विभागों से संबंधित छह वक्तव्य दिए गए और दस्तावेज सदन के पटल पर रखे  गए।

कुछ यूं चला मानसून सत्र का कारवां

अटल जी को श्रद्धांजलि

1 दिन

विधानसभा के मानसून सत्र का पहला दिन भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया गया। अटल जी को  श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सदन के नेता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शोक प्रस्ताव रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कई योजनाएं आरंभ करने पर सरकार विचार कर रही है। विधानसभा अध्यक्ष डा.राजीव बिंदल ने  कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने की पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी की थी।  सदस्यों ने अटल जी को सदन में श्रद्धांजलि दी।

आपदा प्रबंधन-खेलों पर चर्चा

2 दिन

सत्र में दूसरे दिन आपदा प्रबंधन और स्कूली खेलों के वार्षिक कैलेंडर सहित कई अहम मुद्दों पर सदन में चर्चा हुई। विधायक प्राथमिकी योजना में पारदर्शिता का मामला प्रमुखता से उठा। इसके अलावा शिमला जिला के बहुचर्चित ठियोग-हाटकोटी सड़क मार्ग में जांच के आदेश पारित किए गए।  प्रश्नकाल के दौरान तथा दोपहर बाद विपक्ष के दो बार वाकआउट को छोड़कर सदन में कई अहम मसलों पर चर्चा हुई। प्रश्नकाल के बाद सदन में आपदा प्रबंधन और मौसम से हुए नुकसान को लेकर गहन चर्चा हुई।

जमकर हुई नारेबाजी

3 दिन

तीसरे दिन की शुरुआत जबरदस्त हंगामे के साथ हुई और विपक्ष ने दो बार वेल में आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सत्तापक्ष के विधायकों ने भी नारेबाजी का जमकर पलटवार किया। इसके चलते सत्र को 15 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।  विधानसभा अध्यक्ष ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए बुलाकर सहमति बनाई। बावजूद इसके दोबारा शुरू हुए सत्र में भी हंगामा ही बरपा। दरअसल  युवा कांग्रेस के प्रदर्शन का मुद्दा सदन में जोरदार ढंग से उठा।

जलसंकट-सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर गहमागहमी

4 दिन

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अनुपस्थिति में विधानसभा के सत्र में खूब हंगामा रहा। शोर-गुल के बीच दोनों पक्षों में हल्की-फुल्की तनातनी बनी रही। प्रश्नकाल के दौरान सामाजिक सुरक्षा पेंशन के मामलों को लेकर विधायक रमेश धवाला के सवाल पर सदन में जबरदस्त गहमा-गहमी हुई। इसी मुद्दे पर उठाए गए अनुपूरक सवालों के घेरे में सरकार को लिया गया। इसके अलावा नियम-130 के तहत शिमला शहर के जल संकट पर एक-दूसरे के खिलाफ दोनों ओर से छींटाकशी हुई। जयराम ठाकुर की अनुपस्थिति में आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सरकार की तरफ से मोर्चा संभाला। राजीव सहजल की गैर हाजिरी में   सरवीण चौधरी ने सरकार का पक्ष रखा।

रमेश धवाला के अंदाज पर ठहाकों की गूंज

5 दिन

लगातार  वाकआउट के बाद पांचवें दिन विधानसभा के मॉनसून सत्र में सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई।  ओबीसी आरक्षण पर सदन में ठहाकों की गूंज भी सुनने को मिली। विधायक रमेश धवाला ने अपने ही अंदाज में सवाल उठाते हुए कहा कि ओबीसी के बारे में सरकार को सोचना होगा, वरना यह प्रजाति विलुप्त हो जाएगी। यह सुनकर सदन में जोरदार ठहाके लगने शुरू हो गए। सदन के बाहर मंच के दौरान भी ओबीसी प्रजाति के इस शब्द पर खूब चर्चा रही।

अनिल-सरवीण पर साधा निशाना

6 दिन

छठे दिन जयराम सरकार के दो मंत्री निशाने पर रहे। ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा को विपक्ष ने एकजुटता से घेरा और वाकआउट करके अपने इरादे जाहिर भी कर दिए।  सरवीण चौधरी के विरुद्ध अपने ही विधायकों ने मोर्चा खोले रखा। सीवरेज के दशकों से लटके निर्माण कार्य पर सरवीण चौधरी को सात अनुपूरक सवालों का जवाब देना पड़ा। राकेश पठानिया,  परमजीत पम्मी तथा विक्रम जरयाल ने ही अपनी सरकार की घेरेबंदी कर दी।

जगत सिंह नेगी अकेले ही कर गए वाकआउट

7 दिन

मानसून सत्र के अंतिम दिन किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी अकेले ही सदन से वाकआउट कर गए। आखिरी दिन आउटसोर्स विवेकानंद ट्रस्ट हिमाचली कलाकारों के मुद्दे प्रश्नकाल में उठाए गए। नियम-62 के तहत शिमला शहर में प्राइवेट स्कूलों के एचआरटीसी बस किराए की बढ़ोतरी, डेंगू के डंक और गुम्मा प्रोसेसिंग प्लांट के प्रस्तावों पर सदन में जबरदस्त चर्चा हुई।

तीन विधायक अस्वस्थ

मानसून सत्र के दौरान वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह सदन की बैठकों में मौजूद रहे, लेकिन  उन्होंने किसी भी मुद्दे पर हस्तक्षेप नहीं किया।  आखिर में एक दिन पूर्व वह अस्वस्थ हो गए जिनको आईजीएमसी में भर्ती करना पड़ा। विधायक रमेश धवाला  भी आखिरी दिन अस्वस्थ हो गए।   सुजान सिंह पठानिया शुरुआत से ही सदन में नहीं आ सके ।

छह साल का हिसाब

पहली बार मानसून सत्र में ऐसा हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष ने पुराने मानसून सत्रों को रिकॉर्ड पेश किया। डा.बिंदल ने यहां पर बताया कि  2013 में  नियम 61 में 2 मामले चर्चा के लिए लगे थे।  2014, 2015, 2016, 2017 में एक भी मामला इस नियम के तहत चर्चा में नहीं आया। इस सत्र में 5 मुद्दों को नियम 61 के तहत सदन में चर्चा के लिए रखा गया था। नियम 62 में वर्ष 2013 में 2 मुद्दे, 2014 में शून्य, 2015 में 2, 2016 में 4, 2017 में शून्य तथा इस सत्र में 6 मुद्दे लगाए गए हैं।


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