गगरेट आरटीओ बैरियर पर मारपीट

 गगरेट —रंग पर्व होली की गुरुवार रात को आरटीओ बैरियर गगरेट पर तैनात कर्मी के साथ एक राजनीतिक दल के दो युवा नेताओं की कहासुनी सिर फटोव्वल होली का रूप धारण करने से बाल-बाल बच गई। हालांकि मामला पुलिस के पास दर्ज हो पाता इससे पहले ही दोनों पक्षों में आपसी समझौता हो गया। बताया जा रहा है कि इस वारदात के बाद आक्रोशित बैरियर कर्मियों ने एक दिन वाहनों का टैक्स तक नहीं काटा, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी इससे इनकार करते हुए टैक्स न काटने का कारण सर्वर डाउन होना बता रहे हैं। उधर आरटीओ ऊना मोहन धीमान का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी मिली है वह अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं। हालांकि दोनों पक्ष इस मामले में कुछ भी बताने से बच रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा है। कुछ लोगों के अनुसार एक राजनीतिक दल के दो युवा नेता आरटीओ बैरियर के समीप पंजाब से आने वाले वाहनों से रंगदारी वसूल रहे थे और आरटीओ बैरियर के कर्मियों द्वारा इसका विरोध करने पर कहासुनी हिंसक रूप धारण कर गई और इस कहासुनी ने मारपीट का रूप धारण कर लिया। उधर, कुछ लोगों के अनुसार उक्त राजनीतिक दल के युवा नेता एक वाहन चालक की शिकायत पर वहां पहुंचे थे और इसी बात को लेकर दोनों में तकरार हो गई। इन चर्चाओं का दौर सोशल मीडिया पर भी शुरू हो गया और पूर्व विधायक राकेश कालिया ने भी फेसबुक पर पोस्ट साझा कर इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने तो लोगों से यहां तक अपील कर दी कि लोग चंदा इकट्ठा कर इन नेताओं को दे दें और अगर किसी कर्मचारी ने उनके पास आकर उन्हें तंग करने की शिकायत की तो वह घरों से निकाल कर सड़क पर घसीटेंगे। बताया जा रहा है कि घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची लेकिन दोनों पक्षों द्वारा पुलिस को शिकायत-पत्र सौंपने से इनकार कर दिया और मौके पर ही समझौता करने में भलाई समझी। पूर्व विधायक राकेश कालिया का कहना है कि पुलिस व अधिकारी किस दबाव में काम कर रहे हैं इसका स्पष्ट उदाहरण यह मामला है। उन्होंने कहा कि ऐसे लग रहा है जैसे यहां कानून का राज नहीं रहा और अधिकारी व कर्मचारी दहशत के साए में काम करने को मजबूर हैं। उधर, बैरियर पर तैनात अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे हैं जबकि पुलिस थाना प्रभारी चैन सिंह का कहना है कि दोनों पक्षों में से किसी ने भी पुलिस के पास शिकायत-पत्र नहीं सौंपा। पुलिस तभी कार्रवाई करती अगर कोई शिकायत आती। उधर, आरटीओ मोहन धीमान का कहना है कि उनके पास भी बैरियर कर्मियों की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं आई है। हालांकि उन्हें अन्य सूत्रों से इसका पता चला है। वह अपने स्तर पर इसकी जांच कर रहे हैं। वहीं, आरटीओ बैरियरों की सुरक्षा में भी बड़ी चूक सामने आई है। यहां असामाजिक तत्त्व कभी भी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देकर आसानी से फरार हो सकते हैं। हैरत की बात यह है कि आरटीओ बैरियर मैहतपुर व गगरेट में अभी तक तीसरी आंख का पहरा तक नहीं लगा है जबकि आरटीओ बैरियर की समस्या खाली हाथ बैठे एक होमगार्ड के जिम्मे है। अगर आरटीओ बैरियर गगरेट में सीसीटीवी कैमरे लगे होते तो इस वारदात में किसकी गलती है इसका दूध का दूध व पानी का पानी हो जाता।