गाडि़यों में आने वाले देवताओं का कटेगा नजराना

कुल्लू—सबसे बडे़ देव समागम यानी दशहरा उत्सव में आने वाले देवी-देवताओं के रथों को अगर कारकूनों ने गाडि़यों में लाने का प्रयास किया तो समझ लो कि उनके नजराने पर सीधी कैंची लगेगी। वहीं, कारकूनों के इस प्रयास से देव  संस्कृति और आस्था पर भी गहरा धक्का लगेगा। जहां बजौरा में प्रवेश करते ही आनी, निरमंड, बंजार, सैंज के देवी-देवता प्रवेश करेंगे तो वे सीसीटीवी कैमरे की नजर में रहेंगे। बजौरा से कुल्लू तक की सारी यात्रा कदमों-कदमों पर सीसीटीवी कैमरे में कैद होती रहेगी। यही नहीं जहां पुलिस लोगों की इफाजत के लिए चप्पे-चप्पे में तैनात रहेगी। वहीं, सोने-चांदी के आभूषणों से सुसज्जित देवी-देवताओं की यात्रा के दौरान पुलिस जगह-जगह मुस्तैद रहेगी ताकि यात्रा के दौरान देवी-देवताओं शान से अपनी कारकूनों और हारियानों के साथ ढालपुर पहुंचे और ढालपुर से वापस सात दिनों बाद देवालय लौटे। इसी बीच  बजौरा तक पुलिस के अलावा अन्य अधिकारियों का यह भी पहरा रहेगा कि किसी देवी-देवता के रथ को गाडि़यों में तो नहीं लाया जा रहा है। लिहाजा, गाडि़यों में देवी-देवताओं को लाने के लिए दशहरा कमेटी ने मनाई कर दी है ताकि पैदल आने से यहां की देव संस्कृति पूरी तरह से कायम रहे। मान्यता यह है कि अगर किसी भी क्षेत्र से होकर कोई देवी-देवता ढोल-नगाड़ों की थाम के साथ आता है तो वह अपनी परिक्रमा से आसुरी शक्तियों को भगा देता है। इसके साथ-साथ कई दुखों का निवारण देवी-देवता परिक्रमा से ही करते हैं। बता दें कि इससे पहले के कई दशहरा उत्सव में देवी-देवताओं के रथों को कारकूनों ने गाडि़यों में लाया है और दशहरा मैदान से एक-दो किलोमीटर पीछे देवी-देवताओं को उताकर फिर  पैदल यात्रा होती रही है। लेकिन इस बार यह बिलकुल भी मान्य नहीं होगा। प्रशासन ने कारकूनों को ऐलान किया है कि आनी, निरमंड, सैंज-बंजार के देवी-देवताओं के रथों को पैदल यात्रा करते हुए ढालपुर में पहुंचाएं और वापसी पर भी पुरानी देव संस्कृति संस्कृति को कायम रखते हुए देवी-देवताओं को घर पहुंचाया जाए। बता दें कि इस बार अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ आकर्षक बनाने के लिए दशहरा क कमेटी ने 305 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा है। इन देवी-देवताओं के अस्थायी शिविर के साथ-साथ अन्य सुविधाओं का भी दशहरा कमेटी ने प्रावधान किया है। लेकिन कमेटी का ऐलान है कि जो देवी-देवता दशहरा उत्सव में कभी भी नहीं आए हैं वह नहीं आएं। क्योंकि ढालपुर में देवी-देवताओं को बिठाने के लिए जगह नहीं है। ऐसे में यहां पर दिक्त आ सकती है। लेकिन जो देवी-देवताओं आते हैं उनकी सुविधा के लिए बेहतरीन इंतजाम कर रखे हैं। बहरहाल दशहरा उत्सव में आने वाले देवी-देवताओं की यात्रा गाडि़यों में बिल्कुल भी मान्य नहीं होगी। दशहरा कमेेटी गाडि़यों में आने वाले देवी-देवताओं के नजराने पर कटौती करेगी।