उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए ज्ञान कुंभ जरूरी: कोविंद

हरिद्वार – राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए शिक्षा में ईमानदारी, प्रामाणिकता एवं नैतिकता का होना आवश्यक है। श्री कोविंद ने शनिवार को हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ में आयोजित दो दिवसीय ज्ञानकुंभ के उद्घाटन के अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि संविधान की भावना के अनुरूप देश में कोई भी अशिक्षित नहीं रहना चाहिए और गरीब एवं दिव्यांग व्यक्तियों को भी शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को उच्च मानदण्डों तक पहुंचाने के लिए शिक्षण संस्थानों, उसमें कार्यरत शिक्षकों के साथ प्रबंधन की भी अहम भूमिका है। शिक्षा की पद्धति में सुधार के साथ-साथ इसकी प्रामाणिकता के आधार पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार संभव हैं।  श्री कोविंद ने देश के पहले ज्ञानकुंभ के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि शिक्षा के अधिकार के संबंध में संविधान के अनुच्छेद सात में उल्लेख किया गया है जिसके तहत प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने को लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों को जिम्मेदारी दी गयी है। इसके साथ-साथ ही इसके कई उदाहरण भी हमारे सामने हैं जिनका लाभ अंतत: छात्रों को मिलता रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान के साथ-साथ संस्कारों को भी समावेशित कर भावी पीढ़ी को उज्ज्वल भारत के विकास में भागीदार बनाया जा सकता है जिसमें आचार्य चाणक्य, डॉ भीमराव अांबेडकर, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, पं. मदन मोहन मालवीय के आदर्श हमारे सामने हैं जिन्होंने आदर्श छात्र होने के साथ-साथ अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान एवं विशेष उपलब्धियों से शिक्षा, संविधान एवं विज्ञान को नयी ऊचाइयां दीं और देश के श्रेष्ठ पदों जिसमें राष्ट्रपति पद भी शामिल हैं, उन्हें सुशोभित किया। गुणवत्ता लाने तथा आधुनिक शिक्षा प्रणाली को भारतीय वैदिक शिक्षा एवं संस्कृति से जोड़ कर रोजगार परक बनाने पर मंथन किया जाएगा। इसमें सात तकनीकी सत्र होंगे जिनमें कई प्रदेशों के राज्यपाल , शिक्षा मंत्री , शोधार्थी छात्र आैर शिक्षाविद् भाग ले रहे हैं।