संगड़ाह में चार साल से नहीं मिले नए रूट

संगड़ाह— उपमंडल संगड़ाह में बसों की भारी कमी के मुद्दे पर स्थानीय महाविद्यालय के छात्रों द्वारा पिछले एक साल में तीन बार प्रदर्शन किए जाने के बावजूद क्षेत्र में अब तक कोई नई बस नहीं चली।  24 अगस्त को छात्रों की हड़ताल के बाद हालांकि कस्बे में चलने वाली लोकल बस के रूट में कुछ फेरबदल किया गया, मगर संगड़ाह से आसपास के दर्जन भर गांवों के लिए नई बस चलाए जाने की मांग पूरी नहीं हो सकी। विकास खंड संगड़ाह कि 41 पंचायतों की करीब 74,000 की आबादी के लिए वर्तमान में मात्र डेढ़ दर्जन के करीब सरकारी बस में मौजूद है तथा निजी बसों की संख्या भी लगभग इतनी ही है। इलाके में बसों की कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुबह दस बजे से पहले नौहराधार व देवना से संगड़ाह पहुंचने वाली निजी बस दीपू कोच तथा परिवहन निगम की देवना बस के यहां पहुंचने के दौरान इनमें आए दिन सौ के करीब यात्री होना आम बात है। भारी भीड़ के चलते गत माह से कईं बार निजी बस डुंगी नामक स्थान पर नहीं रुकी, जहां सुबह साढ़े आठ बजे अकसर गांव डुंगी, भावन, कडि़याना व कशलोग की 40 से 50 सवारियां बस के इंतजार में खड़ी रहती हैं। इसके अलावा संगड़ाह-नाहन मार्ग पर बोरली व राईचा तथा संगड़ाह-चौपाल मार्ग पर अंधेरी व मंडोली नामक गांव में भी सुबह नौ से 10 बजे के बीच संगड़ाह पहुंचने वाली बसों में कई यात्रियों को खड़े होने की भी जगह नहीं मिलती।  क्षेत्र के निजी बस आपरेटरों के मुताबिक वह उपमंडल संगड़ाह के गांव अरलू, टिक्कर, रतवा तथा घाटों आदि की नई अथवा कच्ची सड़कों से पांवटा साहिब के लिए रूट स्वीकृत करवाए जाने के मुद्दे पर कईं बार पंचायतों द्वारा पारित प्रस्ताव की प्रति के साथ संबंधित अधिकारियों से मिल चुके हैं।  संगड़ाह कालेज के तीनों संगठनों के साढ़े तीन सौ के करीब छात्रों द्वारा 24 अगस्त को बसों की भारी कमी के मुद्दे पर कस्बे में प्रदर्शन के बाद एसडीएम संगड़ाह को ज्ञापन सौंपा गया था । साढ़े पांच वर्षों में उपमंडल संगड़ाह की सड़कों पर वाहन हादसों में 106 लोगों की जाने जा चुकी हैं तथा इनमें से 48 की मौत तीन निजी बस हादसों में हुई।