हल्के लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही भारतीय वायुसेना

By: Dec 17th, 2018 12:06 am

संसदीय रिपोर्ट में सुरक्षा के लिए बताया बड़ा खतरा

नई दिल्ली – संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश की वायु सेना के पास पर्याप्त संख्या में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलएसी) यानी हल्के लड़ाकू विमान नहीं हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में एलएसी, जिनमें तेजस जैसे विमान हैं, की कम संख्या को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए इसे देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा करार दिया है। बता दें कि संसदीय कमेटी की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब मोदी सरकार अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल के सौदे को लेकर घिरी हुई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने रक्षा मंत्रालय से तत्काल इस दिशा में जरूरी कदम उठाने का सुझाव भी दिया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वायु सेना अपनी ऑपरेशनल जरूरतों के लिए फिलहाल अल्पकालीन उपायों पर निर्भर है। यह स्थिति ठीक नहीं है और जल्द इसका समाधान होना चाहिए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वायु सेना की जरूरतों को देखते हुए तत्काल इस प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहिए। लंबे समय के लिए भारत इस श्रेणी के विमानों के आयात को रोकने और इसे भारत में ही बनाने को लेकर सरकार को दिशा-रेखा तय करनी चाहिए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस वक्त वायु सेना को ऐसे 42 और विमानों की जरूरत है, लेकिन फिलहाल सिर्फ 30 ही विमान हैं। मिग-21 और मिग-27 जैसे एयरक्राफ्ट जो अभी वायु सेना में हैं, वे 10 साल बाद रिटायर हो जाएंगे। रिपोर्ट तैयार करने वाली कमेटी के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। पीएसी ने अपनी रिपोर्ट में वर्तमान स्थिति से निराशा जताई है। रिपोर्ट में कहा है कि तीन दशकों से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद रक्षा मंत्रालय के अधीन एयरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी (एडीए) जरूरत के मुताबिक स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान विकसित नहीं कर पाई है।


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