पटवार घरों में 8.45 लाख किसान

By: Feb 24th, 2019 12:08 am

हिमाचल में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान योजना की पहली किस्त के लिए भरे जा रहे आवदेन

ऐसे करें अप्लाई

किसान सम्मान निधि योजना के लिए हर पटवारखाने को 100-100 फार्म मुहैया करवाए गए हैं। इसके अलावा फार्म दुकानों में भी उपलब्ध हैं। किसानों को फार्म भरकर अपने पटवारखाने में वेरिफाई करवाना है। उसके बाद पटवारी उसे तहसील में जमा करवाएंगे। वहां से ऑनलाइन डीसी आफिस में प्रोसेस पूरी होगी। उसके बाद किसानों को पैसा मिल जाएगा।

वर्ष 2011 के सर्वे के तहत प्रदेश में योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है। आठ लाख पैंतालीस हजार किसानों को इससे फायदा पहुंचेगा।

रबी के सीजन में फरवरी के ये दिन किसानों के लिए राहत भरे माने जाते हैं। खेतों में जहां गेहूं बीजी होती है,वहां ज्यादा काम नहीं होता। हां! नकदी फसलें जरूर किसानों को व्यस्त रखती हैं। खैर,इस बार हिमाचल भर के आठ लाख पैंतालीस हजार किसान इन दिनों बेहद व्यस्त हैं,लेकिन वे खेतों नहीं,बल्कि पटवारखानों में व्यस्त हैं। कारण यह कि समूचे प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान योजना की पहली किस्त के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। ‘अपनी माटी ’  के इस अंक में दिव्य हिमाचल ने प्रदेश भर में किसान सम्मान निधि को लेकर पड़ताल की। महकमे के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि  सरकार का प्रयास है कि किसानों को 2000 रुपए की पहली किस्त शीघ्र प्रदान की जाए।  सभी जिलों को इस संदर्भ में कार्रवाई शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। छोटे एवं मध्यम वर्ग के किसानों के लिए बनी इस योजना की खास बात यह कि जो किसान चतुर्थ श्रेणी कर्मी भी हैं,उन्हें योजना का लाभ मिलेगा। आयकर, ज्यादातर पेंशन होल्डर व अन्य कर्मी इसमें शामिल नहीं हैं। दूसरी ओर किसान सुरेंद्र,संजीव, राकेश आदि ने माना कि इस योजना से उनकी लाइफ में कोई बड़ा चेंज नहीं आने वाला,लेकिन इससे कुछ तो मिलेगा।

– रिपोर्टः शकील कुरैशी, शिमला

सुन लें! दूसरी किस्त के लिए आधार जरूरी होगा

– केंद्र सरकार द्वारा किसानों की मदद के लिए यह योजना शुरू की गई है।

– पूरे साल में एक किसान को 6 हजार की इन्कम सपोर्ट मिलेगी

– मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायक इंजीनियर इस योजना से बाहर होंगे

– सरकारी कर्मचारी और इन्कम टैक्स देने वाले भी योजना से बाहर

– 31 मार्च से पहले मिलनी है योजना के तहत 2000 रुपए की पहली किस्त

– पहली किस्त के लिए आधार नंबर जरूरी नहीं है, लेकिन दूसरी किस्त के लिए आधार जरूरी होगा है।

31 मार्च से पहले पैसे जमा करें सेब आढ़ती

प्रदेश सरकार के सख्त आदेश, इस बार बात न मानी तो पुलिस करेगी गिरफ्तार, शातिरों ने डकारे हैं बागबानों के दो करोड़ 15 लाख 75 हजार

बागबानों से करोड़ों रुपए डकार कर फरार हो चुके झोला छाप आढ़तियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। प्रदेश सरकार ने ऐसे लोगों को फाइनल अल्टीमेटम जारी कर दिया है। ये ऐसे आढ़ती हैं, जिन्होंने बागबानों से सेब खरीदे और पैसे दिए बिना रफूचक्कर हो गए। इन्होंने कई ऐसे चेक जारी किए थे, जिसमें पैसे ही नहीं थे। प्रदेश के बागबानों के दो करोड़ 15 लाख 75 हजार रुपए डकारे हैं। ऐसे आढ़तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रदेश सरकार एक ठोस कानून भी लाएगी। बताया जा रहा है कि विधानसभा के मानसून सत्र में प्रदेश की जयराम सरकार कानून लाएगी। वर्ष 2018-19 में एपीएमसी के पास किसानों को कमीशन एजेंटों द्वारा राशि नहीं देने के 101 मामले पंजीकृत हुए हैं। कमीशन एजेंटों के पास किसानों का 2.15 करोड़ से अधिक की राशि लंबित हैं। पुलिस विभाग ने अनसेटल कलेम के 90 मामले पंजीकृत किए हैं। एपीएमसी ने इन सभी को नोटिस जारी किए थे, लेकिन अभी तक किसी भी बागबानों के खाते में पैसे नहीं आए। एएसपी सीआईडी व क्राइम के अनुसार विभिन्न न्यायालयों द्वारा 30 कमीशन अजेंटों को दोषी करार दिया है, जिसमें से 4 को गिरफ्तार कर दिया गया है।

