क्षमता से कितना बाहर चिंतपूर्णी

By: Nov 26th, 2018 12:08 am

शक्तिपीठ माता चिंतपूर्णी मंदिर लाखों श्रदालुओं की आस्था का केंद्र है। समय के साथ श्रद्धालुओं की संख्या में तो इजाफा हुआ है, लेकिन भक्तों की बढ़ती संख्या के अनुरूप सुविधाओं को जुटा पाने में मंदिर प्रशासन सफल नहीं हो पाया है। रही-सही कसर अंधाधुंध निर्माण में पूरी कर दी। हालात यह है कि बाजार का दायरा बढ़ता गया और सड़कें संकरी होती गई। मंदिर न्यास के प्रयास और कमियों को दखल के जरिए पेश कर रहे हैं,

जितेंद्र कंवर, अनिल पटियाल, दिनेश कालिया

 एक साथ 1000 लोगों के खड़ा होने को नहीं बन पाया प्लेटफार्म

 अंधाधुंध निर्माण ने बिगाड़ी सूरत बाजार बढ़ा, सड़कें हुई संकरी

 श्रद्धालुओं की आमद के हिसाब से सुविधाओं में नहीं हुई बढ़ोतरी

2ऊना व कांगड़ा जिला की सीमा पर स्थित उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता चिंतपूर्णी मंदिर लाखों श्रदालुओं की आस्था का केंद्र है। समय के साथ चिंतपूर्णी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में तो इजाफा हुआ है, लेकिन श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अनुरूप सुविधाओं को जुटा पाने में मंदिर प्रशासन सफल नहीं हो पाया है। तमाम कोशिशों के बाद भी अभी तक मंदिर परिसर में ऐसा प्लेटफार्म तैयार नहीं किया जा सका, जिसमें एक साथ 500 से 1000 के करीब श्रद्धालु भी खड़े हो सकें। मंदिर परिसर के आसपास के एरिया को खुला करने के लिए दुकानों के अधिग्रहण का मसला भी लंबित पड़ा है। प्रदेश व देश भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाले चिंतपूर्णी मंदिर क्षेत्र को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने में मंदिर प्रशासन विफल रहा है। श्रद्धालुओं की आमद से  मंदिर क्षेत्र के इर्द-गिर्द अंधाधुंध निर्माण कार्य हुआ है, वहीं बाजार भी काफी बढ़ा है, जैसे-जैसे बाजार बढ़ता गया, वैसे-वैसे सड़कें छोटी पड़ने लगी।  त्योहर-मेलों के दिनों व रविवार को तो श्रद्धालुओं की भारी संख्या नियंत्रण से बाहर हो जाती है तथा तमाम  प्रशासनिक व्यवस्थाएं हांफ सी जाती हैं। यहीं नहीं, कड़कती धूप व तेज बारिश में बाजारों में लगी लाइनों में श्रद्धालुओं को सिर ढकने के लिए एक अदद शेड तक का निर्माण नहीं हो पाया है। स्थानीय लोगों व आसपास के क्षेत्रों के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था नहीं हो पाई है। लिहाजा  चिंतपूर्णी शक्तिपीठ में माथा टेकने आने वाले श्रद्धालुओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खास कर मेलों के दौरान ट्रैफिक की किचकिच से श्रद्धालुओं को दो चार होना पड़ता है।

मेलों में धरे रह जाते हैं इंतजाम

प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी में अगस्त में होने वाले श्रावण अष्टमी नवरात्र मेला में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस दौरान करीब दस लाख से ज्यादा श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। वहीं, चैत्र नवरात्र  व अश्वनी नवरात्र मेलों के दौरान भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।

इसके अलावा साल भर यहां पर आकर श्रद्धालु सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। चिंतपूर्णी में नवनिर्मित बहुउदेश्शीय भवन में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। यहां पर श्रद्धालुओं को मां के दर्शनों के लिए पर्ची मुहैया करवाई जाती है। वहीं, नवरात्र मेला में अपेक्षा से अधिक वाहन होते हैं। यहां पर व्यवस्था सुचारू करने के लिए कहीं अधिक व्यवस्था होनी चाहिए। तभी कहीं जाकर स्थिति में सुधार हो सकता है। मेलों के दौरान भक्तों की एकाएक भीड़ बढ़ने से व्यवस्थाएं हांफ जाती हैं। हालांकि प्रशासन मुस्तैदी के साथ श्रद्धालुओं को हर सुविधा देने का प्रयास करता है, लेकिन हजारों की भीड़ में इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं। इसके चलते बाहर से आए श्रद्धालुओं में बुरा संदेश जाता है।

