कश्मीर का आर्थिक पतन, आतंक ने मनोबल तोड़ा- टूरिस्ट ने मुंह फेरा!

By: Mar 8th, 2019 5:41 pm

पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर को अशांत करने में जुटा रहता है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि कश्मीर में 2014 के बाद से आतंकवाद में खासा इजाफा हुआ है. वहां बेरोजगारी भी बाकी देश के औसत से कहीं ज्यादा है. पर्यटन के आंकड़े भी गोता लगा रहे हैं. दरअसल, भारतीय जनता पार्टा जम्मू-कश्मीर में पहली बार 2015 में राज्य सरकार का हिस्सा बनी. महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी के साथ उसका बेमेल गठबंधन जून में टूट गया. क्या बेहतर आर्थिक वृद्धि और विकास कश्मीर के युवाओं में बढ़ते अलगाव को थामने में कामयाब होगा? संकेत हैं कि आर्थिक गतिविधियों के साथ ही खुले मन से बातचीत के रास्ते भी बढ़ाए जाने चाहिए. सवाल यह है कि केंद्र सरकार के पास क्या किसी बातचीत की गुंजाइश बची है. साल 2018 में कश्मीर में 614 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जबकि 2014 में 222 घटनाएं हुई थीं. 2018 में 257 आतंकवादी मारे गए जबकि 2014 में 110 मारे गए थे. 398 आतंकवादियों ने 2016 से 2018 में कश्मीर में घुसपैठ की. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर के अनुसार 686 आतंकवादी मारे गए और 56 पकड़े गए. कश्मीर में बेजरोजगारी दर 24.6 फीसदी (18-29 आयु वर्ग में) में, जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 13.2 फीसद है, जुलाई 2016 से जून 2017 के बीच हड़ताल व कर्फ्यू की वजह से 130 कार्यदिवसों का नुकसान हुआ. जिसकी अनुमानित लागत 13,261 करोड़ रुपये. वित्त वर्ष 2017 में कश्मीर की विकास दर 8.2% फीसदी रही थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 10.8 फीसद था. कश्मीर का 25 अरब डॉलर का राज्य जीडीपी वित्त वर्ष 2019 में राज्यों में 21वें स्थान पर है. साल 2018 में 8,50,000 विदेशी और देशी सैलानी कश्मीर पहुंचे, जो 2017 की तुलना में 23 फीसदी कम है. हालांकि 80,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में बाढ़ राहत व ढांचागत विकास और स्वास्थ्य कल्याण व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए की.


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