– रिपोर्ट आरपी नेगी, शिमला

बारिश की ओवरडोज से गेहूं को बुखार, भिंडी-घीया की बिजाई हुई लेट

डा. डीके अवस्थी

परियोजना निदेशक, आतमा

प्रदेश में लगातार हो रही बारशि से प्रमुख फसल गेहूं को नुकसान पहुंचने की आशंका बन गई है। यही नहीं, भिंडी, घीया-तोरी-करेला आदि गर्मी में होने वाली फसलों की बिजाई भी कम से कम 30 दिन लेट हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एक आध बड़ी बारिश हो जाती है,तो गेहूं में पीला रतुआ की आशंका बढ़ जाएगी। डा डीके अवस्थी, परियोजना निदेशक, आतमा ने कहा कि फिलहाल गेहूं व सब्जियों को नुकसान पहुंच सकता है। अभी तक करीब 10 से 20 प्रतशित नुकसान की आशंका बन रही है

-जयदीप रिहान, पालमपुर

बागबान भाई अब पानी से जरा बचके

डा. सतीश भारद्वाज

विभागाध्यक्ष मौसम विभाग, नौणी

प्रदेश में 23 फरवरी तक बारिश के आसार हैं। पहले इस बारिश को खेती के लिए ही नुकसानदायक माना जा रहा था, लेकिन अब बागबानी विशेषज्ञों को लगता है कि यह बागबानी के लिए भी खतरा हो सकती है। नौणी यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट डा. सतीश भारद्वाज ने विशेषज्ञों ने बागबानों को सलाह दी है कि फसल की सिंचाई कतई न करें। बारिश के पानी को एक तौलिए से दूसरे में जाने दें। दूसरी ओर मटर में फलियां आनी शुरू हो गई हैं। अतः सिंचाई का विशेष ध्यान रखें। कुछ दिन बाद मौसम खुलने के बाद बैंगन, टमाटर, शिमला मिर्च आदि के लिए खेत तैयार करें।

-मोहिनी सूद, नौणी

माटी के लाल

बंदरों से बचते बचाते आर्गेनिक खेती

कांगड़ा जिला के जवाली उपमंडल की पंचायत हार  निवासी प्रीतम सिंह बेरोजगार युवाओं के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं। जहां हर कोई बंदरों व आवारा पशुओं से आहत होकर फसल बीजना छोड़ रहा है तो वहीं प्रीतम सिंह  खेतों में पहरा देकर सब्जी का बचाव कर रहे हैं। करीब 25 साल से खेती से जुड़े प्रीतम ने  मौजूदा समय में करीबन 6 कनाल जमीन पर गोभी की पैदावार की गई है तथा इसके उपरांत भिंडी की बीजाई भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि वह हर सब्जी को आर्गेनिक तरीके से तैयार करते हैं। सब्जियों में गोबर का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर फॉर्म व होलटिक्लचर विभाग द्वारा समय पर बीज मुहैया नहीं करवाए जाते हैं । लब में सब्जी मंडी खुल जाए तो उनको सब्जी बेचने के लिए दूरदराज नहीं जाना पड़ेगा।  -सुनील दत्त, जवाली

आज के युवाओं को टिप्स

आज युवा नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं अगर ये युवा अपनी जमीन से जुडं़े, तो जितना प्राइवेट नौकरी नहीं दे पाएगी उतना अपनी जमीन से कमा सकते हैं। इसलिए मेरा बेरोजगारों युवाओं को यही संदेश है कि इधर-उधर भटकने से तो, कृषि के साथ नाता जोड़ें।

