सारथी बन हांकूंगा पहाड़ की तरक्की का रथ

By: Oct 1st, 2018 12:07 am

हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव बीके अग्रवाल राज्य में गुड गवर्नेंस के लिए ब्यूरोक्रेट्स और टेक्नोके्रट्स को साथ लेकर चलेंगे। क्षमता के आधार पर अफसरशाही को विभागों का दायित्व मिलेगा। सरकार की योजनाओं को धरातल पर लागू करने वाले अधिकारियों को महत्त्व दिया जाएगा। रविवार को मुख्य सचिव का कार्यभार संभालने के बाद बीके अग्रवाल ने ‘दिव्य हिमाचल’ से विशेष बातचीत की…

शिमला नए मुख्य सचिव बीके अग्रवाल का कहना है कि गुड गवर्नेंस के लिए सरकारी तंत्र के सभी अंगों को साथ लेकर चलना होगा। इसके लिए ब्यूरोके्रसी के साथ टेक्नोके्रट्स, आईपीएस, आईएफएस और सचिवालय सेवाएं के सभी अधिकारियों की मेहनत जरूरी है। उनका मानना है कि इसमें स्टेट सर्विसेज के अफसरों का बहुत बड़ा योगदान रहता है। लिहाजा सरकार के इन सभी अंगों की क्षमता का उपयोग किया जाएगा। इस आधार पर बेहतर परिणाम आएंगे और हम गुड गवर्नेंस दे सकेंगे।

बीके अग्रवाल का कहना है कि जयराम सरकार ने पहले नौ महीनों में  कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। जनहित में बड़े फैसले लिए गए हैं। सरकार की प्राथमिकताओं को धरातल पर लागू करना, इनमें पारदर्शिता लाना और योजनाओं का आम व्यक्ति तक लाभ देने के लिए प्रयासरत रहूंगा। बीके अग्रवाल का कहना है कि हिमाचल प्रदेश की छवि का संदेश सड़क मार्गों से जाता है। केंद्र सरकार ने राज्य को फोरलेन तथा एनएच सड़क परियोजनाओं की सौगात दी है।

इन प्रोजेक्टों के कार्यों में गति लाकर सड़कों की दशा सुधारनी होगी। इसके अलावा एयर और रेल कनेक्टिविटी पर ज्यादा जोर देना पड़ेगा। इससे हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को बल मिलेगा और राज्य में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी। पर्यटन के विस्तार के लिए पर्यावरण के संरक्षण को ध्यान में रखकर रोजगार के अवसर तलाशना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सरकार ने नशे के खिलाफ बहुत बड़ा अभियान चला रखा है। हिमाचल की युवा पीढ़ी को नशे के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए बड़े से बड़े अभियान चलाए जाएंगे। पावर सेक्टर में बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। प्रदेश तथा देश की इकॉनोमी के साथ इस क्षेत्र में रोजगार भी जुड़ा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में संस्थानों की संख्या कहीं ज्यादा है, लेकिन इनमें पर्याप्त स्टाफ और बेहतर सेवाओं पर बल दिया जाएगा। बीके अग्रवाल का कहना है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हर समय प्रदेश के लिए हितकारी योजनाएं ला रहे हैं। इन योजनाओं का आम लोगों को पहुंचाना मेरा दायित्व रहेगा।

अग्रवाल की सादगी लाजवाब

हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव बने बीके अग्रवाल पांच महीने से पुलिस हैडर्क्वाटर के गेस्ट हाउस में रह रहे हैं। शिमला के ठाठ छोड़कर बीके अग्रवाल साधारण गेस्ट हाउस में परिवार सहित ठहरे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शालीन तथा ईमानदार छवि वाले अग्रवाल की सादगी में भी कोई सानी नहीं है।

