अमनदीप अस्पताल में अब होगी कटी नस की सर्जरी

 पठानकोट, अमृतसर —आमतौर पर लोग इलाज तकनीकों के उपलब्ध न होने के चलते अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। इस से न केवल वह व्यक्ति इस दुनिया से रुखसत हो जाता है, बल्कि अनेक बार उसके परिवार का भविष्य भी धुंधला हो जाता है। यदि किसी मरीज को समय पर सही तकनीक का इलाज मिल जाए तो उसका जीवन और परिवार बच जाता है। किसी दुर्घटना में जब मरीज की नस कट जाती है तो उसे दोबारा जोड़ना सब से कठिन काम होता है । बीते दिन अमृतसर में एक व्यक्ति को कुछ लोगों ने गोली मारकर जख्मी कर दिया था, जिन्हें इलाज के लिए अमनदीप अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल पहुंचने तक अत्यधिक खून बहने के कारण उनकी हालत बहुत नाजुक बनी हुई थी। अमनदीप अस्पताल में माहिर डाक्टरों की टीम द्वारा जांच करने पर पता चला कि गोली लगने से उनकी बाईं टांग की मुख्य रक्त-वाहिनी नस बुरी तरह कट गई है । ऐसे में अगर तुरंत सर्जरी न की जाती तो मरीज की टांग काटने की नौबत आ जाती। कटी नुई खून की नस को केवल एक विशेष तकनीक से ही जोड़ा जा सकता है, जिसे माइक्रो-वास्कुलर तकनीक कहा जाता है। अमनदीप अस्पताल में चीफ प्लास्टिक व माइक्रो-वास्कुलर सर्जन, डा. रवि महाजन और उनकी टीम ने तुरंत मरीज की सर्जरी की और न केवल उसकी टांग बचाई, बल्कि उसकी जान भी बचाई क्योंकि यह खून की मुख्य नस है, जिस से बहुत ज्यादा खून बहने के कारण मरीज की जान को खतरा पैदा हो गया था।  इस संबंधी जानकारी देते हुए डा. रवि महाजन ने मीडिया को बताया कि माइक्रो-वास्कुलर सर्जरी एक विशेष प्रकार की सर्जरी होती है, जो कटी हुई बहुत ही बारीक नसों को विशेष माइक्रोस्कोप, विशेष यंत्रों और बहुत ही बारीक सुइयों की सहायता से पुनःजोड़ने की क्रिया होती है। यह तकनीक हर अस्पताल में उप्लब्ध नहीं होती और इस तकनीक में विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि मरीज के अंग को बचाना है, तो यह सर्जरी घटना से दो-तीन घंटों के भीतर करनी होती है, नहीं तो मरीज की जान भी जा सकती है अथवा उसका अंग काटना पड़ सकता है। अमनदीप अस्पताल में विशेष तकनीक और चौबीसों घंटे माइक्रो-वस्कुलर सर्जरी करने वाले डाक्टर उप्लब्ध होने के कारण अब तक बहुत सारे मरीजों के कीमती अंग बचाए जा चुके हैं और जान भी बचाई गई है ।

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