दो साल में बनेगा हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज

बिलासपुर के बंदलाधार में एनपीसीसी ने चेन्नई की कंपनी को दिया टारगेट

बिलासपुर – बिलासपुर की बंदलाधार पर बनने जा रहा देश का दूसरा और हिमाचल का पहला राजकीय हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज वर्ष 2020 में बनकर तैयार हो जाएगा। इसकी देखरेख कर रही नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनपीसीसी) लिमिटेड ने बंदला में चयनित जमीन पर कालेज भवन एवं अन्य आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए चेन्नई की टीएसके इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी को जिम्मा सौंपा है। इस कंपनी को 100 करोड़ का टेंडर किया है और दो साल के अंदर तमाम कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खास बात यह है कि इस कालेज के शुरू होने पर हिमाचल से हर साल सौ से ज्यादा इंजीनियरिंग तैयार होंगे। जानकारी के मुताबिक बंदलाधार पर चयनित 62 बीघा जमीन पर हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज का निर्माण किया जा रहा है। भवन एवं अन्य आधारभूत ढांचा विकसित करने की कवायद चल रही है और मुख्य ब्लॉक के अलावा दो ब्वायज तथा एक गर्ल्ज होस्टल बनेगा। दो ब्लॉकों में स्टाफ क्वार्टर बनेंगे, जिसके तहत एक डबल रूम का ब्लॉक होगा, तो दूसरा सिंगल रूम का। टीएसके इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी के जीएम डी. मोहन के अनुसार बंदला में चयनित जमीन पर कालेज भवन के मुख्य ब्लॉक के अलावा अन्य ग्राउंड वर्क भी चल रहे हैं। उधर, एनपीसीसी के महाप्रबंधक एवं हिमाचल हैड आरके शर्मा ने बताया कि वह हर माह कालेज के निर्माण कार्यों का विजिट कर रहे हैं और लगातार रिपोर्टिंग ले रहे हैं। उम्मीद है कि तय समय अवधि तक काम पूरा हो जाएगा, जिसके बाद इस कालेज को तकनीकी शिक्षा विभाग के सुपुर्द कर दिया जाएगा। एनटीपीसी और एनएचपीसी की संयुक्त भागीदारी से बंदला में देश के दूसरे हाइड्रो कालेज का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 75 करोड़ रुपए यानी 37.50-37.50 करोड़ रुपए एनटीपीसी और एनएचपीसी द्वारा उपलब्ध करवाए जा चुके हैं। अगले पांच सालों के लिए राज्य सरकार दस करोड़ रुपए जारी करेगी।

एक एकड़ निजी जमीन भी ली जाएगी

बंदलाधार पर चयनित 62 बीघा सरकारी जमीन के अलावा अभी तक एक एकड़ निजी जमीन एक्वायर की जानी है, जिसके लिए प्रशासन ने प्रक्रिया चला रखी है। ऐसे में दो ब्लॉकों का कार्य लंबित पड़ा है। जमीन के तकनीकी शिक्षा विभाग के नाम स्थानांतरित होने के बाद ही अगली कार्रवाई शुरू होगी।