नहीं रही ‘ठंडी-ठंडी हवा झुलदी’ की आवाजप्रताप चंद शर्मा

By: Nov 28th, 2018 12:08 am

पैतृक गांव गरली में ली अंतिम सांस, ‘दिव्य हिमाचल’ ने लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार-2012 से किए थे सम्मानित

गरली, परागपुर –ठंडी ठंडी हवा झुलदी, झुलदे चीलां दे डालू और दो नारां वो लोको लश्कदियां तलवारां जैसे लोकप्रिय गीत देने वाले व 60 के दशक से पहाड़ी गानों से सुर्खियां बटोर रहे 92 वर्षीय मशूहर पहाड़ी लोक गायक प्रताप चंद शर्मा उर्फ  प्रतापू मंगलवार को इस दुनिया को छोड़ गए। मखमली आवाज में गाए उनके 400 से ज्यादा पहाड़ी लोकगीत हमेशा प्रदेशवासियों को उनकी याद दिलाते रहेंगे। प्रताप चंद शर्मा के बेटे शिवराम शर्मा ने बताया कि हमारे पिता बिल्कुल स्वस्थ थे, लेकिन मंगलवार सुबह करीब नौ बजकर 40 मिनट पर अचानक राम-राम बोलते हुए दुनिया छोड़ गए। मंगलवार को ज्योंही पहाड़ी लोक गायक एवं कांगड़ा जिला के गरली  निवासी प्रताप चंद शर्मा के मौत का समाचार आया तो क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया। हर कोई प्रताप चंद शर्मा की सादगी, मिलनसारी व अपनेपन को याद करते हुए पलकें भिगोए नजर आया। बताते चलें कि लंबे समय से गुमनाम जिंदगी जी रहे पहाड़ी लोकगायक प्रताप चंद शर्मा को  मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ने वर्ष 2013 में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान-2012 से नवाजा था। प्रताप चंद शर्मा का जन्म 23 जनवरी,  1927 को जिला कागंड़ा के एक छोटे से गांव नलेटी (गरली) में झाणू राम के घर हुआ था। उनकी माता का नाम कालो देवी था। गांव परागपुर के धर्मसभा नानक स्कूलमें केबल चौथी कक्षा तक पढ़े प्रताप चंद शर्मा का विवाह 14 वर्ष की उम्र में सत्या देवी से हुआ था। उनके घर चार बेटे व तीन बेटियां हुईं, जो मेहनत व अच्छे संस्कारों के चलते ऊंचे पदों पर पहुंचकर रिटायर हुए। पहाड़ी गानों के फनकार प्रताप चंद शर्मा ने कुछ दिन पहले दिव्य हिमाचल प्रतिनिधि से रू-ब-रू होते हुए कहा था कि मैंने अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। उनके पिताजी एक बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। इसी के चलते उन्हेें बचपन से ही कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। गाना गाने की पे्ररणा उन्हें उनके पिता से ही मिली थी। प्रताप चंद शर्मा ने बताया था कि पहली बार उन्होंने तुकबंदी का गीत आजादी के उपलक्ष्य पर 26 जनवरी, 1962 को परागपुर स्कूल में गाया था। वहां उनकी आवाज से प्रभावित होकर दुर्गा दत्त शास्त्री व पंडित सुशील रत्न के सहयोग से लोक संपर्क विभाग दाड़ी जत्था संगीत पार्टी में काम करने का मौका मिला। प्रताप चंद शर्मा ने 400 से ज्यादा गीत खुद लिख कर गाए हैं। उन्होंने अपने गीतों पर ‘  मेरी धरती मेरे गीत’ नामक किताब भी लिखी थी, जिसमें 130  गाने हैं। प्रताप चंद शर्मा के ठंडी ठंडी हवा झुलदी, झुलदे चीलां दे डालू,  जे तू चलया नौकरिया मेरे गले दा हार लेई जायां, दो नारां बो लोको लश्कदियां तलवारां,  कालुआ मजूरा बो डेरा तेरा दूरा आदि पहाड़ी गाने काफी हिट हुए थे। मुख्यमंत्री ने जताया शोक ः शिमला- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रसिद्ध लोक गायक तथा कवि प्रताप चंद शर्मा की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रताप चंद शर्मा ने राज्य में पारंपरिक लोक संगीत को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जिसके लिए उन्हें लंबे समय तक याद किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए परमपिता परमात्मा से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।

जीवनसंगी की तलाश है? तो आज ही भारत  मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें- निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App