राम के लिए विवादित नहीं!

By: Nov 7th, 2018 12:05 am

एक बार फिर भगवान राम का संदर्भ और कुछ सवाल भी…! आज दीपावली है-सुख, समृद्धि, स्वच्छता, खुशहाली, आंतरिक शांति, प्रेम, पवित्रता, आनंद और मानव के अंतस को प्रज्वलित करने का पर्व। यह त्योहार प्रभु राम के संदर्भ के बिना अधूरा है। यदि रामायण को प्रमाणिक आदिग्रंथ मानें, तो उस दौर में भी कुछ लोग ऐसे थे, जिन्होंने अयोध्या के महाराजा राम को लेकर अनाप-शनाप आरोप लगाए थे, दुष्प्रचार किए थे और माता सीता के चरित्र पर सवाल उठाए थे। यह मानवीय प्रवृत्ति है। यदि आज भी कोई अयोध्या की रामनगरी को विवादित जगह करार दे, तो प्रभु राम ही उसे सद्बुद्धि प्रदान करें। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, दो बार मुख्यमंत्री रहे एवं जन्म-धर्म से हिंदू दिग्विजय सिंह ने जानबूझ कर यह बयान दिया है कि विवादित जगह पर राम मंदिर क्यों बनाया जाए? दिग्विजय बड़े शातिर और विवादास्पद नेता रहे हैं। उनकी जुबान तो अलकायदा के सरगना आतंकी ओसामा बिन लादेन के लिए ‘जी’ और लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक आतंकी हाफिज सईद के लिए ‘साहब’ तक के शब्दों का इस्तेमाल कर चुकी है। अब उन्होंने ही रामनगरी अयोध्या को ‘विवादित’ करार देने का जुमला उछाला है और वह भी ऐन दिवाली के मौके पर! सवाल यह है कि विवादित जगह कौन-सी और किसके लिए है? अयोध्या रामनगरी है, तो वह विवादित कैसे हो सकती है? अयोध्या में बाबर, औरंगजेब की सल्तनतों के दौरान वे जगहें विवादित हो सकती हैं, जहां मंदिर या हिंदू धर्मस्थल तोड़कर मस्जिदें बनाई गई थीं। लिहाजा रामनगरी उन विदेशी आक्रांताओं, हमलावरों और लुटेरों के लिए तो विवादित हो सकती है, लेकिन भगवान राम के लिए कोई भी कोना विवादित नहीं है। तकनीकी, कालखंड, अध्येताओं और किताबी आधार पर वह जगह विवादास्पद कही जा सकती है, जहां मंदिर था, लेकिन जिसे तोड़कर कथित बाबरी मस्जिद बनाई गई थी। हम 1528 से लेकर 1949 तक का इतिहास दोहराना नहीं चाहते। उसका असंख्य बार उल्लेख किया जा चुका है। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण भी अनेक खुदाइयों के बाद जमीन के भीतर खंभों के सच दोहरा चुका है। वे स्तंभ ही मंदिर या हिंदू धर्मस्थल के प्रतीक माने गए हैं। दिग्विजय और शशि थरूर सरीखे हिंदूवादी कांग्रेसी कुछ भी बयान देते रहें, लेकिन यह तय है कि अयोध्या में भगवान राम के लिए कुछ भी विवादास्पद नहीं है। बुनियादी सवाल यह है कि दिग्गी और थरूर के बयान क्या कांग्रेस की ही अधिकृत लाइन हैं? क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हिंदू या रामहित में बयान देकर स्पष्ट करेंगे? राम मंदिर के मुद्दे पर वह भी खामोश क्यों हैं? अभी बीते दिनों चंद्रबाबू नायडू के साथ प्रेस कान्फें्रस के दौरान पत्रकारों ने राम मंदिर पर कांग्रेस की सोच जाननी चाही थी, तो जवाब देने के बजाय राहुल गांधी ‘थैंक्यू’ कहकर निकल गए। वैसे वह कैलाश मानसरोवर की धर्मयात्रा करके लौटे थे और उन्हें ‘शिवभक्त’ प्रचारित किया था। आजकल चुनाव प्रचार के दौरान वह मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और पूजा-पाठ भी कर रहे हैं। धार्मिक चोला धारण कर परिक्रमा लगाते भी उन्हें दिखाया गया है। हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह राम मंदिर पर कांग्रेस की अधिकृत लाइन तो स्पष्ट करें। कांग्रेस राम मंदिर निर्माण के पक्ष में है या राम को कल्पना का एक पात्र मानती है अथवा संसद में प्रस्ताव आया तो वह उसका विरोध करेगी? यह सोच तो स्पष्ट होनी चाहिए, क्योंकि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी और राष्ट्रीय पार्टी है। दूसरी तरफ ज्योतिर्मठ के पूर्व शंकराचार्य, पद्मभूषण से सम्मानित सत्यमित्रानंद गिरि महाराज ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर 6 दिसंबर से ‘हर की पैड़ी’ पर आमरण अनशन करने की घोषणा की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को सलाह दी है-‘राज्य रहेगा, राष्ट्र रहेगा। राम रहेंगे, तो मोदी जी का बहुत आदर भी होगा। आप इतिहास-पुरुष बन जाएंगे। मोदी जी चिंता मत करें कि वह दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं। बस आदर्श शासक की भूमिका अदा कीजिए।’ अयोध्या में तीन दिनों का दीपोत्सव मनाया गया, करीब 3 लाख दीपक अयोध्या में सरयू के तट पर प्रज्वलित किए गए, अयोध्या में त्रेता युग का माहौल जीवंत किया गया। यह दौर हिंदुओं में उत्साह और धार्मिक आस्थाओं का है। कृप्या उनका मजाक न उड़ाया जाए। इस मुद्दे को हिंदू-मुसलमान न बनाया जाए। कमोबेश दीपावली की उमंगों को तो साकार होने दें। राजनीति तो उम्र भर चलती रहेगी।


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