आवारा पशुओं का सहारा बना चिंतपूर्णी मंदिर न्यास

जिला ऊना में 23 गोसदनों के निर्माण व संचालन के लिए अढ़ाई करोड़ की राशि मंदिर न्यास द्वारा जारी की गई है, जबकि गगरेट व थानाकलां में काऊ सेंक्चुरी के निर्माण के लिए भी पौने दो करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। चिंतपूर्णी मंदिर न्यास द्वारा अपना स्वयं भी गो सदन का संचालन किया जा रहा है, जिसमें करीब 200 गोधन को आश्रय दिया गया है।

 लैंडफिल टेक्नीक से निपटाया जा रहा कचरा

चिंतपूर्णी में निकलने वाला कचरा सफाई कर्मचारियों द्वारा बधमाना गांव में ठिकाने लगाया जा रहा है। वहां पर लैंडफिल विधि से कचरे के निष्पादन को डपिंग साइट बनाई गई है, ताकि किसी को भी समस्या नहीं झेलनी पड़े। इसके लिए मंदिर न्यास की ओर से सफाई कर्मचारी तैनात किए गए हैं, जो कि समय-समय पर सफाई व्यवस्था चिंतपूर्णी में बनाए रखते हैं। मंदिर न्यास द्वारा करीब 35 कर्मचारी और ठेकेदार के करीब 35 कर्मचारी हैं, जिनके पास सफाई व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है।

हर साल 50 लाख भक्त, 32 करोड़ चढ़ावा

प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी में हर साल 50 लाख के करीब श्रद्धालु आते हैं। खासकर नवरात्र मेला में श्रद्धालुओं की अपेक्षा से अधिक भीड़ उमड़ती है। इस दौरान भक्तों के सैलाब के आगे तमाम इंतजाम हांफ जाते हैं। इसके शक्तिपीठ में हो रहा अंधाधुंध निर्माण परेशानी बन रहा है। बेतरतीब निर्माण ने मंदिर क्षेत्र की सूरत बिगाड़ कर रख दी है। होटलों और सरायों में पार्किंग की बेहतर सुविधा नहीं होने के चलते समस्या पेश आती है। शक्तिपीठ चिंतपूर्णी में हर साल देश -विदेश से श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं। यूं तो साल भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन मेलों के दौरान एकाएक भक्त बढ़ जाते हैं। इसके अलावा मालवाहक वाहनों में आने वाले श्रद्धालु भी व्यवस्था को बिगाड़ देते हैं। जानकारी के अनुसार चिंतपूर्णी मंदिर में प्रदेश सहित देश-विदेश से हर साल लाखों श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं, लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,खासकर मेलों के दौरान । हालांकि मंदिर प्रशासन द्वारा यहां आने वाले मां के भक्तों को हर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी में सालाना करीब 30 से 32 करोड़ का चढ़ावा चढ़ता है। मंदिर न्यास चिंतपूर्णी की आय का करीब एक तिहाई भाग प्रशासनिक खर्चों पर व्यय किया जाता है। इसमें मंदिर में तैनात सभी कर्मचारियों के वेतन-भत्ते,मानदेय,मंदिर की सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों के वेतन-भत्ते, मानदेय,सफाई-व्यवस्था के अलावा बिजली बिल सहित अन्य मदों पर व्यय किया जाता है। सालाना करीब 10 से 12 करोड़ इस पर व्यय हो रहे हैं। इसके बाद शेष राशि का 50 फीसदी भाग पुजारियों के शेयर के रूप में सभी पात्र परिवारों में बांटा जाता है, जबकि 50 प्रतिशत राशि को मंदिर प्रशासन फिक्स डिपोजिट के तौर पर रखता है,जिसमें से वह विभिन्न सामाजिक व कल्याणकारी गतिविधियों का संचालन कर रहा है।

