पालमपुर में टेरिटोरियल भर्ती के लिए पहुंचे हजारों युवाओं को पूछने वाला कोई हमदर्द नहीं
राजनीतिक रैली होती तो खूब लगते लंगर
पालमपुर के कुछ दुकानदारों से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने ने तो यहां तक कह दिया कि यह हमारे वीर जवानों की भर्ती थी, इसलिए यहां कोई लंगर नहीं लगे। उन्होंने कहा कि किसी राजनीतिक दल को यहां पर वोट बैंक नहीं दिखता है। अगर यहां किसी राजनीतिक पार्टी की रैली होती तो यहां जगह-जगह लंगर लगे होते। युवाओं के ठहरने की व्यवस्थाआें पर उन्होंने कहा कि आर्मी द्वारा जब इस भर्ती का आयोजन किया गया था तो उन्हें इन युवकों के ठहरने के लिए भी इतंजाम करना चाहिए था। इसके लिए प्रशासन शहर के किसी बड़े मैदान में पंडाल लगाकर भी रात को ठहरा सकता था।
50 की डाइट के 90 रुपए वसूले
यहां पहुंच युवाआें को सिर छिपाने के लिए छत ही नहीं, बल्कि पेट भरने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। युवाआें की मजबूरी का फायदा उठाते हुए शहर के ढाबा मालिकों ने युवाओं से 50 रुपए के सादे खाने के भी 90 रुपए तक वसूल किए। इस लूट को रोकने के लिए प्रशासनिक अधिकारी भी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
आधी रात को ही क्यों होती है दौड़
लोगों का कहना है कि सेना की किसी भी भर्ती के लिए दौड़ आधी रात को ही शुरू हो जाती है। घुप्प अंधेरा, नींद से भरी आंखों से न जमीन दिखाई देती है और न ही आसमान। कोई यहां गिरता है तो कोई वहां। इन हालातों में दौड़ सही नहीं है। सरकार को इस दिशा में उचित कदम उठाने चाहिएं।
जीवनसंगी की तलाश है? तो आज ही भारत मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें- निःशुल्क रजिस्ट्रेशन!