स्वतंत्रता सेनानी का गांव आज भी पैदल

सुजानपुर —राज्य की सरकार लोगों को सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर अब तक किए गए वादों का परिणाम सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र की पंचायत करोट में शून्य स्तर पर देखने को मिलता है। यही कारण है कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद आज तक इस क्षेत्र को सड़क सुविधा से नहीं जोड़ा गया। इसके लिए यहां पर इस पंचायत में जीवन बसर कर रहे लोग अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। आम जन की बात तो दूर इस पंचायत का गांव सरघूण हीरा जो कि स्वतंत्रता सेनानी के नाम से जुड़ा हुआ है, वह गांव भी सड़क सुविधा को तरस रहा है। सरकारें स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों की सुविधाओं के नाम पर राजनीति करती आ रही हैं। उन्हें हर सुविधा देने का ढिंढोरा पिटती है, परंतु धरातल पर काम शून्य है। यहां तक कि स्वतंत्रता सेनानियों के पैतृक गांवों व उनके आश्रितों को दरकिनार किया जाता है। इसी पंचायत के सरघूण हीरा गांव के स्वतंत्रता सेनानी नरैण दास के इस पैतृक गांव को आज तक किसी भी सरकार ने सड़क सुविधा मुहैया नहीं करवाई। इस गांव में लगभग 50 परिवार रहते है, जो कि आज तक अनदेखी का शिकार हुए है। ऐसा नहीं है कि लोगों ने मांग नहीं की जब कोई राजनीतिक दल यहां आता है, तो उनको समस्याएं बताई जाती हैं। आज तक आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं मिला। अकेले स्वतंत्रता सेनानी के ही पारिवारिक सदस्यों की संख्या लगभग 70 के करीब है, परंतु सबको मलाल है कि आज तक न तो सरकारों ने उनको मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लिया न ही प्रशासन ने। स्वतंत्रता सेनानी के छह बेटे हैं। तीन फौज की नौकरी कर रिटायर्ड हो चुके हैं, जबकि दो का स्वर्गवास हो चुका है। परिवार को लगता है कि उन्हें स्वतंत्रता सेनानी के परिजन होने की सजा दी जा रही है। इस संबंध में उपमंडल अधिकारी सुजानपुर शिव देव सिंह का कहना है कि संबंधित विभाग को इस बारे में पूछा जाएगा। यदि संभव हुआ, तो स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को हर संभव सुविधा प्रदान की जाएगी।