यूपी के छोटे से गांव शुरू हुआ सफर

यूपी के फर्रूखाबाद जिला के एक छोटे से गांव फतेहगढ़ के बीके अग्रवाल साधारण परिवार में पैदा हुए। पिता कृष्ण मुरारी लाल सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट में क्लर्क थे। सरकारी स्कूल में 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनका चयन आईआईटी रुड़की के लिए हुआ। इसके चलते फर्रूखाबाद जिला के कोने-कोने में उनकी सफलता का डंका बजा।

सहायक आयुक्त से मुख्य सचिव तक

पच्छाद से चले बीके अग्रवाल हिमाचल के सबसे बड़े अफसर की कुर्सी पर बैठे

 शिमला सरल स्वभाव व साधारण व्यक्तित्व के धनी प्रदेश के नए मुख्य सचिव बीके अग्रवाल की इस पद तक पहुंचने की यात्रा हिमाचल प्रदेश के पच्छाद से शुरू हुई। पच्छाद ब्लॉक में सहायक आयुक्त विकास के पद पर उनकी पहली तैनाती हुई थी। आईएएस में निकलने के बाद वह वर्ष 1985 में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के पच्छाद ब्लॉक में तैनात हुए, जहां से उनका शुरू हुआ सफर आज अफसरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचा है।

उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास जिला फरूखाबाद के फतेहगढ़ में जन्मे बीके अग्रवाल यहां के सरकारी मॉडल स्कूल में 12वीं तक पढ़े। इसके बाद उन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की और आईआईटी दिल्ली से एमटेक की डिग्री ली। प्रशासनिक सेवाओं में आने से पहले अग्रवाल वर्ष 1983 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में सहायक आयुक्त के पद पर लगे थे। दो साल यहां पर सेवाएं देने के साथ उन्होंने आईएएस की तैयारी की और वर्ष 1985 में वह आईएएस के हिमाचल काडर में चुन लिए गए। पच्छाद ब्लॉक में पहली तैनाती के बाद उन्होंने आनी में बतौर एसडीएम काम किया। दूरदराज के क्षेत्रों में उनको शुरूआत में तैनाती मिली जहां तब कोई दूसरा अफसर जाने को तैयार नहीं होता था। आनी में उन्होंने दो साल तक अपनी सेवाएं दीं जिसके बाद वह धर्मशाला में एडीसी के पद पर तैनात किए गए। इसके बाद उन्हें पर्यटन एवं परिवहन महकमों में तैनाती मिली।

मुख्य सचिव की कुर्सी तक पहुंचने के इस सफर को लेकर बीके अग्रवाल का कहना है कि इस कठिन सफर में उनका साथ उनकी धर्मपत्नी साधना अग्रवाल ने  दिया। यहां शुरूआत में दूरदराज के इलाकों में उनकी तैनाती हुई जहां उनकी पत्नी साथ रहीं और हमेशा काम में आगे बढ़ने के लिए हौसला बढ़ाती रहीं। आज भी वह एक गेस्ट हाउस में पिछले पांच महीने से रह रहे हैं, लेकिन कभी उनकी धर्मपत्नी ने इस पर शिकायत नहीं की।

परिवार में पत्नी और बेटा-बेटी

बीके अग्रवाल एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिनके पिता स्वर्गीय कृष्ण मुरारी लाल सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत हुए। उनकी माता स्वर्गीय सत्यवती अग्रवाल स्कूल में टीचर थीं। उनके परिवार में पत्नी साधना अग्रवाल, बेटा अनिमेष अग्रवाल व एक बेटी सोनाक्षी अग्रवाल हैं।

1998 से 2000 तक जिलाधीश कांगड़ा

बीके अग्रवाल कांगड़ा में वर्ष  1998 से 2000 तक जिलाधीश के पद पर  रहे। उन्हें फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया में लखनऊ में पांच साल तक काम करने का भी मौका मिला जिसके बाद वह वापस प्रदेश में लौटे। यहां उन्हें डीवीजनल कमिश्नर लगाया गया जिसके बाद वह आवासी आयुक्त दिल्ली के पद पर भी तैनात रहे। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान उन्हें संयुक्त सचिव आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय में भी काम करने का मौका मिला है।


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