पशुशाला में रखें सफाई का विशेष ध्यान
मेरी गाय ने रात को चारों थनों से ठीक दूध दिया, परंतु सुबह उसके थन से बुशैहर हो गया। दूध ठीक था परंतु कम था। क्या करें?
— हंसराज, हमीरपुर
अभी आप अपने पशु को अलग से गोली मैलोनेक्स दो सुबह दो शाम तीन दिन तक खिलाएं, परंतु यह ध्यान रखें कि इस पशु का दूध आखिरी खुराक के बाद 72 घंटे तक इस्तेमाल न करें।
– पाउडर मैमिडियम 50 ग्राम प्रतिदिन चार दिन तक खिलाएं।
– यदि पशु का कोई बच्चा है तो कृपया उसे न चुंघाएं या दूध दूहने के बाद उसे पिलाएं।
यह भी थनैला रोग है। इसमें पशु के थनों में सोजिश आ जाती है। हाथ लगाने में थन गर्म होते हैं व दूध निकालते वक्त पशु दर्द करता है। कई बार थनों में लालिमा भी आ जाती है। कई बार पशु का दूध ठीक होता है, परंतु कई बार दूध भी खराब हो जाता है या पशु दूध देना ही छोड़ देता है व थन सख्त हो जाते हैं। इसका इलाज अतिशीघ्र करवाना चाहिए अन्यथा कई बार थन हमेशा के लिए खराब हो जाते हैं।
ज्यादातर यह रोग तीव्र ही होता है। रात को पशु के चारों थन ठीक होंगे व सुबह यह रोग हो जाएगा। इस बीमारी का इलाज जितना शीघ्र होगा, पशु भी उतना शीघ्र ठीक हो जाएगा।
इस बीमारी का टीका न होने के कारण रोकथाम के अन्य उपायों पर समुचित ध्यान देना पड़ता है।
रोकथाम
– थनों को बाहरी चोट लगने से बचाएं।
– पशुशाला के फर्श को सूखा रखें, समय-समय
पर चूने का छिड़काव करें व मक्खियों का नियंत्रण करें।
– दूध दूहने के लिए पशु को दूसरे स्वच्छ स्थान पर ले जाएं।
– दूध दूहने से पहले साबुन से अपने हाथ अवश्य धोएं।
– दूध दूहने से पहले थनों को खूब अच्छी तरह साफ पानी या पोटेश के पानी से धोएं।
-दूध जल्दी से और एक बार में दूहें, ज्यादा समय न लगाएं। जब दूध दूहना शुरू करें तो 7-8 मिनट में पशु को पूर्ण रूप से दूह लें।
– दूध दूहने के बाद थनों को कीटनाशक घोल जैसे आईडोफोर में डुबोएं या स्प्रे करें। बीटाडीन ( चार हिस्से) व ग्लिस्रीन (एक हिस्सा) मिलाकर भी थनों को साफ कर सकते हैं।
-थनैले बीमारी से ग्रस्त पशु का दूध अंत में एक अलग बरतन में निकालें।
-घर में स्वस्थ पशुओं का दूध पहले व बीमार पशु का दूध आखिर में निकालें।
-दूध दूहने के बाद थन नली कुछ देर तक खुली रहती है व इस समय पशुओं का फर्श में बैठ जाने से रोग के जीवाणु थन नली में प्रवेश कर बीमारी फैलाते हैं। अतः दूध दूहने के बाद पशु को आहार दें, ताकि वह कम से कम आधा घंटा फर्श पर न बैठे।
– प्रसूति से पहले पशु का दूध सुखाते हैं, उसके चारों थनों में थनैला रोग से बचाने वाली दवा थनों में अवश्य चढ़वाएं।
डा. मुकुल कायस्थ
वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलीय पशु चिकित्सालय पद्धर(मंडी)
फोनः 94181-61948
नोट : हेल्पलाइन में दिए
गए उत्तर मात्र सलाह हैं।
Email: mukul_kaistha@yahoo.co.in
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