चंडीगढ़ में मैटर्स ऑफ  दि हार्ट पर चर्चा

देश के कई अस्पतालों के चिकित्सक बने सातवीं वार्षिक कान्फ्रेंस का हिस्सा

चंडीगढ़ -बदल रही जीवनशैली और खानपान की आदतों के चलते भारत में हृदय रोग जितनी तेजी से बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से इस रोग के उपचार के आधुनिक तरीके ईजाद हो रहे हैं। हृदय रोग के क्षेत्र में चिकित्सा विज्ञान द्वारा की जा रही नई शोध पर मंथन के लिए ऐस हार्ट एंड वास्कुलर इंस्टीच्यूट द्वारा सातवीं वार्षिक कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसका विषय था मैटर्स ऑफ  दि हार्ट-2018। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत मोहाली की उपायुक्त गुरप्रीत कौर सपरा ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि  रोगी अपने डाक्टर को भगवान के समान मानता है। इसलिए चिकित्सकों को अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखने की दिशा में काम करना होगा। इस अवसर पर ऐस अस्पताल के सीईओ डा. पुनीत के वर्मा ने कहा कि पहले जहां हृदय की धमनियां ब्लॉक होने की सूरत में मरीजों को महीनों डाक्टरों की निगरानी में रहना पड़ता था और हार्ट की ब्लाकेज खोलने की तकनीक भी काफी जटिल थी, वहीं अब ऐसे रोगियों की सुविधा के लिए बोयोप्रोस्थैटिक वाल्व और वॉचमैन डिवाइस तकनीक बेहद लाभदायक सिद्ध हो रही है। इससे रोगी को न तो लंबे समय तक उपचार की जरूरत पड़ती है और न ही लंबे समय तक डाक्टरों की निगरानी में रहना पड़ता है और न ही लंबे समय तक दवाई खाने की जरूरत पड़ती है। इस अवसर पर मैक्स अस्पताल मोहाली के डाक्टर मनीष सिंगला ने अपनी प्रस्तुति में रोगियों की जटिलताओं के बारे में बताया। वहीं फोर्टिस अस्पताल मोहाली के इंडोक्रिनोलोजिस्ट डा. आर मुरलीधरन ने हार्ट की हेल्दी डाइट पर चर्चा की। पीजीआईएमआर में कार्डियोलॉजी विभाग के डाक्टर पराग बरवाड़ ने जहां इंपलांट की विभिन्न तकनीक के बारे में बताया, वहीं जयपुर के इंटरनल अस्पताल से आए हुए डा. विंद्र सिंह ने ट्रांस कैथटर्स तकनीक के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि प्रोसथेटिक ओरेटिक और मिटरल वालव्स को ओपन हार्ट सर्जरी में लगाना बेहद जोखिम भरी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया की मांग लगातार बढ़ रही है।