फाइलों में धूल फांक रहा  मास्टर प्लान

चिंतपूर्णी मंदिर में खुला प्लेटफार्म बनाने के लिए मंदिर के आसपास की दुकानों को अधिगृहित करके वहां पर ओपन स्पेस बनाने का मास्टर प्लान वर्षों से फाइलों में धूल फांक रहा है। यहां पर माता वैष्णो देवी मंदिर ट्रस्ट की तर्ज पर पर्ची सिस्टम को लागू करके क्रम संख्या के आधार पर ही मंदिर के मुख्य प्लेटफार्म में श्रद्धालुओं को आने की इजाजत देने के सिस्टम को लागू किए जाने की जरूरत है। मौजूदा दौर में श्रद्धालुओं को पर्ची के साथ दर्शन अनिर्वाय करना का सिस्टम प्रभावी न होकर श्रद्धालुओं के लिए समस्या का सबब बना हुआ है।

श्रद्धालु पहले पर्ची लेने के लिए लाइन में लगते है,वहीं बाद में दर्शन के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ता है। कड़कती धूप व तेज बारिशों में बाजारों में लगी लाइनों में श्रद्धालुओं को सिर ढकने के लिए एक अदद शैड तक का निर्माण नहीं हो पाया है। स्थानीय लोगों व आसपास के क्षेत्रों के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था नहीं हो पाई है। न्यू बस स्टैंड से लेकर शंभू बैरियर तक तलवाड़ा बाइपास का इस्तेमाल हो तो इसका लाभ श्रद्धालुओं को मिल सकता है। हालांकि तलवाड़ा बाइपास पर भी यातायात का बोझ बढ़ने से जाम की स्थिति आम रहती है। न्यास द्वारा पार्किंग के लिए जमीन खरीदी जा रही थी। कई लोग अपनी जमीन देने के लिए तैयार थे। वहीं, कई लोगों की जमीन के दाम ज्यादा होने के कारण मंदिर न्यास ने जमीन नहीं खरीदी, लेकिन यहां पर यहां पर पार्किंग बन जाए तो जाम की समस्या खत्म हो सकती है। इसके अलावा मंदिर न्यास को श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लिए पहल करनी चाहिए , ताकि माता के दरबार में हाजिरी भरने वालों को किसी परेशानी का सामना न करना पडे़ और वे आसानी से माता के दर्शन कर सकें।

1500 गाडि़यों को पार्किंग, 10 हजार को ठहरने की सुविधा

चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट ने यात्रियों की सुविधा के लिए 55 करोड़ रुपए की लागत से बहुउद्देश्यीय भवन व पार्किंग का निर्माण किया है। इस प्रशासनिक भवन में बड़े हाल भी निर्मित किए हैं, जिसमें 3.4 हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था है, जबकि 350 वाहनों के लिए पार्किंग भी है। इसके अलावा बहुमंजिला पार्किंग भवन में करीब 300 वाहनों के पार्क करने की क्षमता है। मंदिर क्षेत्र में 70 से अधिक प्राइवेट होटलों में 1500 के करीब कमरे हैं, जबकि 75 से अधिक सरायं भवनों में सात हजार से अधिक लोग ठहर सकते हैं। इन होटलों व सराएं भवनों में 1500 से अधिक वाहनों की पार्किंग व्यवस्था है, जबकि भरवाई में मंदिर ट्रस्ट ने यात्री निवास का निर्माण किया है,जिसमें 20 के करीब कमरे है,जबकि टूरिज्म होटल में भी 25 के करीब कमरे हैं। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग विश्राम गृह में भी आधा दर्जन से अधिक कमरे हैं। मेलों के दौरान रोजाना 15 से 20 हजार लोग माता के द्वार पहुंचते है,जबकि यहां पर 8 से 10 हजार लोगों के ठहरने की क्षमता है। मेलों के दौरान ही 4 से 5 हजार वाहन पहुंचते है, जबकि सरकारी व प्राइवेट पार्किंग स्थलों में वाहनों के पार्क करने की क्षमता 2000 के लगभग है। करीब इतने ही वाहन सड़कों के किन्नारों पर खड़े रहते हैं।

