कोष बांटने के लिए बने संस्थान

पूर्व आरबीआई गवर्नर रेड्डी ने बताई राज्यों की जरूरत

 हैदराबाद —रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डा. वाईवी रेड्डी ने सोमवार को कहा कि राज्यों को कोष आबंटन के मामले देखने के लिए देश में स्थायी संस्थागत व्यवस्था की कमी है। यहां सेंट्रर फार इकॉनोमिक एंड सोशल स्टडीज में अपने व्याख्यान में रेड्डी ने कहा कि वास्तव में ऐसा कोई संस्थान नहीं है, जो सभी राज्यों की जरूरतों को ध्यान में रखकर सकल रूप से संसाधनों के वितरण को देखे। उन्होंने कहा कि आबंटन का फार्मूला तय करने वाले वित्त आयोग का गठन पांच साल में एक बार होता है और वह केवल आबटन के खातों को देखता है, लेकिन आयोग राज्यों के बीच असमानताओं से जुड़े सभी मसलों का समाधान करने की स्थिति में नहीं रहता। उन्होंने कहा कि निश्चचित रूप से आयोग ऐसा कोई पूर्ण संस्थान नहीं है, जो राज्यों के बीच ‘असामानताओं’ पर ध्यान दे सके। श्री रेड्डी ने कहा कि योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया है। उसकी जगह नीति आयोग ने लिया है, पर वह राज्यों के संसाधन के बंटवारे के मामले को नहीं देखता। यह अलग-अलग मंत्रालयों के माध्यम से हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यों को संसाधन के आबंटन के मामले में संस्थागत ‘खालीपन’ है और केंद्रीय मंत्रालयों ने इसका स्थान ले लिया है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि वित्त आयोग असमानता से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान नहीं करता क्योंकि यह लगातार काम नहीं करता। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को केंद्र प्रायोजित योजनाओं को केंद्र शासित प्रदेशों या पूर्वोत्तर राज्यों में सफलतापूर्वक लागू करना चाहिए और उसके बाद राज्यों से उसे क्रियान्वित करने के लिए कहना चाहिए।