लाहुल में होगा पहली बार वैध खनन

 उद्योग विभाग ने ग्राम पंचायत से एनओसी के लिए भेजा प्रस्ताव

 शिमला –जनजातीय क्षेत्र लाहुल में पहली दफा कानूनी तरीके से खनन कार्य को अंजाम देने की योजना बनाई गई है। अभी तक लाहुल या दूसरे जनजातीय क्षेत्रों में खनन पट्टों को लीज पर नहीं दिया जाता था, परंतु पहली दफा उद्योग विभाग सामान्य क्षेत्रों के अलावा जनजातीय क्षेत्रों में भी यह कार्य करने जा रहा है। बता दें कि जनजातीय क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर अवैध खनन होता है, जिस पर किसी भी तरह से रोक नहीं लग पाती है, क्योंकि वहां के मामले मुख्यालय तक पहुंच ही नहीं पाते  हैं। जनजातीय क्षेत्रों की खनिज संपदा के दोहन के लिए उद्योग विभाग ने योजना बनाई है कि वहां पर नीलामी के माध्यम से खड्डों के साथ लगते खनिज पट्टों को खनन के लिए दिया जाए, ताकि अवैध खनन बंद हो और सरकार की भी कमाई हो। जानकारी के अनुसार लाहुल में इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए विभाग ने वहां की ग्राम पंचायत से एनओसी मांगी है। यहां ग्राम पंचायत से एनओसी लेना बेहद जरूरी है, क्योंकि नियमानुसार वहां किसी भी कार्यों के लिए ग्राम पंचायत ही अधिकृत है। ऐसे में सरकारी विभागों को भी उनसे एनओसी लेनी पड़ती है।

कुल्लू में इसी महीने होगी नीलामी

लाहुल में खनिज संपदा के दोहन को लेकर सर्वेक्षण किया जा चुका है। कुल्लू में इसी महीने नीलामी की जा रही है, जिसके बाद मंडी, ऊना व हमीरपुर में ऑक्शन होगी। उम्मीद की जा रही है कि इसके बाद लाहुल में ही नीलामी होगी, वहां पर छह से ज्यादा खनिज पट्टे चिन्हित किए गए हैं। किन्नौर के लिए भी उद्योग विभाग ऐसी ही प्रक्रिया को अपना रहा है, वहां पर भी पंचायत की एनओसी लेनी होगी।

खनन से भर रहा सरकार का खजाना

सरकार को खनन कार्य से अच्छी कमाई हो रही है। अभी तक 142 खनिज पट्टों को नीलाम करने के बाद 80 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। टारगेट है कि इस वित्त वर्ष में सरकार को 300 करोड़ रुपए के आसपास की कमाई खनन कार्य से होगी। अभी कई क्षेत्रों में सर्वेक्षण चल रहा है और वहां भी माइनिंग साइट्स नीलाम की जानी हैं। इस के सर्वे को पूरा करने के लिए कहा गया है, जिसके लिए उद्योग विभाग ने विशेष टीम बना रखी है।