मौन पालन पर अस्सी प्रतिशत सबसिडी

गगरेट—आप अगर बेरोजगार हैं और स्वरोजगार की सोच रहे हैं तो मौन पालन आपके लिए एक बढि़या विकल्प हो सकता है। खादी ग्रामोद्योग आयोग मौन पालन पर अस्सी फीसदी सबसिडी प्रदान कर रहा है। बुधवार को खादी ग्रामोद्योग आयोग के डिप्टी डायरेक्टर मांगे राम ने बीस मौन पालकों को गगरेट में आयोजित एक कार्यक्रम में दस-दस डिब्बे प्रदान किए। अहम बात यह है कि दस डिब्बों में मौन पालन कर लाभार्थी एक सीजन में एक लाख रुपए तक कमा सकता है। उपमंडल अंब के खरोह गांव के एक पोस्ट ग्रेजुएट युवक इकबाल ठाकुर को मौन पालन का व्यवसाय भाया है और अब उसने मौन पालन के सौ डिब्बे कर लिए हैं। खादी ग्रामोद्योग आयोग के डिप्टी डायरेक्टर मांगे राम ने बताया कि वर्ष 2014 में श्वेत क्रांति की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीट क्रांति को बढ़ावा देने के लिए पहल की थी और इसके लिए खादी ग्रामोद्योग को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया। इस साल देश भर में मौन पालन के लिए दो लाख दस हजार डिब्बे वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है और हिमाचल प्रदेश में इस साल तीन सौ लाभार्थियों को तीस हजार डिब्बे मौन पालन के लिए वितरित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिए अस्सी फीसदी तक सबसिडी प्रदान की जाती है और मौन पालन के लिए डिब्बे देने के साथ जरूरी उपकरण भी लाभार्थी को मुहैया करवाए जाते हैं। इसके लिए कम से कम पांच दिन की ट्रेनिंग लाभार्थी को करनी होगी। अगर कोई मौन पालन की ट्रेनिंग करने का इच्छुक है तो वह आयोग के अधिकारियों से भी संपर्क कर सकता है। बुधवार को गगरेट में जिला ऊना, हमीरपुर व कांगड़ा के मौनपालकों को दो सौ डिब्बे वितरित किए गए। इस कार्यक्रम में आए खरोह गांव के इकबाल ठाकुर ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इकबाल ठाकुर ने एमजेएमसी कर रखी है और इससे पहले वह कालेज में पत्रकारिता पढ़ाते थे। यहां कर कि छोटे पर्दे पर भी वह काम कर चुके हैं। परिस्थितियां ऐसी बनी कि उन्हें घर वापस आना पड़ा और यहां आकर उन्होंने मौन पालन को अपनाया। इकबाल ठाकुर पिछले एक साल से इस व्यवसाय में हैं। उनका दावा है कि अगर मधुमक्खियों की अच्छी तरह से देखभाल की जाए तो एक सीजन में सौ डिब्बों से दस लाख रुपए तक भी कमाए जा सकते हैं।