जीएसटी – बढ़ रही है रिटर्न नहीं फाइल करने वालों की संख्या

नयी दिल्ली – वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में पंजीकृत करदाताओं की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन साथ ही रिटर्न नहीं फाइल करने वाले करदाताओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है। पिछले साल 01 जुलाई से देश भर में अप्रत्यक्ष कर की नयी व्यवस्था जीएसटी लागू की गयी थी। उस समय पंजीकृत करदाताओं की संख्या 74,61,214 थी। सूत्रों ने बताया कि अब तक 87.02 प्रतिशत ने जुलाई 2017 के लिए रिटर्न दाखिल कर दिया है। वहीं, इस साल जुलाई में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 94,70,282 पर पहुँच गयी है, लेकिन इनमें से 73.15 प्रतिशत ने ही रिटर्न दाखिल किया है। जीएसटी के तहत डेढ़ करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले करदाताओं को अब तिमाही रिटर्न भरना होता है जिसकी अंतिम तिथि तिमाही समाप्त होने के बाद एक महीने तक होती है। वहीं डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार करने वालों को हर महीने रिटर्न दाखिल करना होता है और इसके लिए उन्हें 20 दिन का समय मिलता है। अंतिम तिथि के बाद रिटर्न फाइल करने में जुर्माना देना होता है। हालाँकि जीएसटी परिषद् समय-समय पर विभिन्न कारणों से अंतिम तिथि जुर्माने में राहत देती रही है। सूत्रों ने बताया कि चिंता की बात यह है कि रिटर्न नहीं भरने वालों का प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है। नवंबर 2017 के लिए उस समय पंजीकृत 88.60 प्रतिशत करदाताओं ने अब तक रिटर्न दाखिल किया है। दिसंबर 2017 के लिए 87 प्रतिशत, इस साल जनवरी के लिए 86 प्रतिशत, फरवरी के लिए 85 प्रतिशत और मार्च के लिए 83 प्रतिशत करदाताओं ने रिटर्न भरा है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल के लिए 82 प्रतिशत, मई के लिए 79 प्रतिशत, जून के लिए 77 प्रतिशत और जुलाई के लिए 73.15 प्रतिशत रिटर्न अब तक भरा गया है। सबसे ज्यादा 93.28 प्रतिशत रिटर्न पिछले साल अगस्त के लिए भरे गये हैं।
उनका कहना है कि जुलाई के लिए कंपोजिट श्रेणी के डेढ़ करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाले करदाताओं के रिटर्न 31 अक्टूबर तक भरे जाने हैं इसलिए इस आँकड़े में सुधार की गुंजाइश है। लेकिन, पुराने आँकड़ों में बहुत ज्यादा सुधार की संभावना नहीं है। वहीं, एक सकारात्मक सुधार यह हुआ है कि रिटर्न भरने वालों में बड़ी संख्या में लोग अब समय सीमा के भीतर रिटर्न भरने लगे हैं ताकि उन्हें जुर्माना न देना पड़े। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले सप्ताह बताया था कि जुलाई 2017 में उस समय पंजीकृत करदाताओं में से मात्र 51.40 प्रतिशत ने ही समय सीमा के भीतर रिटर्न भरी थी। ऐसे करदाताओं की संख्या इस साल जुलाई में बढ़कर 67.99 प्रतिशत पर पहुँच गयी।