उमा ठाकुर लेखिका, शिमला से हैं जनता और बुद्धिजीवियों से निवेदन है कि वे हमारी अमूल्य पहाड़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने का प्रयास करें, ताकि हिमाचल की पहचान, और हर पहाड़ी भाषा बोलने वालों का मान ‘पहाड़ी बोली’ देश में अपनी पहचान बना सके… किसी भी देश अथवा प्रदेश की

प्रेम चंद माहिल, हमीरपुर त्रेतायुग में दशरथ का बेटा राम आया था, जिसने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपने परिवार को 14 साल जंगलों में घुमाया था। राम राज्य ऐसा था, जिसे आज भी फिर से हर भारतीय देखना चाहता है। राम राज्य में न्याय प्रणाली सशक्त थी, भेदभाव से ऊपर उठ

केलांग—बर्फबारी के कारण स्थगित हुई किसानों की जन चेतना रैली अब आठ नवंबर को होगी। लाहुल घाटी किसान मंच के बैनर तले तीन नवंबर को केलांग में कई मुद्दों को लेकर एक विशाल रैली का आयोजन किया जाना था, लेकिन बर्फबारी के कारण रैली को स्थगित करना पड़ा। मंच के संयोजक एवं जिप सदस्य सुदर्शन

अदित कंसल सोलन दिवाली रोशनी का उत्सव है। दिवाली का त्योहार उल्लास, प्रफुल्लता के साथ-साथ उस राम राज्य की स्थापना की प्रतिबद्धता का स्मरण दिलाता है, जिसमें सब प्रसन्न, स्वस्थ व संपन्न होंगे। दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी व पटाखों के प्रयोग से वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। आज के युग में मानव

ऊना—हिमाचल प्रदेश पेंशनर्ज वेलफेयर एसोसिएशन ऊना ने प्रदेश सरकार के खिलाफ कड़ा रोष जताया है। प्रधान मेहर सिंह ने कहा कि जनवरी से स्वीकृत महंगाई भत्ते को दीपावली पर भी जारी नहीं किया गया है। इससे पेंशनर्ज में प्रदेश सरकार के खिलाफ खासा रोष पनप रहा है। उन्होंने कहा कि महंगाई भत्ता जारी न होने

दिवाली के हर नूर पर बाजार की मेहरबानी का हिसाब, इस बार ऑनलाइन शॉपिंग में मशगूल रहा, तो बाजारवाद में हमारी परंपराओं के दीये कैसे चिन्हित होंगे। हिमाचल में दिवाली की खनक अब बाजार के रिश्तों में अपनी रौनक का अंदाजा लगाती है, तो हट्टी की जलेबी पर चाकलेट का अतिक्रमण स्वीकार्य परिवर्तन हो गया।

एक बार फिर भगवान राम का संदर्भ और कुछ सवाल भी…! आज दीपावली है-सुख, समृद्धि, स्वच्छता, खुशहाली, आंतरिक शांति, प्रेम, पवित्रता, आनंद और मानव के अंतस को प्रज्वलित करने का पर्व। यह त्योहार प्रभु राम के संदर्भ के बिना अधूरा है। यदि रामायण को प्रमाणिक आदिग्रंथ मानें, तो उस दौर में भी कुछ लोग ऐसे

योगेश कुमार गोयल लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं दिवाली पर साफ-सफाई की परंपरा रही है, किंतु अब हम दिवाली के अवसर पर जगह-जगह बारूद और कचरे का अंबार लगाकर ये कैसा जश्न मनाते हैं? दिवाली पर आतिशबाजी से प्रदूषण रूपी भयावह खतरे जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उसके मद्देनजर हम विशेषज्ञों की इस बात को