ओपन स्पेस तक नहीं बचा

प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी में कहीं पर भी खुला स्पेस नहीं बचा हुआ है। हर तरफ अंधाधुंध निर्माण कार्य से स्थिति बद से बदतर हुई है। मंदिर क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या यातायात प्रबंधन की है। मंदिर क्षेत्र में संकरा मार्ग भी समस्याओं को बढ़ाता है। मेलों के दौरान मंदिर क्षेत्र में गुजरना तक दुश्वार हो जाता है। स्थानीय लोगों को अपने घरों में जाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं, रोगियों के लिए तो अनियंत्रित भीड़ जानलेवा तक साबित होती है।

मेलों के दौरान जाम आम

मेलों के दौरान हजारों के हिसाब से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन पार्किंग की स्थायी व्यवस्था न होेने से कई बार लंबा जाम भी लग जाता है, जिससे श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान अकसर ट्रैफिक कर्मियों और श्रद्धालुओं की तू-तू मैं मैं भी होती रहती है। गौर हो कि एकाएक श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से व्यवस्था भी पटरी से उतरने लगती है, हालांकि प्रशासन मुस्तैदी के साथ काम कर रहा है। इसके अलावा काफी संख्या में श्रद्धालु अपनी गाडि़यों या फिर सड़क किनारे ही रात गुजार लेते हैं।

और सुविधाओं की दरकार

मंदिर में पुजारी वर्ग की व्यवस्था पहले बेहतर थी, लेकिन जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की आमद में बढ़ोतरी हुई तो कई समस्याएं भी होने लगी। श्रद्धालुओं को सुविधा मुहैया करवाने के लिए प्रयास होने चाहिए। मंदिर क्षेत्र में पानी की व्यवस्था हो गई है, लेकिन सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है। इसके लिए विशेष अभियान चलाया जाए। देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं,इसके लिए मंदिर न्यास को बेहतर व्यवस्था करने की आवश्यकता है

                रविंद्र छिंदा; प्रधान, बारीदार सभा

श्रद्धालुओं को नहीं मिला लाभ

न्यास द्वारा भरवाई में यात्री निवास व अब न्यू बस स्टैंड पर बहु मंझिला इमारत के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च किए हैं, लेकिन अभी तक इनका उचित लाभ श्रद्धालुओं को नहीं मिल पाया है। 55 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित बहु उद्देश्यीय भवन व पार्किंग स्थल का उपयोग सही ढंग से किया जाए,ताकि इससे श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिल पाएं

                    — विनोद कालिया, पूर्व प्रधान

सीवरेज योजना बेहतर नहीं

चिंतपूर्णी में अभी कई कार्य ऐसे हैं जो होने चाहिए। न्यास द्वारा सीवरेज योजना के लिए करोड़ों की राशि दी गई है, लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है। बारिश के दिन यहां रात को कुछ लोग अपने सीवरेज का पानी सड़क के किनारे बनी नालियों में भी छोड़ देते हैं, जिससे यहां जो श्रद्धालु दंडवत हो कर आते हैं, उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए

                  —पवन कालिया, स्थानीय निवासी

वैकल्पिक मार्ग बनाने की जरूरत

चिंतपूर्णी में न्यास ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अनेक कदम उठाए हैं। मंदिर न्यास को यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए वैकल्पिक मार्ग के निर्माण को तवज्जो देनी चाहिए

—शिव कुमार कौल; पूर्व प्रधान, नारी पंचायत

स्वास्थ्य सेवाएं हों मजबूत

चिंतपूर्णी में स्वास्थ्य सेवाओं की ओर भी प्रशासन को उचित कदम उठाने चाहिए। वैसे तो मेलों व नवरात्रों के दौरान प्रशासन द्वारा कैंप लगाए जाते हैं, लेकिन  चिंतपूर्णी सिविल अस्पताल में डाक्टरों व स्टाफ की कमी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को उचित कदम उठाने चाहिएं

