कर्ज की औपचारिकताएं कम करें बैंक

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आह्वान, प्रदेश में सीडी रेशो का गिरना चिंताजनक

 शिमला —मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बैंक  प्रबंधकों को साफ कहा है कि वह लोगों को ऋण देने के लिए अपनी औपचारिकताओं को आसान बनाएं, ताकि प्रदेश के लोग अधिक से अधिक संख्या में बैंकों से मिलने वाले ऋण का लाभ ले सकें और यहां बेहतर माहौल कायम हो।  उन्होंने राज्य में लगातार गिर रही क्रेडिट-डिपोजिट रेशो पर चिंता जताई और कहा कि बैंकों को इसका समाधान खोजना चाहिए। सीएम ने कहा कि बैंकरों को लक्षित क्षेत्रों कृषि, पर्यटन, बागबानी, सेवा क्षेत्रों मेंसमग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए ऋण-जमा अनुपात को बढ़ावा देना चाहिए। मंगलवार को यहां मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय बैंकर्ज सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कि राज्य में ऋण-जमा अनुपात 35.47 प्रतिशत है, जो कि राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। उन्होंने कहा कि बैंकों को लोगों को संस्थागत ऋण उपलब्ध करवाने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए। अनुप्रासंगिक मुक्त ऋण के लिए तथा ऋण गारंटी कवरेज प्रदान करने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर मीडिया एंड स्माल इंटरप्रेन्योर के पूर्वावलोकन के तहत राज्य में सहकारी बैंक लाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि केवल 46.51 प्रतिशत परिवारों ने ही नए संस्थागत ऋणों का विकल्प चुना है।  इसलिए बैंकरों को वित्त उपलब्ध करवाने के लिए आसान व सरल प्रक्रियाएं अपनानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को ऋण लेने को प्रेरित करने के लिए सहकारी समितियों जैसे स्वयं सहायता समूहों, किसान संघों आदि का सहयोग लेना चाहिए। बैंकिंग गतिविधियों का विस्तार करने के लिए स्वास्थ्य, कौशल विकास, मानव संसाधन विकास क्षेत्रों में अत्यधिक संभावनाएं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत ऋण सुविधाएं कम हैं, इसलिए बैंकिंग क्षेत्रों को ऋण-जमा अनुपात में वृद्धि के लिए इन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्थागत ऋणों के लाभ के बारे में किसानों को जागरूक करने की जिम्मेदारी बैंकों की भी है।

आवास क्षेत्र पर ध्यान दें

अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल कुमार खाची ने कहा कि राज्य में बैंकों के पास 1.05 लाख करोड़ की जमा पूंजी है, जबकि इसमें से केवल 37400 करोड़ के ऋण हैं। बैंकों को ऋण-जमा अनुपात बढ़ाने के लिए आवास क्षेत्र पर भी ध्यान देना चाहिए।