जांच खरीदने तक का भ्रष्टाचार

By: Mar 21st, 2019 12:05 am

मामला ट्रांसपोर्ट महकमे के एक अधिकारी के इर्द-गिर्द तक फैले भ्रष्टाचार की शिनाख्त करता है। एक वायरल वीडियो के तहत जो मजमून भ्रष्टाचार को इंगित कर रहा था, वही अंततः परिवहन विभाग के आरटीओ को जाल में फंसा गया। ऊना जिला के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे व्यक्ति की गिरफ्तारी केवल निजी आचरण पर लांछन नहीं लगाती, बल्कि भ्रष्टाचार की परिपाटी को ही अनावृत्त कर रही है। इस सारे मसले के केंद्र में शिकायतकर्ता का चेहरा भले ही स्पष्ट न हो, लेकिन एक वायरल वीडियो ने जांच की वजह को सतर्कता विभाग तक पहुंचा दिया। हैरानी यह कि जांच के दरपेश उक्त अधिकारी ने रिश्वत के जरिए बचाव करने की ठानी तो जाल में फंस गया। ऐसे में एक साथ कई सवाल हिमाचल के वजूद को ललकारते हैं। क्या परिवहन जैसे विभाग इतने छिद्रिल हो गए हैं कि सारी परिपाटी को लूटा जा सकता है या अब स्थिति बहती गंगा की तरह हो गई कि जिसका भी प्रभाव होता है, प्रक्रिया को अपाहिज बनाकर अपनी बोली लगाता है। यह विषय इसलिए भी विकराल हो गया, क्योंकि महाशय ने जांच के पूर्व जांच को खरीदने का ऑफर दे दिया। पहले से ही बदनाम हो रही पद्धतियों के बीच ऐसी घटनाएं सरकारी क्षेत्र के दागों में इजाफा कर देती हैं। कोई भी अनुमान लगा सकता है कि जांच को खरीदने का जुर्म, जांच तक पहुंचे आरोप से भी घिनौना है। ऐसे में यह भी समझना होगा कि सुशासन के हिमाचली पैगाम के भीतर कितने छेद हैं या यह भी कि अब भी कायदे-कानून गारंटी नहीं दे रहे हैं, ताकि सरकारी प्रक्रिया पारदर्शी व जवाबदेह साबित हो। बाकायदा हिमाचल के गले में कुछ दागी अफसरों की माला लटकी है, लेकिन आज तक कोई ऐसा सबक नहीं मिला कि भ्रष्टाचार की सारी लकीरें मिट जाएं। एक अलग तरह का नेटवर्क प्रदेश में फैल रहा है और जहां सरकारी काम में बिचौलिए या दलाल सामने आ रहे हैं। शायद यही वजह रही कि स्वरोजगार, स्टार्ट अप या निजी क्षेत्र ने अपना दायरा सीमित रखा या हिमाचल में नया काम करने में हिचकिचाहट बढ़ गई है। फाइलों के ढेर के नीचे कुछ विभागों के दस्तावेज, अनुमति प्रक्रिया के आवेदन या संभावनाओं का दर्पण बेवजह टूट रहा है। इस बीच अगर कुछ नजरअंदाज हो रहा है, तो हमारी आंखों के सामने पनपता माफिया या इस तरह का दस्तूर दर्ज हो रहा है। सीमांत इलाकों से आर-पार हो रहा नशे का धंधा, अवैध रेत-बजरी का कारोबार तथा कर चोरी का आधार दरअसल हिमाचली पद्धति के ऐसे सुराख हैं, जहां सरकारी दायित्व की चोरी हो चुकी है। बेशक जनसंवाद के जरिए जयराम सरकार ने जनता की नब्ज पर हाथ रखा, तो विभागीय खामियों की कतार नजर आई और इसीलिए राजस्व विभाग को खंगालने की वजह मिली, लेकिन जहां पद्धति में भ्रष्ट तंत्र और तरीके अंगीकार हैं वहां ऐसे कुकुरमुत्ते तोड़ने ही पड़ेंगे। इसी तरह हर विभाग को खंगालने की वजह व साक्ष्य जनता की हर शिकायत में दर्ज हैं। बेशक परिवहन जैसे विभाग में भ्रष्टाचार की लत लगने की आशंका बढ़ जाती है, लेकिन यहां तो नागरिकों के जीवन से खेलने तक के प्रमाण चिकित्सा विभाग के किसी न किसी छोर से निकल आते हैं। जाहिर है ऐसे माहौल की परिणति सुखद नहीं हो सकती, अतः व्यवस्था की सादगी में निपुणता लाने के लिए पारदर्शी नियमावलियों को ज्यादा जगह व सक्षम तरीके उपलब्ध होने चाहिएं।


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