दूरदर्शन पर कांगड़ा का सीरा और वड़ियां

डीडी किसान पर शाहपुर की कहानी

कहते हैं मन में दृढ़ संकल्प हो तो मनुष्य के लिए कोई भी काम कठिन नहीं होता। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कांगड़ा जिला के शाहपुर की सुमनलता शर्मा ने। सुमनलता शर्मा ने कांगड़ा के सीरा-वडि़यां, सेवियां और अन्य घरेलू उत्पादों का जायका का देश कायल हो चुका है। उनकी सफलता की कहानी 21 फरवरी को दूरदर्शन के डीडी किसान पर प्रसारित हुई। वर्ष 2005 से पहले सुमनलता के घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से स्वयं सहायता समूह का गठन करके घरेलू उत्पादों को बनाना शुरू किया। समूह द्वारा सीरा, वडि़यां, सेवियां, त्रिफला, आंबला चूर्ण के अलावा कांगड़ा खट्टे का पाउडर बनाया जाता है। काम करते-करते जब और सहयोगियों की जरूरत पड़ी तो सुमनलता ने गांव की और महिलाओं को अपने साथ जोड़ा। समूह पहले बीडीओ कार्यालय रैत के संपर्क में आए। इसके बाद डीआरडीए से जुड़कर सरस मेलों में उत्पादों को बेचना शुरू किया। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने क्षेत्र की 50 से अधिक महिलाओं को इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया। इसी का परिणाम है कि डीडी दूरदर्शन के डीडी किसान पर उनके स्वयं सहायता समूह की कहानी दिखाई जाएगी।

– रिपोर्ट सुरेंद्र शर्मा, सुंदरनगर

किसान-बागबानों के सवालों के जवाब

पशुओं को ठंड से कैसे बचाएं?

पशुओं  को ठंड  से बचाने के लिए जगह को सुखा रखें। पशुओं को जुओं चिचडों से बचाएं।

मछली पालन के लिए आजकल क्या करें?

मछली पालन की ऋतु खत्म हो रही है। तालाबों को खाली करके इनके रखरखाव की व्यवस्था करें।

पींयां के फूल

वसंत ऋतु में खाना मत जाना भूल

वसंत ऋतु शुरू होते ही प्रदेश भर में नदी-नालों, सड़कों और खेत-खलिहानों के आसपास ऊगने वाले पींयां के सुंदर पीले फूल मन मोह लेते हैं। पींयां के ये मनभावन सुंदर फूल सर्द ऋतु को अलविदा और वसंत ऋतु का स्वागत करते प्रतीत होते हैं। पींयां 1800 मीटर की ऊंचाई तक ऊगने वाली एक सुंदर सी झाड़ी है, जो अपने अन्य स्थानीय नामों पियोली और वसंत तथा वानस्पतिक नाम रीनवार्डिया इंडिका से प्रसिद्ध है। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि पींयां के ये मनभावन पीले फूल औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ खाने के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं। प्रदेश के बहुत से हिस्सों में लोग इन फूलों से स्वादिष्ट कचरू और भल्ले बनाते हैं। पर पींयां भोजन से ज्यादा अपने औषधीय गुणों के लिए और फूलों की झाड़ी के रूप में अधिक प्रसिद्ध हैं।पीयां के औषधीय गुण कई रोगों की रोकथाम में लाभकारी है। इसके फूल, पत्तियों और टहनियों के साथ लकवे के उपचार में इस्तेमाल किए जाते हैं। फूलों में पाया जाने वाला एस्कॉर्बिक एसिड शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है, तथा हमारी कोशिकाओं को युवा रखता है। पीयां की पत्तियों का काढ़ा गरारे करने के काम आता है, तने और पत्तियों का लेप कीड़ों से संक्रमित घावों को ठीक करता है। इसकी पत्तियों को जीभ साफ  करने के लिए चबाया जाता है तथा जड़ें खसरा रोग के उपचार में उपयोगी होती हैं।

पीयां के फूलों से एक पीला रंग भी निकाला जाता है जिसका उपयोग कपड़े रंगने में और इमारती पेन्ट बनाने में किया जाता है। इस पेड़ को लोग एक सजावटी पौधे के रूप में घर और बागीचों में भी उगा सकते हैं। लेखिका वल्लभ महाविद्यालय, मंडी,  में वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्ष हैं और स्थानीय पेड़ पौधों की विशेषज्ञ हैं।

– डा. तारा सेन ठाकुर, जेल रोड,मंडी

क्या आप जानते हैं

सबसे ज्यादा 1401 मौनपालक कांगड़ा जिला में हैं। जिला में 37194 मौनवंश हैं।

सिरमौर जिला के गिरिपार का अदरक अपने औषधीय गुणों के लिए दुनिया भर में मशहूर है।

 आप सवाल करो, मिलेगा हर जवाब

सीधे खेत से

आप हमें व्हाट्सएप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं।  आपके पास नर्सरी या बागीचा है,तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं। आपकी हर बात को सरकार और लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।

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