                                —केवल कुमार, ग्रामीण 

बेहतर सुविधा देने के  प्रयासरत

मंदिर न्यास की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। कुछ एक समस्याएं हैं,जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर निपटान के लिए कार्य किया जा रहा है,ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सके

  —अवनीश शर्मा; मंदिर न्यास अधिकारी, चिंतपूर्णी

सामाजिक कार्यों को तवज्जो

चिंतपूर्णी मंदिर न्यास की ओर से विभिन्न विकास कार्यों के साथ ही सामाजिक क्षेत्रों में भी अपनी अहम भूमिका निभाई जा रही है। करोड़ों रुपए की राशि सामाजिक कार्यों में खर्च की जा रही है, ताकि जरूरतमंद तबके को भी लाभ मिल सके। वहीं, चिंतपूर्णी में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। नई योजनाओं को भी सिरे चढ़ाया जाएगा

                        —सुनील वर्मा; एसडीएम, अंब

तिरुपति बालाजी की तर्ज पर निखरेगा शक्तिपीठ

मंदिर न्यास की ओर से भविष्य में चिंतपूर्णी शक्तिपीठ को तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए बाकायदा मंदिर न्यास की टीम तिरुपति बालाजी का दौरा भी कर चुकी है।  वहीं, एक प्रोजेक्ट तैयार कर राज्य सरकार को भी भेजा गया है, ताकि मंदिर को पहले से ज्यादा आकर्षक बनाया जाए। एडीबी की मदद से मंदिर न्यास ने करीब 55 करोड़ रुपए की लागत से बहुउद्देश्यीय भवन व पार्किंग स्थल का निर्माण किया है। नशे के विरुद्ध जंग की शुरुआत करते हुए मंदिर न्यास ने युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक रूप से प्रयोग में लाने के लिए तीन स्थानों पर खेल स्टेडियम निर्माण की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। इसके लिए गगरेट, अंब, बंगाणा में एक-एक करोड़ से स्टेडियम बनेंगे। नेशनल हाईवे गगरेट व पक्का परोह अंब में 37-37 लाख की लागत से सड़कों के किनारे पार्किंग स्थल व शौचालय बनाए जाएंगे। कुष्ठ आश्रम ऊना के 20 परिवारों को पुनर्स्थापित करने के लिए मंदिर न्यास ने 20 लाख रुपए मकानों के निर्माण के लिए जारी किए हैं। जबकि जिला ऊना के सौ से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली के मीटर लगाने के लिए 15 लाख की राशि भी जारी की गई है।

 17 करोड़ से बनेगी सीवरेज योजना

चिंतपूर्णी मंदिर क्षेत्र में सीवरेज योजना के लिए 17 करोड़ जारी किए हैं। मंदिर क्षेत्र में पेयजल समस्या के निधान के लिए दो करोड़ से ज्यादा राशि आईपीएच को जारी की गई है, जबकि गगरेट से लेकर चिंतपूर्णी मंदिर क्षेत्र के मुख्य मार्ग के आसपास करीब 20 स्थानों पर रेनशेल्टर का निर्माण किया गया है। भरवाई, गगरेट, मुबारिकपुर, अंब, शिवबाड़ी सहित आधा दर्जन स्थानों पर हाई मास्ट लाइट व भरवाई में राष्ट्रीय झंडे की स्थापना पर भी 50 लाख की राशि खर्च की गई है। मंदिर क्षेत्र में आग की बड़ी घटनाओं से निपटने के लिए फायर हाइड्रेंट्स के निर्माण के लिए भी 70 लाख रुपए आईपीएच विभाग को जारी किए गए हैं, जबकि सड़कों के रखरखाव के लिए करीब दो करोड़ की राशि लोक निर्माण विभाग को जारी की गई है। मंदिर न्यास द्वारा चिंतपूर्णी में एक करोड़ 21 लाख की लागत से सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया है, जबकि अंब में 18 लाख, दौलतपुर चौक में 19 लाख की लागत से व मुबारिकपुर में 10 लाख की लागत से सुलभ शौचालय निर्मित किए गए हैं। मंदिर न्यास द्वारा भरवाई में यात्रियों को सस्ती दरों पर ठहरने के लिए यात्री भवन भी बनाया गया है।

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